बिहार चुनाव 2025: मुस्लिम वोट किसके साथ?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियाँ जोरों पर हैं। इस बार सबसे बड़ा सवाल यही है कि मुस्लिम वोटर किसके साथ खड़े होंगे। एनडीए, महागठबंधन और नई पार्टियों के लिए यह समुदाय निर्णायक भूमिका निभाने वाला है।

वक्फ बोर्ड कानून बना बड़ा मुद्दा

इस चुनाव में मुस्लिम वोटरों को प्रभावित करने वाला सबसे अहम मुद्दा वक्फ बोर्ड कानून है।

  • भाजपा-जेडीयू का दावा – यह कानून किसी के खिलाफ नहीं है। मकसद सिर्फ वक्फ संपत्तियों पर से कब्जा हटाना और उनका सही इस्तेमाल करना है।
  • ललन सिंह का बयान – जेडीयू सांसद और केंद्रीय मंत्री का कहना है कि इस कानून से आम मुस्लिमों को फायदा होगा।
  • मुस्लिम नेताओं की नाराज़गी – कई संगठनों और नेताओं ने इसे मुस्लिम विरोधी बताते हुए जेडीयू से दूरी बना ली है। इससे समुदाय के भीतर जेडीयू के खिलाफ गुस्सा बढ़ा है।

जेडीयू और मुस्लिम वोटरों की दूरी

2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 11 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन नतीजा यह रहा कि सभी सीटों पर हार मिली
इस अनुभव ने साफ कर दिया कि मुस्लिम समुदाय अब सिर्फ टिकट या पुराने रिश्तों पर वोट नहीं देगा। वे चाहते हैं कि उनके हितों की सही सुरक्षा हो।

राजद का MY समीकरण

  • मुस्लिम-यादव (MY) गठजोड़ एक बार फिर राजद के लिए मजबूत होता दिख रहा है।
  • लालू प्रसाद यादव की सक्रियता और तेजस्वी यादव की कमान ने मुस्लिम वोटरों का भरोसा बढ़ाया है।
  • वक्फ बोर्ड कानून और घुसपैठ का मुद्दा भी मुस्लिम वोटरों को राजद की तरफ खींच रहा है।

AIMIM और जनसुराज की एंट्री

मुस्लिम वोट अब सिर्फ राजद और जेडीयू तक सीमित नहीं रहे।

  • AIMIM – पिछली बार 5 सीटें जीतकर अपनी मौजूदगी साबित कर चुकी है। इस बार भी उसका असर रहेगा।
  • जनसुराज पार्टी (प्रशांत किशोर) – मुस्लिम उम्मीदवारों को ज्यादा सीटें देने का वादा कर रही है। इससे मुस्लिम वोटरों का ध्यान उनकी ओर भी जा सकता है।

मुस्लिम वोटरों का फैसला

  • फिलहाल मुस्लिम समुदाय का झुकाव ज्यादा राजद की तरफ दिखाई दे रहा है।
  • AIMIM और जनसुराज पार्टी का अगला कदम तय करेगा कि वोट बंटेंगे या एकजुट होंगे।
  • एनडीए की चुनौती यह है कि क्या वह मुस्लिम वोटरों को अपने “सबका साथ, सबका विकास” एजेंडे से फिर से जोड़ पाएगी।

निष्कर्ष

2025 बिहार विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटर ही किंगमेकर साबित हो सकते हैं।

  • क्या वे राजद के MY समीकरण को मज़बूती देंगे?
  • जेडीयू की तरफ लौटेंगे?
  • AIMIM और जनसुराज जैसी नई पार्टियों को मौका देंगे?
  • या फिर बीजेपी अपने एजेंडे से उनका भरोसा जीत पाएगी?

इस बार चुनाव का रुख काफी हद तक मुस्लिम समुदाय के फैसले पर ही निर्भर करेगा। यही वजह है कि सभी पार्टियों की नजरें इन वोटों पर टिकी हुई हैं

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