मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन निरीक्षण

मध्य प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए सख्ती का रुख अपनाया है। लंबे समय से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित करने वाले शिक्षकों और स्टाफ के मनमाने रवैये को रोकने के लिए अब ऑनलाइन निरीक्षण प्रणाली लागू की जा रही है।

भोपाल संभाग में शुरू हुआ ऑनलाइन मॉनिटरिंग

भोपाल संभाग के सभी सरकारी स्कूलों में अब ऑनलाइन निगरानी शुरू कर दी गई है। इसके लिए संभागीय कार्यालय में विशेष निगरानी सेल बनाई गई है। यह सेल भोपाल, राजगढ़, विदिशा, रायसेन और सीहोर जिलों के स्कूलों की गतिविधियों पर सीधी नजर रखेगी।

अधिकारियों का कहना है कि इससे यह सुनिश्चित होगा कि:

  • शिक्षक नियमित रूप से स्कूल आएं।
  • सभी कक्षाएं समय पर ली जाएं।
  • छात्रों के साथ अनुशासन बना रहे।

आने वाले महीनों में इसे पूरे प्रदेश में लागू करने की योजना है।

कमजोर प्रदर्शन वाले स्कूलों पर खास निगरानी

विभाग ने उन स्कूलों पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है जिनका रिज़ल्ट पिछली बार औसत या कमजोर रहा था। लगभग 150 सरकारी स्कूलों का प्रदर्शन 10वीं और 12वीं कक्षाओं में निराशाजनक रहा।

अब इन स्कूलों को “हाई-अलर्ट” श्रेणी में रखा गया है। ऑनलाइन मॉनिटरिंग के जरिए:

  • शिक्षकों के आने-जाने का समय।
  • पीरियड और छात्रों की उपस्थिति।
  • पढ़ाई के माहौल पर नजर रखी जाएगी।

लापरवाही पाए जाने पर तत्काल नोटिस और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

छात्रों और अधिकारियों का सीधा संवाद

ऑनलाइन निरीक्षण की सबसे खास बात यह है कि अधिकारी सीधे छात्रों से संवाद कर सकेंगे।

  • वीडियो कॉल या मोबाइल के माध्यम से छात्रों से शिक्षकों के व्यवहार और पढ़ाई के माहौल के बारे में जानकारी ली जाएगी।
  • किसी भी शिकायत की तुरंत जांच की जाएगी।

यह कदम केवल सज़ा देने के लिए नहीं, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और बच्चों के भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए है।

ऑनलाइन और ऑफलाइन निगरानी दोनों जारी

संभागीय संयुक्त संचालक अरविंद चौरगढ़े ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा मंडल की अर्धवार्षिक परीक्षाओं के बाद फोकस ऑनलाइन निरीक्षण पर रहेगा।

  • कमजोर प्रदर्शन वाले स्कूलों में रेमेडियल क्लास भी लगाई जाएगी।
  • इन कक्षाओं की भी ऑनलाइन मॉनिटरिंग की जाएगी।
  • समय-समय पर ऑफलाइन निरीक्षण भी जारी रहेगा।

परिणाम: शिक्षकों में जवाबदेही, छात्रों में नई उम्मीद

  • शिक्षकों में अनुशासन और जवाबदेही बढ़ेगी।
  • छात्रों और अभिभावकों में उम्मीद जगी है कि पढ़ाई अब अधिक नियमित और प्रभावी होगी।
  • राज्य सरकार का कहना है कि यह कदम बेहतर और आधुनिक शिक्षा प्रणाली की दिशा में बड़ा बदलाव है।

मध्य प्रदेश सरकार की यह पहल शिक्षा व्यवस्था में नई क्रांति साबित हो सकती है। अब समय आ गया है जब “स्कूल का ताला खुला, लेकिन मास्टर साहब गायब” जैसी कहावतें इतिहास बन जाएँ।

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