Uniform Civil Code: समान क़ानून पर क्यों मचा है घमासान?

Uniform Civil Code: समान क़ानून पर क्यों मचा है घमासान?

Desh Ki Baat

Uniform Civil Code: पसमांदा, तीन तलाक, UCC. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते मंगलवार को भोपाल में कॉमन सिविल कोड का जिक्र किया। इसे शॉर्ट में UCC और हिंदी में समान नागरिक संहिता कहते हैं। पीएम मोदी ने कहा, ‘समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। देश दो कानूनों पर कैसे चल सकता है? भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है कि समान नागरिक संहिता लाओ लेकिन ये वोट बैंक के भूखे लोग हैं। पीएम मोदी के इस बयान के बाद देश में एक बार फिर कॉमन सिविल कोड पर चर्चा शुरू हो गई है।

सत्ता पक्ष का क्या कहना है?

Uniform Civil Code: सत्ता पक्ष जहां इसे देश के लिए जरूरी बता रहा है तो वहीं विपक्ष ने भाजपा पर धार्मिक धु्व्रीकरण के लिए वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है उत्तराखंड जैसे राज्य यूसीसी को लेकर ड्राफट तैयार कर चुके हैं. कई राज्य इसके समर्थन में है लेकिन कई राज्यों में ये कहा जा रहा है की इससे हिंदू और आदिवासियों पर प्रभाव पड़ने वाला है।

इसको लेकर मुसलमानों में जो भ्रम है उसे कैसे दूर करें?

Uniform Civil Code: जहां एक तरफ पीएम मोदी ने यूसीसी पर दो टूक कर दिया है की 2024 से पहले यूसीसी आकर रहेगी तो वहीं इस पूरे मामले पर कुछ अफवाहें ही फैल रही है जिसको लेकर मुस्लिम परसनल लॉ बोर्ड भी एक ड्राफ्टतैयार करने की बात कह रहा है. अब ऐसे में सवाल ये हैं की यूसीसी का मुद्दा जो कई सालों से चला आ रहा है क्या लोकसभा चुनाव से पहले ये देश में लागू हो जाएगा या ये महज चुनावी मुद्दा बन कर रह जाएगा.

UCC पर भड़का पर्सनल लॉ बोर्ड

मुस्लिमों से UCC पर कोई बात नहीं

1-2  दिन में अपना ड्राफ्ट भजेंगे

शरीयत के खिलाफ कानून मंजूर नहीं

मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए सरकार की चाल

यूनिफॉर्म सिविल कोड की जरुरत क्या है?

मुसलमानों को UCC से बाहर रखा जाए

UCC पर अफवाह

शव दफनाने नहीं दिया जाएगा

मुस्लिमों को शव जलाना पड़ेगा

निकाह बंद हो जाएगा

मुस्लिमों को फेरे लेने पड़ेंगा

तलाक नहीं दे पाऐंगे

बुर्का पहनने पर रोक लगेगी

UCC पर संसदीय कौन-कौन हुआ शामिल?

सुशील मोदी, स्थायी समिति के अध्यक्ष

मलूक नागर, BSP सांसद

संजय राउत,शिवसेना(UBT) सांसद

विवेक तन्खा, सांसद, कांग्रेस

कानून मंत्रालय के अधिकारी

आखिर क्या है UCC?

Uniform Civil Code: यूनिफार्म सिविल कोड की विचारधारा एक देश-एक कानून-एक विधान पर आधारित है। संविधान के अनुच्छेद 44 के भाग 4 में यूनिफॉर्म सिविल कोड शब्द का जिक्र है। इसमें कहा गया है कि भारत में हर नागरिक के लिए एक समान नागरिक संहिता को लागू करने का प्रयास होना चाहिए। संविधान निर्माता डॉक्टर बीआर अंबेडकर ने संविधान को बनाते समय कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड जरूरी है।

क्यों जरूरी है?

Uniform Civil Code: भारत में जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग कानून और मैरिज एक्ट हैं। अलग-अलग कानूनों के कारण न्यायिक प्रणाली पर भी असर पड़ता है। भारत में हिंदुओं के लिए हिंदू मैरिज एक्ट 1956 है, मुसलमानों के लिए पर्सनल लॉ बोर्ड है। शादी, तलाक, संपत्ति विवाद, गोद लेने और उत्तराधिकार आदि के मामलों में हिंदुओं के लिए अलग कानून हैं, जबकि मुसलमानों के लिए अलग।

गोवा में पहले से है लागू

Uniform Civil Code: संविधान में गोवा को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है। यहां हिंदू, मुस्लिम और ईसाईयों के लिए अलग-अलग कानून नहीं हैं। जिसे गोवा सिविल कोड कहा जाता है। इस राज्य में सभी धर्मों के लिए फैमिली लॉ है। यानी शादी, तलाक, उत्तराधिकार के कानून सभी धर्मों के लिए एक समान हैं।

किन-किन देशों में UCC?

फ्रांस, अमेरिका, रोम, सऊदी अरब, तुर्की, पाकिस्तान, मिस्र, मलेशिया, नाइजीरिया आदि देशों में पहले से कॉमन सिविल कोड लागू है।

UCC लागू होने से क्या होंगे बदलाव?

UCC लागू हो गया तो हिंदू कोड बिल, शरीयत कानून, पर्सनल लॉ बोर्ड समाप्त हो जाएंगे।

धार्मिक स्थलों के अधिकारों पर भी असर पड़ेगा। अगर मंदिरों का प्रबंधन सरकार के हाथों में हैं।

तो फिर मस्जिद, गिरिजाघर, गुरुद्वारा आदि का प्रबंधन भी सरकार के हाथों में होगा।

लेकिन अगर मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरिजाघर का प्रबंधन उनके अपनी-अपनी धार्मिक संस्थाएं करती हैं।

तो फिर मंदिर का प्रबंधन भी धार्मिक संस्थाओं को ही देना होगा।

बहुविवाह पर रोक लगेगी। लड़कियों की शादी की आयु बढ़ाई जाएगी ताकि वे शादी से पहले ग्रेजुएट हो सकें। लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन जरूरी होगा। माता-पिता को सूचना जाएगी।

उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों का बराबर का हिस्सा मिलेगा, चाहे वो किसी भी जाति या धर्म के हों। एडॉप्शन सभी के लिए मान्य होगा। मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार मिलेगा। गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।

हलाला और इद्दत (भरण पोषण) पर रोक लगेगी। शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।

पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।

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