नीतीश का मास्टरस्ट्रोक, RJD में मचा भूचाल

बिहार की राजनीति एक बार फिर गर्म हो गई है।
विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक दलों के बीच जोड़-तोड़ और सियासी हलचल तेज होती जा रही है।
इस बार बाजी मारी है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने।
उन्होंने राजद (RJD) को बड़ा झटका देते हुए पार्टी के तीन विधायकों को अपने पाले में कर लिया।
तेजस्वी दिल्ली में, पटना में सियासी उलटफेर
इस पूरे घटनाक्रम की सबसे दिलचस्प बात यह रही कि जब राजद के तीन विधायक पार्टी छोड़ने की तैयारी में थे,
तब तेजस्वी यादव दिल्ली में कांग्रेस नेताओं के साथ सीट बंटवारे पर चर्चा कर रहे थे।
मगर इसी बीच पटना में बड़ा राजनीतिक भूचाल आया, जिससे RJD खेमे में हड़कंप मच गया।
तेजस्वी की गैरमौजूदगी में उनके तीन विधायकों ने पार्टी से किनारा कर लिया।
कौन-कौन विधायक छोड़ गए RJD?
राजद से अलग होकर जदयू (JDU) में शामिल होने वाले तीन विधायक हैं —
- छोटे लाल राय – परसा विधायक
- विभा देवी – नवादा विधायक
- प्रकाश वीर – रजौली विधायक
सोमवार को छोटे लाल राय और विभा देवी ने अपने समर्थकों के साथ पटना में जदयू की सदस्यता ली।
उन्हें मंत्री श्रवण कुमार ने पार्टी में शामिल कराया।
वहीं प्रकाश वीर मंगलवार सुबह नीतीश कुमार की मौजूदगी में औपचारिक रूप से जदयू में शामिल होंगे।
लालू के करीबी छोटे लाल राय का जाना सबसे बड़ा झटका
छोटे लाल राय का पार्टी छोड़ना RJD के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है।
वे लालू प्रसाद यादव के भरोसेमंद नेताओं में गिने जाते थे और 2020 में परसा सीट से RJD के टिकट पर जीते थे।
उनके जाने से न सिर्फ राजद कमजोर हुआ है, बल्कि परसा सीट पर नए राजनीतिक समीकरण भी बनते दिख रहे हैं।
स्थानीय राजनीति में माना जा रहा है कि अब यह सीट जदयू के पक्ष में झुक सकती है।
विभा देवी और प्रकाश वीर के शामिल होने से JDU को फायदा
नवादा की विधायक विभा देवी भी सोमवार को जदयू में शामिल हुईं।
वे स्थानीय राजनीति में एक प्रभावशाली चेहरा हैं, और उनके पति पूर्व सांसद अनिल यादव का भी बड़ा प्रभाव है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि विभा देवी के आने से जदयू को नवादा और आसपास के इलाकों में मजबूती मिलेगी।
वहीं प्रकाश वीर भी मंगलवार को पार्टी जॉइन करेंगे और आगामी चुनाव में जदयू टिकट पर लड़ सकते हैं।
नीतीश कुमार का मास्टरस्ट्रोक, RJD में खलबली
तीन विधायकों का एक साथ पार्टी छोड़ना नीतीश कुमार का बड़ा मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है।
यह कदम ऐसे वक्त उठाया गया जब तेजस्वी यादव दिल्ली में व्यस्त थे।
नीतीश ने मौके का फायदा उठाकर न सिर्फ RJD में सेंध लगाई, बल्कि चुनाव से पहले अपनी पार्टी को संगठनात्मक रूप से मजबूत भी किया।
अब RJD में असंतोष की लहर है।
पार्टी नेतृत्व इन इस्तीफों को रोक नहीं पाया, जिससे कार्यकर्ताओं में नाराज़गी है।
वहीं जदयू नेता इसे “जनता का भरोसा नीतीश पर लौटना” बता रहे हैं।
बदलते समीकरण और बढ़ती सियासी सरगर्मी
बिहार की राजनीति में यह घटना चुनाव से पहले का सबसे बड़ा बदलाव मानी जा रही है।
जहां तेजस्वी यादव महागठबंधन को एकजुट करने की कोशिश में हैं, वहीं नीतीश कुमार विपक्षी खेमे को कमजोर करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम चुनावी नतीजों पर बड़ा असर डाल सकता है।
अब यह साफ है कि नीतीश कुमार और जदयू पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर चुके हैं।
अब सवाल — बाज़ी कौन मारेगा?
तेजस्वी यादव की गैरमौजूदगी में तीन विधायकों का जाना
RJD के लिए राजनीतिक संकट साबित हो सकता है।
बिहार की सियासत अब नीतीश बनाम तेजस्वी के नए दौर में प्रवेश कर चुकी है।
देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में कौन बाज़ी मारता है — नीतीश या तेजस्वी!

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