पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाने वाला पवित्र व्रत

करवा चौथ भारत में मनाया जाने वाला एक बहुत ही खास पर्व है।
यह दिन विवाहित महिलाओं के लिए समर्पित होता है, जो अपने पति की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं।

आज के समय में अविवाहित लड़कियां भी यह व्रत रखती हैं, ताकि उन्हें मनचाहा जीवनसाथी मिल सके।

करवा चौथ 2025 की तारीख और समय

तारीख: शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025

  • 🌅 व्रत प्रारंभ का समय: सुबह 06:19 बजे से
  • 🍽️ सरगी का समय: सुबह 05:30 बजे से पहले
  • 🕯️ पूजा मुहूर्त: शाम 05:57 बजे से 07:11 बजे तक
  • 🌝 चंद्रोदय का समय: रात 08:13 बजे

महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी खाकर निर्जला व्रत शुरू करती हैं और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करती हैं।

छलनी से चंद्रमा और पति का चेहरा क्यों देखा जाता है?

करवा चौथ की सबसे खास परंपरा होती है —
छलनी से चंद्रमा को देखना और फिर पति का मुख देखना।

यह परंपरा धार्मिक और भावनात्मक दोनों रूपों में बेहद महत्वपूर्ण है।

धार्मिक मान्यता

माना जाता है कि चंद्रमा और पति के दर्शन से व्रती को अक्षय सौभाग्य प्राप्त होता है।
पति का चेहरा छलनी से देखने का अर्थ है कि वह सौभाग्य का प्रतिबिंब बन जाए।

सांकेतिक अर्थ

छलनी संयम और श्रद्धा का प्रतीक है।
यह दिखाती है कि व्रती ने पूरे दिन व्रत को भक्ति और आत्मनियंत्रण से निभाया है।
पति के दर्शन व्रत की पूर्णता का प्रतीक माने जाते हैं।

पौराणिक कथा

एक कथा के अनुसार, एक सती स्त्री ने छलनी से चंद्रमा के दर्शन कर अपने पति की आयु बढ़ाई थी।
तब से यह परंपरा चली आ रही है कि पहले चंद्रमा को देखकर अर्घ्य दिया जाता है, और फिर पति का मुख देखा जाता है।

करवा चौथ व्रत के लाभ और मान्यताएं

  • 🪔 करवा माता की पूजा से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
  • 💰 व्रत से पारिवारिक समृद्धि और सौभाग्य बढ़ता है।
  • 💞 अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर मिलने की मान्यता है।
  • 💫 यह व्रत पति-पत्नी के प्रेम, निष्ठा और समर्पण का प्रतीक है।

निष्कर्ष

करवा चौथ सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि प्रेम और विश्वास का उत्सव है।
यह पर्व दिखाता है कि सच्चा प्यार त्याग, आस्था और एक-दूसरे के प्रति समर्पण से बनता है।

धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक —
हर दृष्टि से करवा चौथ भारतीय परंपरा का एक अनमोल हिस्सा है।

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