मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा में बड़ा सुधार

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को आयोजित उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों और सरकारी महाविद्यालयों में रोजगारपरक और कौशल-आधारित कोर्स शुरू किए जाएं।
उन्होंने कहा —
“अब उच्च शिक्षा सिर्फ डिग्री तक सीमित नहीं रहेगी। हमारा लक्ष्य युवाओं को रोजगार, स्वावलंबन और स्टार्टअप की दिशा में आगे बढ़ाना है।”
शिक्षा का नया उद्देश्य — डिग्री से आगे, करियर की दिशा में
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी अवसरों की तलाश में है।
इसलिए शिक्षा प्रणाली को उनके भविष्य के अनुरूप बनाना सरकार की जिम्मेदारी है।
“हम चाहते हैं कि हमारे विश्वविद्यालय सिर्फ ज्ञान के केंद्र न रहें, बल्कि रोजगार और नवाचार के हब बनें,”
उन्होंने कहा।
पर्यटन क्षेत्र में नए अवसर — बनेगा ‘Tourism Career Pathway’
बैठक में पर्यटन क्षेत्र को लेकर विशेष चर्चा हुई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश के पास प्राकृतिक धरोहर, धार्मिक स्थल और सांस्कृतिक विविधता है, जो युवाओं के लिए रोजगार का बड़ा स्रोत बन सकती है।
उन्होंने निर्देश दिए कि उच्च शिक्षा विभाग पर्यटन और हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट से जुड़े नए कोर्स तैयार करे।
“हमारे राज्य में पर्यटन सिर्फ दर्शन नहीं, बल्कि रोजगार का माध्यम बन सकता है,”
सीएम ने कहा।
उन्होंने बताया कि टूर गाइडिंग, होटल मैनेजमेंट, सांस्कृतिक आयोजन और ट्रैवल टेक जैसे क्षेत्रों में युवाओं को जोड़ा जाएगा।
साथ ही, विश्वविद्यालयों को स्थानीय होटल चेन, उद्योगों और ट्रैवल एजेंसियों से साझेदारी कर इंटर्नशिप और ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू करने के निर्देश दिए गए।
स्टार्टअप और नवाचार पर जोर — ‘Campus to Company’ योजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के युवाओं में अपार संभावनाएं हैं, उन्हें बस सही दिशा और प्रोत्साहन की जरूरत है।
उन्होंने कॉलेज स्तर पर स्टार्टअप क्लब, इनक्यूबेशन सेंटर और इनोवेशन सेल स्थापित करने के निर्देश दिए।
“हमारा उद्देश्य यह है कि विद्यार्थी पढ़ाई के बाद नौकरी खोजने वाले नहीं, बल्कि नौकरी देने वाले बनें।”
इसके लिए सरकार ‘Campus to Company’ नाम की नई पहल शुरू करने जा रही है,
जिसके तहत विश्वविद्यालयों में इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स और सफल स्टार्टअप फाउंडर्स को जोड़ा जाएगा।
सीएम ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय अपने सिलेबस को उद्योग की जरूरतों के अनुरूप अपडेट करें, ताकि विद्यार्थियों को तकनीकी और व्यावहारिक दोनों अनुभव मिलें।
कृषि शिक्षा में नवाचार — तकनीक से जुड़ेगा खेती का भविष्य
बैठक में कृषि शिक्षा पर भी जोर दिया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि अब केवल खेतों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए,
बल्कि इसे टेक्नोलॉजी, रिसर्च और उद्यमिता से जोड़ने की आवश्यकता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि कृषि महाविद्यालयों में
एग्री-टेक्नोलॉजी, फूड प्रोसेसिंग और ऑर्गेनिक फार्मिंग जैसे कोर्स शुरू किए जाएं।
“हमारे किसान आधुनिक तकनीक सीखें और हमारे विद्यार्थी उन्हें नवाचार से जोड़ें — यही असली शिक्षा है,”
सीएम ने कहा।
राज्य सरकार चाहती है कि कृषि से जुड़े विद्यार्थी ड्रोन टेक्नोलॉजी, सेंसर बेस्ड सिंचाई और डिजिटल खेती जैसे नए क्षेत्रों में प्रशिक्षित हों।
शिक्षा को युवाओं की आकांक्षाओं से जोड़ने का आह्वान
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा का मूल्य तभी है जब वह जीवन में अवसर पैदा करे।
“हमें अपनी शिक्षा नीति को युवाओं की आकांक्षाओं से जोड़ना होगा,”
उन्होंने कहा।
उन्होंने कुलपतियों और कॉलेज प्राचार्यों से आग्रह किया कि
स्थानीय जरूरतों और उद्योग की मांग के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार करें,
और विद्यार्थियों में डिजिटल साक्षरता और स्किल डेवलपमेंट को बढ़ावा दें।
भविष्य की दिशा — “नवोन्मेषी शिक्षा, आत्मनिर्भर युवा”
बैठक के अंत में मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य
“Innovative Education, Self-Reliant Youth” की अवधारणा को साकार करना है।
“मध्य प्रदेश आने वाले वर्षों में उच्च शिक्षा का ऐसा मॉडल पेश करेगा
जो पारंपरिक शिक्षा से आगे बढ़कर इंडस्ट्री-कनेक्टेड, डिजिटल और ग्लोबल होगा।”
सरकार की इस पहल से छात्रों के लिए रोजगार के नए द्वार खुलेंगे
और प्रदेश की अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा का संचार होगा।
“हमारा विजन है — हर कॉलेज नवाचार और रोजगार का केंद्र बने।
यही ‘शिक्षित और सशक्त भारत’ की दिशा है।”

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