वकील ने CJI बी.आर. गवई पर फेंका जूता, मचा हड़कंप

भारत के सर्वोच्च न्यायालय में सोमवार को एक चौंकाने वाली घटना घटी।
71 वर्षीय वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश किशोर ने कथित रूप से मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर जूता फेंकने का प्रयास किया।
यह घटना सुबह 11:35 बजे अदालत की कार्यवाही के दौरान हुई, जिससे कोर्टरूम में अफरा-तफरी मच गई।
तुरंत हिरासत में लिए गए अधिवक्ता
घटना के बाद सुरक्षा में तैनात कर्मियों ने फौरन कार्रवाई करते हुए राकेश किशोर को हिरासत में ले लिया।
सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित कर दी गई, जबकि कोर्ट परिसर की सुरक्षा और कड़ी कर दी गई।
“दैवीय आदेश था” — वकील का सनसनीखेज बयान
हिरासत में लिए जाने के बाद राकेश किशोर ने चौंकाने वाला बयान दिया।
उन्होंने कहा —
“मुझे किसी दैवीय शक्ति ने ऐसा करने का आदेश दिया था। इससे अच्छा होता कि मैं जेल चला जाता। मुझे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है।”
उन्होंने बताया कि यह कदम उन्होंने तब उठाया जब CJI गवई एक संवेदनशील याचिका पर सुनवाई कर रहे थे —
जिसमें मध्यप्रदेश के खजुराहो स्थित प्राचीन विष्णु मंदिर की खंडित मूर्ति की पुनर्स्थापना की मांग की गई थी।
परिवार ने जताई नाखुशी, लेकिन वकील अडिग
राकेश किशोर ने स्वीकार किया कि उनका परिवार इस घटना से बेहद नाराज और व्यथित है।
उन्होंने कहा कि परिवार उनके इस कदम को “समझ नहीं पा रहा”,
लेकिन इसके बावजूद उन्होंने दोहराया —
“मुझे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है।”
बार काउंसिल ऑफ इंडिया की सख्त कार्रवाई
घटना के तुरंत बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने सख्त कदम उठाते हुए
राकेश किशोर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
बीसीआई अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने आदेश जारी करते हुए कहा —
“यह आचरण अधिवक्ता अधिनियम, 1961 का गंभीर उल्लंघन है और न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाला है।
ऐसा व्यवहार किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है।”
अब किसी अदालत में पेश नहीं हो सकेंगे
निलंबन के दौरान राकेश किशोर को
किसी भी अदालत, ट्रिब्यूनल या न्यायिक मंच पर पेश होने की अनुमति नहीं होगी।
बीसीआई ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू कर दी है,
जिसकी जांच एक स्वतंत्र समिति करेगी।
“न्यायपालिका की गरिमा सर्वोपरि है” — बार काउंसिल
बार काउंसिल ने यह स्पष्ट किया कि
सुप्रीम कोर्ट जैसे मंच पर किसी भी प्रकार का अभद्र या असंयमित आचरण अस्वीकार्य है।
बीसीआई के बयान में कहा गया —
“ऐसी घटनाएं न केवल न्यायिक प्रणाली की गरिमा को आहत करती हैं,
बल्कि जनता के न्यायपालिका पर भरोसे को भी कमजोर करती हैं।”
सुप्रीम कोर्ट परिसर में सुरक्षा और सख्त होगी
इस घटना के बाद सुप्रीम कोर्ट में सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा शुरू कर दी गई है।
सूत्रों के मुताबिक, आने वाले दिनों में
प्रवेश प्रक्रिया को और सख्त किया जा सकता है —
खासकर उन अधिवक्ताओं और आगंतुकों के लिए
जिनकी मानसिक स्थिति संदिग्ध या व्यवहार असामान्य पाया जाता है।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था में हुई यह घटना
न्यायपालिका की गरिमा और अनुशासन पर गहरी बहस छेड़ सकती है।
जहां एक ओर वकील राकेश किशोर अपने कदम को “दैवीय प्रेरणा” बता रहे हैं,
वहीं दूसरी ओर बार काउंसिल और न्यायिक समुदाय
ऐसे आचरण को न्याय के मूल सिद्धांतों के खिलाफ मान रहे हैं।

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