केजरीवाल की पवार से मुलाकात..’पवार की पावर’ दिलाएगी 2024 की एंपायर

Kejriwal meets Sharad Pawar

PC: Twitter/ AAP

Delhi Ordinance/ Kejriwal meets Sharad Pawar: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की विपक्ष को एकसाथ जोड़ने की मुहिम लगातार जारी है. गुरूवार को केजरीवाल ने NCP प्रमुख शरद पवार से मुलाकात कर सरकार के ख़िलाफ़ अध्यादेश पर समर्थन मांगा है.

केजरीवाल ने की गैर बीजेपी दलों से साथ आने की अपील (Kejriwal meets Sharad Pawar)

इस मुलाकात के बाद अरविंद केजरीवाल (Kejriwal meets Sharad Pawar) ने कहा कि 8 साल तक दिल्ली के अधिकारों की लड़ाई लड़ी है. हमसे लगातार शक्तियां छीनने की कोशिश की गई. संसद में बिल पास होने नहीं दिया जाता, गैर बीजेपी दल साथ आएं तो अध्यादेश गिर जाएगा. ये अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ लाया गया है. राज्यसभा में अगर बिल गिर जाता है, तो इसे 2024 का सेमीफाइनल मानिए, बीजेपी सरकार केंद्र में नहीं आने वाली है. 

केजरीवाल ने आरोप लगाया कि भाजपा की सरकार नहीं बनती तो ये 3 तरीक़े लगाकर सत्ता हथियाते हैं

  • विधायकों की ख़रीद फ़रोख़्त करके सरकार गिराना
  • ED-CBI के डर से विधायक तोड़कर सरकार गिराना
  • Ordinance से सरकार के अधिकार छीनना

केजरीवाल को मिला शरद पवार का साथ (Kejriwal meets Sharad Pawar)

केजरीवाल का कहना है कि NCP ने उन्हें समर्थन दे दिया है..और राज्यसभा में ये बिल पास नहीं होने दिया जाएगा. इन बैठकों के रेलों में अहम ये है कि शरद पवार आज की तारीख़ में विपक्ष के वो मज़बूत नेता हैं जो आधा अधूरा बिखरा विपक्ष एकजुट कर सकते हैं.

उद्धव भी कर चुके हैं साथ देने का वादा

इससे पहले बुधवार को दिल्ली सीएम ने महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे से भी मुलाकात की. उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने भी केजरीवाल को समर्थन दिया है.

मुलाकात के बाद उद्धव ठाकरे और केजरीवाल दोनों ने बीजेपी को लोकतंत्र के लिए ख़तरा बताते हुए कहा था कि इस बार ट्रेन छूट गई तो देश का संविधान नहीं बच पाएगा.

Kejriwal on Ordinance Controversy

ममता ने दिया साथ लगाया सरकार पर काम न करने देने का आरोप

इस सिलसिले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री पहले ही अरविंद केजरीवाल को समर्थन दे चुकी हैं. साथ ही सरकार पर ये आरोप भी लगा चुकी हैं कि केंद्र सरकार राज्य की चुनी हुई सरकारों को काम नहीं करने देती है. ममता बनर्जी पहले ही साफ़ कर चुकी हैं कि वो सेवा पर नियंत्रण संबंधी केंद्र के अध्यादेश से जुड़े मामले में आप के साथ हैं.

बीजेपी को न्यायपालिका पर नहीं है भरोसा, विपक्ष का आरोप

वहीं बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट के अध्यादेश को पलट कर कहीं न कहीं जनता के मन में ये सवाल तो डाला है कि क्या बीजेपी को न्यायपालिका पर वाकाई में भरोसा नहीं है.

हालांकि बीजेपी के पास भी अपने दावे हैं..अपनी बाते हैं लेकिन दिल्ली के इस अध्यादेश की सियासी बिसात 2024 का मैदान है. और इस सियासी शतरंज में मौहरे, प्यादे, वज़ीर, मंत्री और राजा की मंजिल 24 की वो सत्ता है जो अगले पांच सालों के लिए अपने नाम कर अपनी किस्मत का मुकद्दर लिखेगी. इस शतरंज में आरोप भी होंगे, बयानबाजी भी होंगी, टकराव भी होंगे और जुड़ाव भी होंगे..क्योंकि वो कहते हैं न कि जंग में सब जायज़ है.

अध्यादेश पर कब-कब क्या हुआ ?

11 मईसुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा– दिल्ली सरकार की सलाह पर काम करेंगे LG

12 मईकेजरीवाल सरकार ने सर्विस सेक्रेटरी का ट्रांसफर किया, LG ने रोका

19 मईकेंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटा

यह पूरा विवाद क्या था…(Kejriwal on Ordinance Controversy)

  • AAP सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों की लड़ाई 2015 में दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची थी।
  • हाईकोर्ट ने अगस्त 2016 में राज्यपाल के पक्ष में फैसला सुनाया था।
  • AAP सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
  • 5 मेंबर वाली संविधान बेंच ने जुलाई 2016 में आप सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया।
  • कोर्ट ने कहा कि CM ही दिल्ली के एग्जीक्यूटिव हेड हैं।
  • उपराज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह और सहायता के बिना स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकते हैं।
  • इसके बाद सर्विसेज यानी अधिकारियों पर नियंत्रण जैसे कुछ मामलों को सुनवाई के लिए दो सदस्यीय रेगुलर बेंच के सामने भेजा गया।
  • फैसले में दोनों जजों की राय अलग थी।
  • जजों की राय में मतभेद के बाद यह मामला 3 मेंबर वाली बेंच के पास गया।
  • उसने केंद्र की मांग पर पिछले साल जुलाई में इसे संविधान पीठ के पास भेज दिया।
  • संविधान बेंच ने जनवरी में 5 दिन इस मामले पर सुनवाई की
  • और 18 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
  • 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अफसरों पर कंट्रोल का अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिया।
  • साथ ही कहा कि उपराज्यपाल सरकार की सलाह पर ही काम करेंगे।

ये भी पढ़ें: अध्यादेश पर केजरीवाल ने मांगा उद्धव ठाकरे का समर्थन

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