बिहार वोटर लिस्ट पर फैसला, संसद में विपक्ष प्रदर्शन

बिहार SIR विवाद: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और 1 अगस्त को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी
मुख्य बिंदु (Quick Highlights)
- सुप्रीम कोर्ट में 28 जुलाई को SIR (Special Intensive Revision) पर सुनवाई
- 1 अगस्त को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी होगी
- चुनाव आयोग की रिपोर्ट: 91.69% मतदाताओं ने फॉर्म भरे
- विवाद: गरीब, दलित, मुस्लिम और प्रवासी मतदाताओं पर असर का आरोप
- विपक्ष ने संसद में किया विरोध, सरकार ने आरोपों को नकारा
SIR प्रक्रिया क्या है?
Special Intensive Revision (SIR) एक विशेष प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को अद्यतन और शुद्ध करना है। इसमें:
- मृत, स्थानांतरित और डुप्लीकेट मतदाताओं को हटाना
- नए योग्य मतदाताओं को जोड़ना
- पहली बार बिहार में घर-घर जाकर गणना फॉर्म भरवाए गए
इसका मकसद है कि चुनावों में फर्जी या अवांछित नाम न रहें और हर वैध नागरिक को मतदान का अधिकार मिले।
अब तक क्या हुआ? (आंकड़ों में)
विवरण | आंकड़े | प्रतिशत |
---|---|---|
कुल मतदाता | 7.89 करोड़ | 100% |
फॉर्म जमा करने वाले | 7.24 करोड़ | 91.69% |
मृत पाए गए मतदाता | 22 लाख | 2.83% |
अन्य राज्यों में स्थानांतरित | 36 लाख | 4.59% |
डुप्लीकेट पंजीकरण | 7 लाख | 0.89% |

ड्राफ्ट वोटर लिस्ट:
1 अगस्त को प्रकाशित होगी। इसके बाद आम जनता आपत्ति या दावा दर्ज कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई: क्या हुआ?
- 28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में SIR पर सुनवाई हुई
- कोर्ट ने अभी कोई स्टे (रोक) नहीं लगाया, क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने ऐसा अनुरोध नहीं किया
- कोर्ट ने माना कि मामला गंभीर और संवेदनशील है
- अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि 1 अगस्त से पहले लिस्ट पर सुनवाई ज़रूरी है ताकि जनता को समय मिल सके दावा/आपत्ति दाखिल करने का
विवाद क्यों हो रहा है?
विपक्ष और संगठनों के आरोप:
- गरीब, दलित, मुस्लिम और प्रवासी मतदाता अधिक प्रभावित हो सकते हैं
- बहुत से लोगों के पास जरूरी दस्तावेज नहीं हैं, जिससे नाम हट सकता है
- बीएलओ पर आरोप: राजनीतिक दबाव और भेदभाव
- कुछ स्थानों पर मृतकों के नाम से फॉर्म भरे गए
राजनीतिक प्रतिक्रिया:
विपक्ष (RJD, कांग्रेस, वाम दल) ने इसे “वोटर डिलीशन ड्राइव” कहा और संसद में वाकआउट व नारेबाज़ी की।
सरकार और चुनाव आयोग ने इन आरोपों को ग़लत और भ्रामक बताया।
ग्राउंड रिपोर्ट: लोगों की प्रतिक्रिया
- कई लोगों को पता ही नहीं चला कि उनका नाम सूची से हट गया है
- समाजिक संगठनों का कहना है:
- जनजागरूकता की भारी कमी रही
- सुधार और आपत्ति के लिए समय बहुत कम दिया गया है
- प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है Source — https://www.livehindustan.com/bihar/supreme-court-bihar-sir-voter-list-eci-special-intensive-revision-case-parliament-protest-rjd-bjp-jdu-congress-reactions-live-blog-201753680344532.html (This article is written by Shreya Bharti, Intern at News World India.)

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