मुस्लिम पक्ष को लगा बड़ा झटका!, वाराणसी कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला
Gyanvapi Judgement: ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर इन दिनों टीवी चैनलों पर सुबह से लेकर शाम तक सुर्खियां चल रही हैं.
अखबारों में भी यही मुद्दा छाया हुआ है. मुद्दा छाये रहने की असल वजह ये है की ज्ञानवापी-काशी विश्वनाथ मंदिर मामले में वाराणसी जिला कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलीलों को खारिज कर दिया है और परिसर का ASI सर्वे कराने का आदेश दे दिया है. सर्वे के इस काम को 3-6 महीने के भीतर पूरा करने का अनुमान है. हालांकि, कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष ने कहा है कि वो अदालत के इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देगा. वही अगर पिछली तारीखों की कार्रवाई पर गौर करें तो 12 और 14 जुलाई 2023 को हुई बहस में मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा था कि अगर ज्ञानवापी परिसर का पुरातत्व सर्वेक्षण होता है. तो ऐसी स्थिति में उत्खनन करने से ज्ञानवापी के ढांचे को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है.
पुरा मामला क्या है?
Gyanvapi Judgement: दरअसल ये पुरा मामला पिछले साल अगस्त का है. जहां दिल्ली की एक महिला राखी सिंह और चार अन्य महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में श्रृंगार गौरी और कुछ अन्य देवी-देवताओं के दर्शन-पूजन की अनुमति की माँग करते हुए एक याचिका दाख़िल की. वाराणसी की एक निचली अदालत में दाख़िल अर्ज़ी में याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि ये देवी-देवता प्लॉट नंबर 9130 में मौजूद हैं जो विवादित नहीं है. अर्ज़ी में कहा गया कि सर्वे कराके पूरे मामले को सुलझाया जाए. लगभग आठ महिने बाद 8 अप्रैल, 2022 को अदालत ने सर्वे करने और उसकी वीडियोग्राफ़ी करने का आदेश दिया. जिसके बाद मस्जिद प्रबंधन समिति ने कई तकनीकी पहलुओं के आधार पर इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी. जिसे अदालत ने नामंज़ूर कर दिया.
हिन्दू पक्ष का दावा
Gyanvapi Judgement: सर्वे के दौरान मस्जिद के वज़ूख़ाने में एक ऐसी आकृति मिली है. हिन्दू पक्ष का दावा है कि इसके नीचे 100 फीट ऊंचा आदि विश्वेश्वर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग.
काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण करीब 2050 साल पहले महाराजा विक्रमादित्य ने करवाया था. दावा है कि मुगल सम्राट औरंगजेब ने साल 1664 में मंदिर को तुड़वाकर यहां मस्जिद का निर्माण किया.
जो अब ज्ञानवापी मस्जिद के रूप में जाना जाता है. याचिकाकर्ता ने मांग की है कि ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण कर यह पता लगाया जाए कि जमीन के अंदर का भाग मंदिर का अवशेष है या नहीं. साथ ही विवादित ढांचे की फर्श तोड़कर ये भी पता लगाया जाए कि 100 फीट ऊंचा ज्योतिर्लिंग स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ भी वहां मौजूद हैं या नहीं. मस्जिद की दीवारों की भी जांच कर पता लगाया जाए कि ये मंदिर की हैं या नहीं. याचिकाकर्ता का दावा है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों से ही ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हुआ था.
इस विवाद को लेकर अब तक क्या- क्या हुआ ?
- काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी केस में 1991 में वाराणसी कोर्ट में पहला मुकदमा दाखिल हुआ था, याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा की अनुमति मांगी गई,
- मुकदमा दाखिल होने के कुछ महीने बाद सितंबर 1991 में केंद्र सरकार ने पूजास्थल कानून बना दिया। ये कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजास्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजास्थल में नहीं बदला जा सकता। अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे एक से तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।
- 2021 में वाराणसी की सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मंजूरी दे दी।
- 14 मई से ही ज्ञानवापी के सर्वे का काम दोबारा शुरू हुआ। सभी बंद कमरों से लेकर कुएं तक की जांच हुई। इस पूरे प्रक्रिया की वीडियो और फोटोग्राफी भी हुई।
- 16 मई को सर्वे का काम पूरा हुआ। हिंदू पक्ष ने दावा किया कि कुएं से बाबा मिल गए हैं। इसके अलावा हिंदू स्थल होने के कई साक्ष्य मिले। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने कहा कि सर्वे के दौरान कुछ नहीं मिला।
- इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने पूजा स्थल कानून 1991 का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिका खारिज करने की मांग की। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जल्द से जल्द सुनवाई का आदेश दिया था।
- 12 सितंबर को कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी और कहा कि इस मामले में सुनवाई जारी रहेगी।
- 12 सितंबर को ही इस मामले से जुड़ी पांच याचिकाओं को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इनमें से तीन पर कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
ये भी पढ़ें: क्या है गरुड़ पुराण, क्यों होता मृत्यु के बाद इसका पाठ
2 thoughts on “मुस्लिम पक्ष को लगा बड़ा झटका!, वाराणसी कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला”