Women Crime in India: अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो
 
                Women Crime in India: भारत…एक ऐसा देश जहां हरेक को इज्जत, मान सम्मान से देखने की बात कही जाती है…जहां नारी लक्ष्मी का रूप होती है…ऐसा देश जिससे पश्चिम भी सबक लेता है…जहां नारियों को देवी का दर्जा दिया जाता है….जहां मां दुर्गा का स्वरूप माने जाने वाली बेटियों को पूजा जाता है… हां, वही भारत जहां भारत को भारत माता कहा जाता है…
देश की आधी आबादी नहीं महफूज़
लेकिन इसी देश में अब लड़की या औरत होना जुर्म सा हो गया है…और उससे भी बड़ा जुर्म किसी इंसान से प्रेम करना हो गया है…क्योंकि इसी भारत में प्रेम के नाम पर या तो लड़कियों के साथ बलात्कार हो रहा है…या फिर शादी के नाम पर लिव इन में रहकर उनकी हत्या की जा रही है… दिल्ली हो या देहरादून, तहज़ीब का शहर लखनऊ हो या देश की आर्थिक राजधानी मुंबई या तकनीक का शहर बैंगलूरू…देश की आधी आबादी कहीं भी महफूज़ नहीं है। और हम बड़ी शान से लिखते हैं मेरा ईमान महिला का सम्मान।
टुकड़ें होती बेटियां
कोई धार-धार चाकू या पेड़ काटने वाली आरी की भेंट चढ़ रही है तो कोई किसी लड़की के टुकड़े कर मिक्सी में पीसकर कूकर मे उबाल कर उसे टॉयलेट में फल्श कर रहा है….यही नहीं शरीर के टुकड़ों कुत्तों तक को परोसा जा रहा है,कहीं पत्थरों से वार पर वार किए जा रहे हैं…और फिर हम बात करते हैं देश में महिलाओं के मान की सम्मान की…महिला सशक्तिकरण की….
भेड़िया बनते लोग
न जाने इस दुर्गा रूपी देश में भेड़िये वाली मानसिकता लोग कहां से आ गए है..जहां आए दिन मोहब्बत के नाम पर लड़िकयां भेंट चढ़ रही हैं…और शिकार हो रही हैं समाज में बैठे उन भेड़ियों की, जो इसी भारत की आबरू और अस्मिता को लूट रहे हैं…लेकिन बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ वाले देश में बेटियों का नामों निशान ही खत्म किया जा रहा है…
और खुद को समाज का हितैषी बताने वाले लोग मुकदर्शक बने बैठे हैं….
कौन बदन से आगे देखे औरत को
सब की आंखें गिरवी हैं इस नगरी में
Written By: Aarti Agravat

 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        
1 thought on “Women Crime in India: अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो”