अध्यादेश पर केजरीवाल ने मांगा उद्धव ठाकरे का समर्थन

Kejriwal on Ordinance Controversy

Kejriwal on Ordinance Controversy: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मातोश्री में मुलाकात की। इस दौरान उनके साथ पंजाब के सीएम भगवंत मान भी मौजूद थे।

हम रिश्ता मानने वाले लोग हैं- उद्धव ठाकरे (Kejriwal on Ordinance Controversy)

मुलाकात के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा कि हम रिश्ता मानने और उसे संभालने वाले लोग हैं। राजनीति अपनी जगह पर है। अगला साल चुनावी साल है। इसलिए अगर इस बार ट्रेन छूट गयी तो फिर देश से लोकतंत्र खत्म हो जायेगा। लोकतंत्र को बचाने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा। कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने दो फैसले दिए। जिसमें से एक दिल्ली के बारे में और दूसरा शिवसेना के बारे में था। अदालत ने जो फैसला दिया वह लोकतंत्र बचाने के लिए था। हालांकि, केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लेकर आई है। जो पूरी तरह से गलत है।

हम भी रिश्ता निभाने वाले- अरविंद केजरीवाल

वहीं अरविंद केजरीवाल (Kejriwal on Ordinance Controversy) ने कहा कि उद्धव ठाकरे की तरह ही हम भी रिश्ता निभाने वाले हैं। जैसे ही दिल्ली में हमारी सरकार बनी वैसे ही केंद्र सरकार ने एक नोटिफिकेशन के जरिये हमारी सारी शक्तियां हमसे छीन लीं। आठ साल की लंबी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था और कहा था कि जनता द्वारा चुनी गयी सरकार के पास शक्तियां होनी चाहिए।

केंद्र को नहीं है न्यायपालिका पर भरोसा

लेकिन केंद्र सरकार ने अदालत के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाकर ये साबित कर दिया है कि उनका देश की न्यायपालिका पर कोई भरोसा नहीं है। केंद्र सरकार ने ये भी साबित कर दिया है कि वह सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानती हैं। अगर ऐसा ही है तो फिर चुनाव क्यों करवाए जाते हैं, क्यों सरकारें बनवाई जाती है। अगर ऐसा ही है तो सरकार का गठन नहीं कराना चाहिए।

टीएमसी भी करेगी अध्यादेश का विरोध- ममता बनर्जी

इससे पहले केजरीवाल ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से भी मुलाकात की थी. ममता ने भी सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा था कि केंद्र सरकार चुनी हुई सरकारों को काम नहीं करने दे रही है. ममता ने कहा कि देश को सिर्फ सुप्रीम कोर्ट ही बचा सकता है. केंद्र न्यायपालिका सहित सभी एजेंसियों को नियंत्रित करना चाहता है. सभी विपक्षी दलों से अध्यादेश का विरोध करने की अपील भी ममता ने की, TMC भी अध्यादेश का विरोध करेगी. हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी केजरीवाल से मुलाकात की थी.

इस पूरी एकजुटता का फायदा विपक्ष को कांग्रेस से अलग 2024 में मिल सकता है. इसी पर चर्चा करेंगे और समझेंगे कि कैसे केजरीवाल, ममता, नीतीश और उद्धव की मुलाकातें न सिर्फ बीजेपी बल्कि कांग्रेस के लिए भी चोट हो सकती है.

अध्यादेश पर कब-कब क्या हुआ ?

11 मई: सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहादिल्ली सरकार की सलाह पर काम करेंगे LG

12 मई: केजरीवाल सरकार ने सर्विस सेक्रेटरी का ट्रांसफर किया, LG ने रोका

19 मई: केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटा

यह पूरा विवाद क्या था…(Kejriwal on Ordinance Controversy)

  • AAP सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों की लड़ाई 2015 में दिल्ली हाईकोर्ट पहुंची थी। हाईकोर्ट ने अगस्त 2016 में राज्यपाल के पक्ष में फैसला सुनाया था।
  • AAP सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। 5 मेंबर वाली संविधान बेंच ने जुलाई 2016 में आप सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि CM ही दिल्ली के एग्जीक्यूटिव हेड हैं। उपराज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह और सहायता के बिना स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकते हैं।
  • इसके बाद सर्विसेज यानी अधिकारियों पर नियंत्रण जैसे कुछ मामलों को सुनवाई के लिए दो सदस्यीय रेगुलर बेंच के सामने भेजा गया। फैसले में दोनों जजों की राय अलग थी।
  • जजों की राय में मतभेद के बाद यह मामला 3 मेंबर वाली बेंच के पास गया। उसने केंद्र की मांग पर पिछले साल जुलाई में इसे संविधान पीठ के पास भेज दिया।
  • संविधान बेंच ने जनवरी में 5 दिन इस मामले पर सुनवाई की और 18 जनवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
  • 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अफसरों पर कंट्रोल का अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिया। साथ ही कहा कि उपराज्यपाल सरकार की सलाह पर ही काम करेंगे।
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