सुलगते मणिपुर पर सियासत कब तक?
Manipur Violence Update: भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में मानवता को शर्मशार करने वाली घटना से पूरे देश में रोष है. मणिपुर की राजधानी इम्फाल से महज 35 किमी. दूर कांगपोकपी जिले के एक गांव में 3 मई को आदिवासी कुकी जनजाति की दो महिलाओं को निर्वस्त्र करके हिंसक दरिंदों ने सार्वजनिक रूप से घुमाया था. रास्ते भर उनके साथ बदसलूकी भी करते रहे. इसके बाद उसमें से एक महिला के साथ सामूहिक दुष्कर्म और हत्या करने की जानकारी उजागर होने के बाद से मीडिया और सोशल मीडिया में यह मामला जंगल की आग तरह फैल रहा है. चारों ओर इस जघन्य अपराध और घृणित कार्य की घोर निंदा हो रही है.
4 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया
Manipur Violence Update: पीएम मोदी से मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को हटाने के साथ अपराधियों को कठोर से कठोर दंड देने की मांग की जा रही है. मामले में अब तक 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, वह सभी मैतेई समाज से बताए जा रहे हैं. चूंकि मुख्य मंत्री एन. बीरेन सिंह भी इसी समाज से आते हैं. इसलिए पीड़ित पक्ष कुकी समाज उनके ऊपर पक्षपात का आरोप लगा रहा है.
मणिपुर हिंसा पर संसद में हंगामा
Manipur Violence Update: मणिपुर हिंसा को लेकर आज भी संसद के दोनों सदनों में हंगामा देखने के मिला.
इस बीच आज लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी दलों ने फिर हंगामा किया.
इसके चलते लोकसभा की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई है. इससे पहले हंगामे के चलते लोकसभा की कार्यवाही 12 बजे तक और राज्यसभा की कार्यवाही 2:30 बजे तक स्थगित हुई थी. वहीं कल पीएम मोदी ने भी मामले पर मानसून सत्र के शुरू होने से पहले कहा कि आज जब मैं आपके बीच आया हूं, लोकतंत्र के इस मंदिर के पास खड़ा हूं तब मेरा हृदय पीड़ा और क्रोध से भरा हुआ है. मणिपुर की जो घटना सामने आई है, वो किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मसार करने वाली घटना है. पाप करने वाले, गुनाह करने वाले कितने हैं, कौन हैं? वो अपनी जगह हैं, लेकिन बेइज्जती पूरे देश की हो रही है, 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है. मणिपुर की इन बेटियों के साथ जो हुआ है, इसको कभी माफ नहीं किया जा सकता.
मणिपुर पर आक्रोश प्रदर्शन शुरु
Manipur Violence Update: मामले को लेकर संसद से लेकर पूरे देश में आक्रोश प्रदर्शन शुरु हो चुका है. इसी बीच मामले को लेकर राष्ट्रीय महिला आयोग पर नजरअंदाजी का आरोप लग रहा है. जिस पर महिला आयोग ने सफाई देते हुए कहा है की 12 जून को 2 शिकायतें मिली थी. महिला आयोग ने 3 चिट्ठियां भेंजी थी. महिला आयोग की चिट्ठी पर कोई एक्शन नहीं लिया गया. ऐसे में सवाल ये उठता है की आखिर गलती किसकी है. महिला सुरक्षा का राग गाने वाले इस वक्त सियासी रोटियां सेंकनें पर क्या व्यस्त हो चुके है. क्या मामले को लेकर केंद्र सरकार गंभीर है और है तो अभी तक कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया.
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