BJP का प्लान, UCC पसमांदा भाईजान !

Uniform Civil Code: BJP का प्लान, UCC पसमांदा भाईजान !

Desh Ki Baat

Uniform Civil Code: पसमांदा, तीन तलाक, UCC… मुसलमानों के लिए बीजेपी वर्कर्स को पीएम का ‘मोदी मंत्र’! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भोपाल में कॉमन सिविल कोड का जिक्र किया। इसे शॉर्ट में UCC और हिंदी में समान नागरिक संहिता कहते हैं। पीएम मोदी ने कहा, ‘समान नागरिक संहिता के नाम पर लोगों को भड़काने का काम हो रहा है। देश दो कानूनों पर कैसे चल सकता है? भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है कि समान नागरिक संहिता लाओ लेकिन ये वोट बैंक के भूखे लोग हैं। पीएम मोदी के इस बयान के बाद देश में एक बार फिर कॉमन सिविल कोड पर चर्चा शुरू हो गई है।

सत्ता पक्ष का क्या कहना है?

Uniform Civil Code: सत्ता पक्ष जहां इसे देश के लिए जरूरी बता रहा है तो वहीं विपक्ष ने भाजपा पर धार्मिक धु्व्रीकरण के लिए वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है जो तुष्टिकरण कर अपने स्वार्थ के लिए छोटे-छोटे कुनबे दूसरों के खिलाफ खड़े कर देते हैं उन्होंने जो रास्ता चुना है उसमें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती और ये रास्ता है तुष्टिकरण का. पीएम मोदी ने इस दौरान बूथ कार्यकर्ताओं के सवालों के जवाब भी दिए. इन्हीं कार्यकर्ताओं में एक लखनऊ के बड़ा चांदगंज की रहने वाली रीना चौरसिया ने पूछा कि पहले लोग तीन तलाक का विरोध कर रहे थे, अब यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध कर रहे हैं।

इसको लेकर मुसलमानों में जो भ्रम है उसे कैसे दूर करें?

Uniform Civil Code: पीएम ने आगे कहा कि जो पसमांदा मुसलमान भाई-बहन हैं, उनकी आवाज सुनने के लिए कोई नहीं है. उनके धर्म के लोगों ने अगर कोई भला किया होता तो ऐसा नहीं होता. आज भी उनको वीजा नहीं मिलता. वो पिछड़े नहीं होते. पसमांदा मुसलमानों के साथ जो भेदभाव हुआ है, उसका नुकसान इनकी कई पीढ़ियों को भुगतना पड़ा, लेकिन बीजेपी सरकार सबके लिए सबका साथ, सबका विकास पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि जो दल यूसीसी का विरोध कर रहे हैं वे मुसलमानों के हितैषी नहीं हैं. इन्हीं दलों की वजह से पसमांदा मुसलमान पिछड़े हैं।

आखिर क्या है UCC?

Uniform Civil Code: यूनिफार्म सिविल कोड की विचारधारा एक देश-एक कानून-एक विधान पर आधारित है। संविधान के अनुच्छेद 44 के भाग 4 में यूनिफॉर्म सिविल कोड शब्द का जिक्र है। इसमें कहा गया है कि भारत में हर नागरिक के लिए एक समान नागरिक संहिता को लागू करने का प्रयास होना चाहिए। संविधान निर्माता डॉक्टर बीआर अंबेडकर ने संविधान को बनाते समय कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड जरूरी है।

क्यों जरूरी है?

Uniform Civil Code: भारत में जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग कानून और मैरिज एक्ट हैं। अलग-अलग कानूनों के कारण न्यायिक प्रणाली पर भी असर पड़ता है। भारत में हिंदुओं के लिए हिंदू मैरिज एक्ट 1956 है, मुसलमानों के लिए पर्सनल लॉ बोर्ड है। शादी, तलाक, संपत्ति विवाद, गोद लेने और उत्तराधिकार आदि के मामलों में हिंदुओं के लिए अलग कानून हैं, जबकि मुसलमानों के लिए अलग।

गोवा में पहले से है लागू

Uniform Civil Code: संविधान में गोवा को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है। यहां हिंदू, मुस्लिम और ईसाईयों के लिए अलग-अलग कानून नहीं हैं। जिसे गोवा सिविल कोड कहा जाता है। इस राज्य में सभी धर्मों के लिए फैमिली लॉ है। यानी शादी, तलाक, उत्तराधिकार के कानून सभी धर्मों के लिए एक समान हैं।

किन-किन देशों में UCC?

फ्रांस, अमेरिका, रोम, सऊदी अरब, तुर्की, पाकिस्तान, मिस्र, मलेशिया, नाइजीरिया आदि देशों में पहले से कॉमन सिविल कोड लागू है।

UCC लागू होने से क्या होंगे बदलाव?

  • UCC लागू हो गया तो हिंदू कोड बिल, शरीयत कानून, पर्सनल लॉ बोर्ड समाप्त हो जाएंगे।
  • धार्मिक स्थलों के अधिकारों पर भी असर पड़ेगा। अगर मंदिरों का प्रबंधन सरकार के हाथों में हैं, तो फिर मस्जिद, गिरिजाघर, गुरुद्वारा आदि का प्रबंधन भी सरकार के हाथों में होगा। लेकिन अगर मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरिजाघर का प्रबंधन उनके अपनी-अपनी धार्मिक संस्थाएं करती हैं तो फिर मंदिर का प्रबंधन भी धार्मिक संस्थाओं को ही देना होगा।
  • बहुविवाह पर रोक लगेगी। लड़कियों की शादी की आयु बढ़ाई जाएगी ताकि वे शादी से पहले ग्रेजुएट हो सकें। लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन जरूरी होगा। माता-पिता को सूचना जाएगी।
  • उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों का बराबर का हिस्सा मिलेगा, चाहे वो किसी भी जाति या धर्म के हों। एडॉप्शन सभी के लिए मान्य होगा। मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार मिलेगा। गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
  • हलाला और इद्दत (भरण पोषण) पर रोक लगेगी। शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।
  • पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।

यें भी पढ़ें: 2004 वाला प्लान,24 में यूपीए के लिए बनेगा वरदान

Spread the News

1 thought on “BJP का प्लान, UCC पसमांदा भाईजान !

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *