अब मैदानी क्षेत्रों में भी हो रही है स्ट्रॉबेरी की खेती, किसानों को होगा मुनाफा

strawberry farming

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Strawberry Farming: स्ट्रॉबेरी का नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है… रसीले फलों में शुमार स्ट्रॉबेरी के व्यापार में भी किसानों को मुनाफा हो रहा है। पहाड़ों में होने वाली स्ट्रॉबेरी की खेती अब मैदानी क्षेत्रों में होने लगी है। देवभूमि प्रवेश द्वार मंगलौर में पिछले कुछ सालों से स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है। क्षेत्रीय किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती से अच्छा मुनाफा हो रहा है। स्ट्रॉबेरी की खेती में आने वाली लागत खर्च के बाद किसान इस फसल से अच्छा मुनाफा कमा रहे है। आपको बता दें कि स्ट्रॉबेरी का पौधा अक्टूबर महीने में लगाया जाता है और चार-पांच महीने बाद फरवरी- मार्च में फल पक जाते है. स्ट्राबेरी का पौधा किसान हिमाचल प्रदेश से खरीद कर लाते हैं।

मैदानी क्षेत्रों में खेती के बाद बढ़ी स्ट्रॉबेर्री की मांग

वहीं मैदानी क्षेत्रों में खेती के बाद मंगलौर में स्ट्राबेरी (Strawberry Farming) की मांग भी बढ़ी है। अधिकतर पर्यटक मंगलौर क्षेत्र से ही स्ट्राबेरी के फल की खरीदारी कर रहे है। बाजार के भाव से मंगलौर क्षेत्र की स्ट्राबेरी के दामों में भी काफी फर्क है। दरअसल स्ट्राबेरी की कीमत बाजार में 400 रुपए प्रति किलो के आसपास रहती है। जबकि मंगलौर क्षेत्र में ताजा स्ट्राबेरी 200 रुपए प्रति किलो के भाव में मिल जाती है। ताजा स्ट्राबेरी के साथ साथ कम दामों में मिलने वाली स्ट्राबेरी को क्षेत्रीय लोगों के साथ साथ पर्यटक भी खरीदते है।

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