मणिपुर हिंसा पर ‘मरहम’ लगाने पहुंचा विपक्ष
Manipur: विपक्षी दलों के गठबंधन I.N.D.I.A के 21 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल मणिपुर पहुंचा . यहां I.N.D.I.A के 21 सांसदों ने मणिपुर के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया और हालात का जायजा लिया. इन में से कई सांसदों ने मणिपुर के रिलिफ कैंपों में लोगों से मुलाकात की. मणिपुर जाने से पहले 21 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल को दो भागे में बांटा गया है. टीम-A और टीम-B. टीम-ए में 10 सदस्य हैं, जबकि टीम-बी में 11 सदस्य हैं. ये विपक्षी दल के सांसद पहले हालात का आंकलन करेंगे इस के बाद वहां के राज्यपाल से मुलाकात करेंगे. ये लोग घाटी और पहाड़ी दोनों जगहों का आंकलन कर रहे है. जिन इलाकों में ये सांसद पहुंचे है उनमें चुराचांदपुर, इम्फाल पूर्व और पश्चिम में राहत शिविर, मोइरांग राहत शिविर शामिल हैं. सांसद अपनी यात्रा के दौरान एक रिपोर्ट तैयार करेंगे और बाद में संसद में उस पर चर्चा की मांग करेंगे.
मणिपुर पहुंचे विपक्ष के 21 सांसद
Manipur: मणिपुर जाने से पहले सभी सांसदों ने बयान देते हुए कहा की वो मणिपुर राजनीति करने नहीं बल्कि लोगों के दर्द बांटने और जमीनी हकिकत जानने जा रहे है. हमें उम्मीद है कि सरकार इसे सकारात्मक तरीके से लेगी. वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने विपक्षी सांसदों के मणिपुर दौरे को दिखावा कहा है.
साथ ही कांग्रेस नेता अधीर रंजन पर निशाना साधते हुए कहा की जब वे मणिपुर से वापस आएंगे, तो मैं उन्हें पश्चिम बंगाल लाने का अनुरोध करूंगा। ऐसे में सवाल ये उठता है की मणिपुर के विपक्षी सांसदों का ये दौरा सिर्फ सियासी स्टंट है. क्या सदन की कार्रवाई को रोज स्थगित करके मणिपुर हिंसा का सामाधान मिल सकता है. क्या मणिपुर के लोगों की पीड़ा को कोई सुनने वाला नहीं है. क्या इस सियासी समाधान से मणिपुर के लोगों के जख्म भर जाऐंगे. क्या जलते मणिपुर में बच्चों का भविष्य बन जाऐगा. क्या आरक्षण की लड़ाई से मणिपुर उफर पाऐगा.
कैसे शुरू हुआ विवाद
Manipur: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए.
मैतेई का तर्क क्या है
Manipur: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं
Manipur: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
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