Bihar: गंगा नदी में गिरा पुल…सियासत में बिहार
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Bridge Collapsed In Ganga River
Bridge Collapsed In Ganga River: गंगा नदी में बहे निर्माणाधीन पुल के गिरने की. रविवार सुबह बिहार के खगड़िया-अगुवानी-सुल्तानगंज के बीच एक निर्माणाधीन पुल गंगा नदी में समा गया.
हालांकि राहत ये रही कि हादसे में किसी के हताहत होने की कोई ख़बर नहीं थी.पुल ढहने का वीडियो बाद में तेज़ी से सोशल मीडिया पर तैरने लगा.
बिहार में पुल गिरा तो सियासत भी लाज़मी थी. क्योंकि साल 2014 में इस पुल का शिलान्यास खुद सीएम नीतीश कुमार ने किया था. तब पुल बनाने की लागत 600 से 700 करोड़ रुपये तक तय की गई थी. लेकिन 2023 आते आते ये कीमत 1717 करोड़ हो गई.
बीजेपी ने जेडीयू पर निशाना साधा
राज्य सरकार बड़े अधिकारियों से कमीशनखोरी कर जनता का पैसा हड़प कर रही है. और राज्य के विकास को रोककर, जनता की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है. ये आरोप राज्य की विपक्षी पार्टी बीजेपी ने लगाए हैं.
तो वहीं जेडीयू का इस मामले में कहना है कि मामले की जांच की जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.
सोमवार को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने पुल निर्माण में हुई धांधली और भ्रष्टाचार की जांच सीबीआई या पटना हाई कोर्ट के सिटिंग जज से कराने की मांग की है.
वहीं चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा की नीतीश कुमार अंधे में काना राजा है. उन्हें ऐसा लगता है की वो बिहार में सबसे पढ़े लिखे नेता है.
जेडीयू का बीजेपी पर पलटवार
डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के भाई तेज प्रताप ने उल्टा बीजेपी पर पलटवार करते है इसे बीजेपी की साज़िश कह डाला है. बात फिर से वहीं आकर ठहर गई है.
राज्य में वैसे भी विपक्ष की महापंचायत पर फिलहाल हॉल्ट लगा हुआ है. क्योंकि नीतीश कुमार को कांग्रेस के प्रमुखों की तारीख़ नहीं मिली है. और बिना कांग्रेस, विपक्ष का मोदी पर वार हल्का ही रहेगा.
राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी का जनसंपर्क अभियान जारी
बीजेपी राष्ट्रीय स्तर पर जनसंपर्क अभियान चला रही है. अपने 9 सालों के कामकाज गुणगान कर रही है. पुल गिरे या हो ट्रेन हादसा लेकिन सियासत नॉन स्टॉप होती है. उसका सिग्नल हमेशा ग्रीन ही रहता है. देश के विकास के नाम पर सियासी पार्टियां सबकुछ क्या केवल सियासी चश्मे से ही देखती हैं.
नीतिश कुमार ने पुल गिरने को लेकर लिया कड़ा एक्शन
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने कहा की भागलपुर में पहले भी ऐसा हुआ था तब भी हमने पूछा था कि ऐसा क्यों हुआ? 2014 से इसपर काम शुरु हुआ था। पुल गिरने की घटना के बाद हमने विभाग के लोगों को एक्शन लेने के लिए कहा है
बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पुल का निर्माण नए सिरे से करवाने की बात कर रहे है.
करप्शन वाले पुल की ‘जलसमाधि’
कब बनना शुरु हुआ – 23 फरवरी 2014
2014 में किसकी सरकार- जेडीयू-बीजेपी
कौन बना रहा था- एसपी सिंगला कंपनी
लागत- 1750 करोड़
पहली बार गिरा- 27 अप्रैल 2022
कितना हिस्सा गिरा- 100 फुट स्लैब
4 जून को गिरा- 200 फुट स्लैब
कब उद्घाटन होना था- इसी साल नवम्बर में
2022-23 में बिहार में कितने पुल गिरे?
16 मई को पूर्णिया में पुल ढ़हा था
30 अप्रैल को भागलपुर-खगड़िया पुल गिरा
19 मार्च को सारण में पुल गिरा
19 फरवरी पटना में बन रहा पुल गिर गया
16 जनवरी को दरभंगा में पुल गिर गया
18 नवंबर 2022 में नालंदा में पुल गिर गया
9 जून 2022 को सहरसा में पुल गिरा
20 मई 2022 को पटना में पुराना पुल गिरा
2024 के लिए सियायत जारी रहेगी!
न तू सच्चा न मैं.जून की तपती गर्मी में पुल वाली पॉलिटिक्स ने पारा हाई कर दिया है. बस अब यही तो रह गया है पुल ढहने पर पॉलिटिक्स. ट्रेन की भिडंत पर पॉलिटिक्स.
विपक्ष के महाकुंभ पर पॉलिटिक्स. लेकिन जनता की फिक्र शायद किसी को भी नहीं है. यूं ही पुल ढहते रहेंगे.
यूं ही ट्रेन हादसे होते रहेंगे, लेकिन सियासतदानों को सिवाय सियासत के शायद कुछ सूझता ही नहीं है. क्योंकि सवाल 24 की कुर्सी का. ठीक है राजनीतिक पार्टियां अपनी राजनीति भरपूर करें
.लेकिन जनता के बारे में भी सोचे. और अब वक्त आ गया है कि जनता को भी थोड़ा समझदार होना पड़ेगा.
अपने हक का इस्तेमाल जाति, धर्म या पार्टी के परस्पेक्टिव के हिसाब से नहीं बल्कि विकास के मद्देनजर अपना और देश का भविष्य तय करें.
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