Mrs Chatterjee Vs Norway की कहानी आपका दिल छू लेगी
Mrs Chatterjee Vs Norway Review: एक मां अपने बच्चे को पाने के लिए कितने हद तक जा सकती है? जब एक मां को उसके ही बच्चे से अलग कर तो उस मां के दिल पर क्या गुजरती है? आखिर क्या एक मां को मिल पायेंगे उसके बच्चे? यही कहानी है Mrs Chatterjee Vs Norway की.
फिल्म की स्टोरी
सबसे पहले तो आपको बता दें की इस फिल्म की कहानी सच्ची घटना पर अधारित है. ये सागरिका भट्टाचार्य की जिंदगी की कहानी है जो उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी The Journey of a Mother में बताई थी. कहानी एक इंडियन कपल की है जो नॉर्वे शिफ्ट हो जाता है और वहां उनके बच्चों को चाइल्ट वेलफेयर वाले उठाकर ले जाते हैं. आरोप लगता है कि ये कपल बच्चों की परवरिश ठीक से नहीं कर रहा और फिर शुरू होती है एक मां की अपने बच्चों को वापस लाने के लिए जंग. इस जंग में एक मां किस हद तक जाती है यही फिल्म की कहानी है.
कैसी है फिल्म?
फिल्म से जितनी उम्मीद थी उतनी अच्छी नहीं है. फिल्म का फर्स्ट हाफ बोरिंग लगता है. एक दमदार कहानी होने के बावजूद फिल्म आपको बांध नहीं पाती. जितना फिल्म के ट्रेलर को दमदार दिखाया गया था . उतनी ही फिल्म ठीली पड़ जाती है. कहानी में काफी दम है लेकिन फर्स्ट हाफ में फिल्म उम्मीदों को तोड़ देती है लेकिन सेकेंड हाफ में फिल्म कमबैक करती है. कोर्टरूम ड्रामा जबरदस्त है और सेकेंड हाफ में आपको लगता है कि इस फिल्म में दम है. कुल मिलाकर फिल्म का सेकेंड हाफ ही अच्छा लगता है और उसके लिए ये फिल्म देखी जा सकती है. फिल्म के कुछ डायलॉग बांग्ला में हैं, कुछ इंग्लिश में हैं. सब टाइटल्स का सहारा लिया गया है लेकिन फिर भी कुछ दर्शकों को समझने में दिक्कत हो सकती है .
एक्टिंग
रानी मुखर्जी इस फिल्म की जान है. रानी ने हर सीन में कमाल का काम किया है. एक मां के रूप में रानी फिल्म में जान डाल देती है. रानी फर्स्ट हाफ में भी कमाल की एक्टिंग करती हैं लेकिन फिल्म का स्क्रीनप्ले शायद ऐसा है कि आपको वो इमोशन महसूस नहीं होता है. सेकेंड हाफ में भी रानी ने कमाल का काम किया है. रानी के पति के किरदार में अनिर्बान भट्टाचार्य ने अच्छी एक्टिंग की है. जिम सरभ का काम अच्छा है. नीना गुप्ता की एक्टिंग भी दमदार है.
डायरेक्शन
फिल्म को अशिमा छिब्बर ने डायरेक्ट किया है. फिल्म का डायरेक्शन ठीक है लेकिन फर्स्ट हाफ में इमोशन को दिखाने में नाकाम रहीं. जिसे फिल्म की जान कहा जा रहा था. सेकेंड हाफ में उन्होंने फिल्म पर पकड़ जरूर बनाई लेकिन अच्छी फिल्म के लिए दोनों हाफ अच्छे होने जरूरी हैं. फिल्म की सिनेमैटोग्राफी अच्छी है. नॉर्वे के सीन अच्छे शूट हुए हैं और कोर्ट के सीन्स को भी अच्छे से फिल्माया गया है.
रानी मुखर्जी इस फिल्म की जान है. रानी ने हर सीन में कमाल का काम किया है. एक मां के रूप में रानी फिल्म में जान डाल देती है. रानी फर्स्ट हाफ में भी कमाल की एक्टिंग करती हैं लेकिन फिल्म का स्क्रीनप्ले शायद ऐसा है कि आपको वो इमोशन महसूस नहीं होता है. सेकेंड हाफ में भी रानी ने कमाल का काम किया है. रानी के पति के किरदार में अनिर्बान भट्टाचार्य ने अच्छी एक्टिंग की है. जिम सरभ का काम अच्छा है. नीना गुप्ता की एक्टिंग भी दमदार है.