ऑनलाइन सट्टेबाज़ी केस: Google-Meta पर शिकंजा

नई दिल्ली:
भारत में ऑनलाइन सट्टेबाज़ी ऐप्स को लेकर सरकार ने अपनी जांच तेज कर दी है। इसी क्रम में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दो टेक दिग्गज कंपनियों — Google और Meta को नोटिस भेजा है।

इन कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों को 21 जुलाई 2025 को पूछताछ के लिए बुलाया गया है।

नोटिस क्यों भेजा गया?

ED का आरोप है कि Google और Meta ने अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर गैरकानूनी सट्टेबाज़ी ऐप्स के विज्ञापन चलाए और उन्हें प्रमोट किया।

  • इन ऐप्स को “स्किल-बेस्ड गेम्स” बताकर लोगों को गुमराह किया गया।
  • जबकि असल में ये ऐप्स जुए और सट्टे से जुड़े थे।
  • इन विज्ञापनों के ज़रिए ये ऐप्स लाखों लोगों तक पहुंचे, जिससे कई यूज़र्स को आर्थिक नुकसान भी हुआ।
  • साथ ही, इससे जुड़ा पैसा भी गैरकानूनी तरीके से इधर-उधर हुआ।

एल्गोरिदम ने कैसे बढ़ाई मुश्किल?

ED का कहना है कि सिर्फ विज्ञापन दिखाना ही नहीं, बल्कि Google और Meta के एल्गोरिदम भी इन ऐप्स के फैलाव में शामिल थे।

  • एल्गोरिदम वह तकनीक है जो तय करती है कि यूज़र को क्या दिखाया जाएगा।
  • ED का आरोप है कि इसी सिस्टम ने इन ऐप्स को तेज़ी से वायरल किया और बड़ी संख्या में लोगों तक पहुंचाया।

ED के सवाल — जवाब देना ज़रूरी

पूछताछ के दौरान ED इन कंपनियों से कुछ अहम सवालों के जवाब चाहता है:

  1. क्या इन ऐप्स की पहले सही से जांच की गई थी?
  2. क्या कंपनियों को पता था कि ये ऐप्स भारतीय कानून के खिलाफ हैं?
  3. क्या उन्होंने अपनी विज्ञापन नीति का पालन किया?

ED का मानना है कि इतनी बड़ी कंपनियों की मंजूरी और समर्थन के बिना कोई भी ऐप इस हद तक वायरल नहीं हो सकता।

अब सिर्फ ऐप नहीं, प्लेटफॉर्म भी ज़िम्मेदार

अब तक अधिकतर मामलों में सिर्फ ऐप के मालिक या प्रमोटर ही जांच के घेरे में आते थे।
लेकिन इस बार ED ने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स — यानी Google और Meta — को भी सीधे तौर पर ज़िम्मेदार ठहराया है।

इसका मतलब है कि अब सिर्फ ऐप बनाने वाले नहीं, बल्कि उन्हें दिखाने वाले भी कानून के दायरे में आएंगे।

आगे क्या हो सकता है?

अगर जांच में यह साबित हो जाता है कि Google और Meta ने:

  • जानबूझकर, या
  • लापरवाही से ऐसे ऐप्स को प्रमोट किया,

तो इन कंपनियों को:

  • भारी जुर्माना,
  • कानूनी कार्रवाई, या
  • विज्ञापन पर रोक जैसी सज़ा का सामना करना पड़ सकता है।

21 जुलाई: एक अहम दिन

Google और Meta को अब यह बताना होगा कि उन्होंने:

  • इन ऐप्स को अपने प्लेटफॉर्म पर कैसे और क्यों अनुमति दी,
  • और क्या उनके पास ऐसा करने का कोई वैध आधार था।

21 जुलाई को होने वाली पूछताछ इस पूरे मामले में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकती है।

निष्कर्ष

यह मामला भारत में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की जवाबदेही को लेकर एक नई दिशा तय कर सकता है।
अब सिर्फ ऐप डेवलपर्स ही नहीं, बल्कि उन्हें बढ़ावा देने वाले बड़े प्लेटफॉर्म्स को भी जवाब देना होगा।

अगली बड़ी अपडेट 21 जुलाई की पूछताछ के बाद सामने आने की संभावना है।

(This article is written by Pragya Rai, Intern at News World India.)

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