Retinoblastoma क्या है, जानें इस ख़ास किस्म के Cancer के बारे में

Retinoblastoma

Retinoblastoma

रेटिनोब्लास्टोमा, नाम से ही अंदाजा लगाया जा सकता है, मानों आंखों से जुड़ी कोई बीमारी हो। जी हां, रेटिनोब्लास्टोमा (Retinoblastoma) आंखों का कैंसर है जो बड़ी उम्र के लोगों में नहीं बल्कि छोटी उम्र के बच्चों में वो होता है। वो भी 5 साल से कम उम्र वाले बच्चों में ये ख़ास किस्म का कैंसर होता है।

हर साल मनाया जाता है रेटिनोब्लस्टोमा वीक

आंख के कैंसर के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल मई के दूसरे सप्ताह में विश्व रेटिनोब्लास्टोमा जागरूकता सप्ताह मनाया जाता है। इस साल भी 14 मई से 20 मई तक रेटिनोब्लास्टोमा अवेयरनेस वीक (Retinoblastoma Awareness Week) मनाया भारत समेत पूरी दुनिया में मनाया गया। इस बारे में जानकारी होना जरूरी है कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों में व्हाइट रिफ्लेक्स (White Reflex) होना कैंसर का संकेत हो सकता है। अगर इसका पता जल्द लगाया जाए तो ऐसे बच्चे जिन्दा रह सकेंगे। 

छोटे बच्चों की आंखों में होने वाला एक किस्म का कैंसर

रेटिनोब्लास्टोमा (Retinoblastoma) 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में बचपन में होने वाला सबसे नॉर्मल आई कैंसर है। इससे कभी एक तो कभी दोनों आंखों पर असर पड़ सकता है। 20-30% मामले वंशानुगत होते हैं जिसका मतलब है कि यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी से विरासत में मिलता है और बाकी मामले छिटपुट प्रकृति वाले होते हैं। दुनियाभर में हर साल 4000-5000 इसके नए मामले सामने आते हैं जिनमें से 1500-2000 मामले भारत से ही होते हैं इसलिए जरूरी हो जाता है कि इस अलग किस्म के कैंसर के बारे में और उसके उपचार को जाना जाए।

वक्त रहते मालूम होने पर इलाज संभव

ल्यूकेमिया या हड्डी के कैंसर जैसे बचपन में होने वाले अन्य प्रकार के ट्यूमर्स की तुलना में अगर इस कैंसर का पता वक्त रहते लग जाए और शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने से पहले इसका इलाज हो जाए तो इसका उपचार संभव है। लेकिन जागरूकता की कमी, निदान और उपचार में देरी की वजह से यह गंभीर होता जाता है। इसलिए इस कैंसर के शुरुआती लक्षणों और संकेतों के बारे में परिवार के हरेक व्यक्ति  माता-पिता, दादा-दादी समेत स्वास्थ्य कर्मचारियों में भी जागरूकता फैलाना जरूरी है। लक्षणों को पहचानते हुए उचित इलाज से इसे गंभीर होने से काफी हद तक रोका जा सकता है और बच्चे की आंखों और उसके जीवन को बचाया जा सकता है।

इन लक्षणों पर दें ध्यान

क्योंकि रेटिनोब्लास्टोमा (Retinoblastoma) ज्यादातर बच्चों में होता है इसलिए इसके लक्षण स्पष्ट रूप से नज़र नहीं आते हैं और शुरुआत में तो बिल्कुल भी पता नहीं चलता। इसके लक्षणों में कम नज़र आना, आंखें लाल पड़ना, आंखों में दर्द, सूजन और कभी-कभी नेत्रगोलक का बाहर की ओर निकलना (प्रॉपटोसिस) भी शामिल हो सकता है।

रेटिनोब्लास्टोमा का पता लगाने के लिए जरूरी जांचें

अगर किसी बच्चे में इनमें से कोई भी लक्षण हो तो तुरंत नजदीकी नेत्र रोग विशेषज्ञ/रेटिना एक्सपर्ट (Eye Specialist) से संपर्क करें। एक नेत्र रोग विशेषज्ञ दोनों आंखों की रेटिना का इनडायरेक्ट ऑपथैलमोस्कोपी द्वारा सम्पूर्ण जांच करके इस कैंसर का आसानी से निदान कर सकता है। अगर जरूरी हो तो नेत्र चिकित्सक द्वारा आंख का यूएसजी, ऑर्बिट का सीटी/एमआरआई किया जा सकता है जिससे कैंसर के फैलाव सीमा का पता लगाया जा सके और उसके उपचार की योजना बनाई जा सके। यह उपचार आमतौर पर एक ओकुलर ऑन्कोलॉजिस्ट द्वारा किया जाता है जिसमें आंख के अंदर मौजूद एक छोटे ट्यूमर की लेजर/क्रायोथेरेपी या बड़े ट्यूमर के लिए कीमोथेरेपी/रेडियोथेरेपी की जाती है।

नई तकनीकों से मिल सकता है लाभ

नई तकनीकों में इंट्रा-आर्टरीयल कीमोथेरेपी, जहां कीमोथेराप्यूटिक दवाओं को आंख में रक्त आपूर्ति करने वाली धमनी में सीधे डाला जाता है और प्लाक रेडियोथेरेपी, जहां कुछ दिनों के लिए रेडियोधर्मी सामग्री वाले एक छोटे उपकरण को ट्यूमर के ऊपर रखा जाता है।

लक्षण

अगर इन लक्षणों को पहचानने और उसके उपचार में देर हो जाती है तो ट्यूमर को अन्य अंगों में फैलने से रोकने और बच्चे की जान बचाने के लिए नेत्रगोलक को निकालना पड़ सकता है। बच्चे की जांच रिपोर्ट, स्कैन और अन्य इमेजिंग टेस्ट डॉक्टरों के लिए यह निर्धारित करने के काम आएंगी कि रेटिनोब्लास्टोमा से आंख के आसपास के हिस्से प्रभावित हुए हैं या नहीं।

क्या ध्यान देने की जरूरत

– उपचार के परिणामों और सफलता की गुंजाइश को बढ़ाने के लिए जागरूकता, कैंसर की शीघ्र पहचान और शीघ्र निदान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समय-समय पर आंखों की उचित देखभाल करने की सलाह दी जाती है खासकर तब जब माता-पिता या भाई-बहन में से किसी को भी रेटिनोब्लास्टोमा रहा हो।

हर साल आंखों की जांच जरूरी

– हर किसी के लिए और विशेष रूप से पांच साल से कम उम्र के बच्चों में घातक ट्यूमर का पता लगाने के लिए आंखों की साल में एक बार जांच कराना बेहद जरूरी हो जाता है।

रेगुलर फॉलो-अप बेहद जरूरी

यह ध्यान रखना जरूरी है कि रेटिनोब्लास्टोमा (Retinoblastoma) का उपचार पूरा होने के बाद भी कैंसर के वापस आने की संभावना रहती है। इसके अलावा, जिन बच्चों को यह आनुवंशिक रूप से मिला है, उनके शरीर के अन्य हिस्सों में भी कैंसर विकसित होने की संभावना बनी रहती है, इसलिए नियमित फॉलो-अप और स्क्रीनिंग आवश्यक बन जाती है।

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