सुबोध उनियाल का हरीश रावत पर तीखा वार

उत्तराखंड की राजनीति में सर्द मौसम आने से पहले ही सियासी तापमान तेजी से बढ़ गया है
साल 2027 के विधानसभा चुनाव में अभी एक साल से ज्यादा समय बाकी है, लेकिन बीजेपी और कांग्रेस के बीच बयानबाजी की जंग तेज हो गई है।

ताजा विवाद मंगलवार, 14 अक्टूबर को उस समय शुरू हुआ जब राज्य के वन मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता सुबोध उनियाल ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर करारा हमला बोला।

पौधारोपण कार्यक्रम में छिड़ी राजनीति

हल्द्वानी में आयोजित एक पौधारोपण कार्यक्रम के दौरान सुबोध उनियाल ने कहा —

“हरीश रावत हमारे कभी साथी नहीं रहे, क्योंकि दुष्ट लोगों से हमारा कोई संबंध नहीं रहा।”

यह बयान सुनते ही कार्यक्रम का माहौल अचानक राजनीतिक रंग में बदल गया।

कार्यक्रम में कालाढूंगी विधायक बंशीधर भगत भी मौजूद थे।
सुबोध उनियाल ने अधिकारियों के साथ पौधारोपण किया और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
लेकिन जब पत्रकारों ने उनसे हरीश रावत के हालिया बयानों पर राय मांगी, तो मंच पर ही राजनीतिक बहस छिड़ गई।

“अब हरीश रावत वानप्रस्थ की उम्र में हैं” — सुबोध उनियाल

मंत्री का हमला यहीं नहीं रुका। उन्होंने आगे कहा —

“अब हरीश रावत जी को घर में बैठकर राम का भजन करना चाहिए।
अगर उन्होंने मेरी सलाह पहले मान ली होती, तो शायद तीन बार चुनाव हारने की नौबत न आती।”

सुबोध उनियाल ने कहा कि उन्होंने 2017 और 2022 दोनों चुनावों में हरीश रावत को राजनीति से संन्यास लेने की सलाह दी थी, लेकिन उन्होंने नहीं मानी।

“अब अच्छा होगा कि वो राजनीति छोड़कर शांति से जीवन जिएं,”
उन्होंने व्यंग्य भरे लहजे में कहा।

कभी साथी थे, अब बने विरोधी

राजनीतिक रूप से देखें तो यह बयान सिर्फ व्यक्तिगत नहीं है।
सुबोध उनियाल और हरीश रावत कभी एक ही टीम में थे
सुबोध उनियाल ने कांग्रेस सरकार में मंत्री के रूप में काम किया था, लेकिन बाद में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया
तभी से दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक दूरी और कटुता बढ़ती गई।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बयान न केवल व्यक्तिगत हमला है,
बल्कि 2027 के चुनावी समीकरणों की झलक भी देता है।
दोनों दल अब से ही अपने-अपने नेताओं के दम पर चुनावी रणनीति तैयार कर रहे हैं।

कांग्रेस का पलटवार — “हताशा की निशानी है बयान”

सुबोध उनियाल के बयान पर कांग्रेस ने भी जवाबी हमला किया।
पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा —

“भाजपा को विकास की बात करनी चाहिए, न कि व्यक्तिगत हमले करने चाहिए।
जब किसी के पास उपलब्धियां नहीं होतीं, तो वो दूसरों पर कीचड़ उछालने लगते हैं।”

कांग्रेस का दावा है कि हरीश रावत आज भी जनता के बीच लोकप्रिय हैं,
जबकि भाजपा इस तरह के बयानों से जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाने की कोशिश कर रही है।

“सियासी वार्म-अप” की शुरुआत

सुबोध उनियाल के बयान के बाद उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है
सोशल मीडिया पर दोनों दलों के समर्थक एक-दूसरे पर तीखे कमेंट कर रहे हैं।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह बयान
2027 के चुनावी रण की “वार्म-अप फाइट” की शुरुआत है।
दोनों दल अब एक-दूसरे पर हमले तेज करने लगे हैं।

जनता तय करेगी — राजनीति या परिहास?

फिलहाल, हरीश रावत ने इस विवाद पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
लेकिन उनके समर्थक कह रहे हैं —

“जो कभी उनके साथ थे, वही अब नसीहत देने लगे हैं।”

उत्तराखंड की राजनीति में व्यक्तिगत बयानबाजी नई नहीं है,
पर इस बार के शब्द पहले से कहीं ज्यादा तीखे और व्यक्तिगत लग रहे हैं।

2027 के चुनाव भले अभी दूर हों,
लेकिन जिस तरह नेता एक-दूसरे पर हमले और कटाक्ष करने लगे हैं,
उससे साफ है कि आने वाला साल “सियासी गर्मी और बयानबाजी का मौसम” लेकर आएगा।

निष्कर्ष

उत्तराखंड की राजनीति फिलहाल अपने चरम पर है।
सुबोध उनियाल के तीखे बयान ने न सिर्फ राजनीतिक बहस को गरमाया है,
बल्कि आने वाले चुनावों के लिए मंच तैयार कर दिया है

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि
हरीश रावत जवाब देते हैं या मौन साधते हैं,
क्योंकि आने वाले दिनों में हर बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा बन सकता है।

Spread the News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *