कांग्रेस के राम-भरत करवा पाऐंगे पार्टी में मिलाप?

Bjp vs Congress: कांग्रेस के राम-भरत करवा पाऐंगे पार्टी में मिलाप?

Puchta Hai UttaraKhand

Bjp vs Congress: कांग्रेस पार्टी में नेताओं की आपसी बयानबाजी कोई नई बात नहीं है।

लेकिन इस बार तुलना राम-भरत से हुई है।

जो कांग्रेस के लिए भी सही नहीं है।

और आने वाले चुनावी समय में कांग्रेस की चुनावी रणनीति के लिए भी सही नहीं है।

कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को कलयुग का राम,

और अपने आपको कलयुग का भरत बता रहें है।

जिसने देवभूमि में एक नए विवाद को जन्म दे दिया हैं।

आखिर कांग्रेस राम-भरत करके क्या जताने की कोशिश कर रही है।

एकदूसरे के धुर विरोधी सुर मे सुर कैसे मिला रहैं हैं।

क्या 24 के चुनाव से पहले कांग्रेस के ये नेता ये बताने,

और दिखाने की कोशिश कर रहें हैं कि कांग्रेस में ALL IS WELL है।

हरक सिंह रावत के जुबानी हमलें

Bjp vs Congress: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ऊपर किए गए हरक सिंह रावत के जुबानी हमलों पर अब पार्टी के नेता भी गोलमाल जवाब देते हुए नजर आए।

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करण मेहरा की माने तो अगर 2016 में सियासी घटनाक्रम के लिए दोषी माना जाए,

तो वह कांग्रेसी विधायकों की वजह से नहीं बल्कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के इशारे पर हुआ था।

साथ ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आप अगर राम भरत के बात हो रही है।

तो इस युग में भी राम भरत का मिलाप होना चाहिए।

कौन सा राम और कौन सा भरत सही है?

Bjp vs Congress: बीजेपी एक बार फिर कांग्रेस के नेताओं की आपसी से बयान बाजी को कांग्रेस का अंदरूनी मामला बता रही है।

लेकिन साथ ही कांग्रेस के इस अंतर्द्वंद पर भी तंज  कस रही है।

और कह रही है कि अब तो कांग्रेस के नेताओं को ही बताना चाहिए कि कौन सा राम और कौन सा भरत सही है।

कांग्रेस पार्टी के लिए चिंता का विषय

Bjp vs Congress: उत्तराखंड कांग्रेस में अभी प्रदेश प्रभारी का विवाद समाप्त भी नहीं हुआ था कि राम भरत का नया विवाद शुरू हो गया है।

जो कांग्रेस पार्टी के लिए चिंता का विषय और विपक्षी दलों के लिए कटाक्ष करने का एक सुनहरा अवसर बन गया है।

ऐसे में यह होगा कि कांग्रेस पार्टी कैसे इन विवादों से निपट पाती है।

और अपने नेताओं की बेलगाम होती बयानबाजी पर कंट्रोल कर पाती है।

क्योंकि आने वाला समय चुनाव का है ऐसे में बेलगाम बयानबाजी कांग्रेस पार्टी की चुनावी रणनीति पर भी बुरा असर डाल सकती है। 

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