जलवायु परिवर्तन के बुरे प्रभावों को अब भी नियंत्रित किया जा सकता है

इंसानी गतिविधियों के कारण अब दुनिया का तापमान बढ़ रहा है.जलवायु परिवर्तन अब इंसानी जीवन के हर पहलू को ख़तरे में डाल रहा है.

Bad Effects Of Climate

Climate Change Can Be Control: इंसानी गतिविधियों के कारण अब दुनिया का तापमान बढ़ रहा है.जलवायु परिवर्तन अब इंसानी जीवन के हर पहलू को ख़तरे में डाल रहा है.

यदि इस मुद्दें पर ध्यान न दिया गया तो भविष्य में भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है.

इसकी वज़ह से इंसान और प्रकृति सूखा, समुद्र के बढ़ते जलस्तर और प्रजातियों के बड़े पैमाने पर विलुप्त होने के साथ ही विनाशकारी गर्मी का अनुभव करेंगे.

दुनिया के सामने एक बड़ी चुनौती है, लेकिन इसके संभावित समाधान भी हैं.

जलवायु परिवर्तन क्या है?

जलवायु कई सालों में किसी क्षेत्र के औसत मौसम को कहते हैं. और जब उन परिस्थितियों में औसत बदलाव आता है तो उसे जलवायु परिवर्तन कहते हैं.

आज हम जलवायु परिवर्तन में जो तेज़ बदलाव देख रहे हैं, वह इंसानों द्वारा अपने घरों, कारखानों और परिवहन के लिए तेल, गैस और कोयले का उपयोग करने की वजह से होता है.

जब हमारे द्वारा ये जीवाश्म ईंधन जलते हैं, तो वे ग्रीनहाउस गैसें छोड़ते हैं जिनमें ज़्यादातर कार्बन डाइऑक्साइड गैस होती है. ये गैसें धरती के सुरक्षा कवच का काम करने वाली ओज़ोन परत को नुक़सान पहुंचाती हैं.

ओज़ोन परत में छेद होने की वजह से सूर्य की गर्मी धरती पर ज़रूरत से ज़्यादा पहुंचती है और इससे धरती का तापमान बढ़ जाता है.

साथ ही साथ इन सूर्य की किरणों में हाानिकारक UV Rays होती है.

जो कि ओज़ोन परत में छेद होने की वज़ह से सीधी धरती पर आती है. जिसकी वज़ह से इंसानों को जानलेवा बीमारीयों का शिकार होना पड़ता है.

इस बढ़े हुए तापमान का असर ये होता है कि ग्लेशियर की बर्फ़ तेज़ी से पिघलने लगती है और समंदर का स्तर बढ़ जाता है.

19वीं शताब्दी की तुलना में दुनिया अब लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस ज़्यादा गर्म है और वातावरण में CO2 की मात्रा में 50 percentage की वृद्धि हुई है.

Ozone Layer Depletion के कारण क्या हैं ?

जलवायु वैज्ञानिकों के मुताबिक़, यदि हम जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे परिणामों से बचना चाहते हैं तो तापमान वृद्धि को धीमा करना होगा.

उनका कहना है कि ग्लोबल वॉर्मिंग के स्तर को 2100ई . तक 1.5C सतक बनाए रखने की ज़रूरत है.

स्वतंत्र क्लाइमेट ऐक्शन ट्रैकर ग्रुप की 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस सदी के अंत तक दुनिया 2.4 डिग्री सेल्सियस वार्मिंग की ओर बढ़ रही थी.

यदि कुछ नहीं किया गया तो वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि भविष्य में ग्लोबल वाॅर्मिंग 4 डिग्री सेल्सियस से भी ज़्यादा हो सकती है, जिससे भयानक गर्मी की लहरें उठेंगी, लाखों लोग अपने घरों को बढ़ते समुद्र के जलस्तर में खो देंगे और पौधों और जानवरों की प्रजातियों की अपरिवर्तनीय हानि होगी.

जलवायु परिवर्तन का बुरा प्रभाव खौफ़नाक है!

दुनिया भर में बिगड़ते मौसम की घटनाएं पहले से ही ज्यादा तीव्र हो गई हैं जिससे जीवन और आजीविका को ख़तरा पैदा हो गया है.

धरती पर गर्मी के इसी तरह बढ़ने से कुछ इलाके बंजर हो सकते हैं, क्योंकि खेत रेगिस्तान के रुप में बदल जाएंगे.

पूर्वी अफ्रीका में लगातार पांचवें साल बारिश नहीं हुई जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाघ कार्यक्रम का कहना है कि इस वजह ने 2.2 करोड़ लोगों को भूख के गंभीर ख़तरे में डाल दिया है.

अत्यधिक तापमान जंगल की आग के ख़तरे को भी बढ़ा सकता है, जैसा कि पिछली गर्मियों में यूरोप में देखा गया था.

फ्रांस और जर्मनी  में औसत की तुलना में जनवरी और जुलाई 2022 के बीच लगभग सात गुना अधिक ज़मीन आग में जल गई.

गर्म तापमान का मतलब यह भी है कि जमी हुई बर्फ़ तेज़ी से पिघलेगी और समंदर का जलस्तर बढ़ेगा.

कई इलाकों में ज़्यादा बारिश की वजह से पिछले साल ऐतिहासिक बाढ़ आई, जैसे की चीन, पाकिस्तान और नाइजीरिया.

विकासशील देशों में रहने वाले लोगों को सबसे ज़्यादा नुक़सान होने की उम्मीद है क्योंकि उनके पास जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए कम संसाधन हैं .

लेकिन ये देश निराश है क्योंकि इन्होंने विकसित देशों के मुक़ाबले ग्रीनहाउस गैसों का कम उत्सर्जन किया है.

जलवायु परिवर्तन की वजह से धरती के महासागर और जलीय जीवन भी ख़तरे में हैं.

तेज़ी से गर्म होती धरती पर जीवधारियों के लिए ज़रूरी भोजन और पानी खोजना भी मुश्किल हो जाएगा.

उदाहरण के लिए पोलर बियर (भालू) मर सकते हैं क्योंकि आदतन वो बर्फ में रहने के आदी होते हैं, और हाथियों को एक दिन में 150-300 लीटर पानी खोजने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा.

जलवायु परिवर्तन दुनिया को कैसे प्रभावित करेगा?

दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन के अलग-अलग प्रभाव होंगे. IPCC के मुताबिक अगर वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5C के भीतर नहीं रखा गया है.

ब्रिटेन और यूरोप अत्यधिक बारिश की वजह से भयानक बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे.

मध्य पूर्व के देश अत्यधिक गर्मी की लहरों और व्यापक सूखे का अनुभव करेंगे.

प्रशांत क्षेत्र के द्वीप राष्ट्र समुद्र में डूब सकते हैं.

कई अफ़्रीकी देशों को सूखे और भोजन की कमी का सामना करना पड़ सकता है.

पश्चिमी अमेरिका में सूखे की स्थिति होने की संभावना है, जबकि अन्य इलाकों में ज़्यादा तीव्र तूफ़ान देखने को मिलेंगे.

ऑस्ट्रेलिया में अत्यधिक गर्मी और जंगल की आग से मौत होने की संभावनाएं होंगी.

जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित करने के लिए सरकारें क्या कर रही है?

कई देश सहमत हैं कि जलवायु परिवर्तन से केवल एक साथ काम करके ही निपटा जा सकता है.

नवंबर 2022 में मिस्र ने कॉप-27 नाम की एक शिखर सम्मेलन की मेज़बानी की. जहां दुनिया भर के नेता जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नई प्रतिबद्धताएँ बनाने के लिए एक साथ आए.

कई देशों ने 2050 तक “नेट ज़ीरो” लक्ष्य को प्राप्त करने का संकल्प किया है. इसका अर्थ है ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को जितना संभव हो उतना कम करना, और बाकी उत्सर्जन को वातावरण से बराबर मात्रा में सोंखकर कर संतुलित करना.

विशेषज्ञ सहमत हैं कि अब भी पर्यावरण को इन ख़तरों से बचाया जा सकता है. लेकिन सरकारों, व्यवसायों और नागरिकों को अब पर्याप्त परिवर्तन करने की ज़रूरत है.

व्यक्तिगत तौर पर क्या किया जा सकता है?

बड़े बदलाव सरकारों और व्यवसायों से आने की उम्मीद है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है. हमारे जीवन में कुछ छोटे बदलाव जलवायु को प्रभावित कर सकते है.

कम फ़्लाइट लें.

कार का इस्तेमाल न करें या इलेक्ट्रिक कार प्रयोग करें.

मीट और डेयरी प्रोडक्ट के इस्तेमाल कम करे.

ऊर्जा जरूरतों में कटौती करें.

कम ऊर्जा ख़पत वाले सामान ख़रीदें.

अपने घर के इन्सुलेशन में सुधार करें.

गैस सिस्टम से इलेक्ट्रिक हीट पंपों पर स्विच करें.

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