Filmfare अनैतिक और एंटी सिनेमा, नहीं बनूंगा इसका हिस्सा- विवेक अग्निहोत्री

Vivek Agnihotri

जम्मू और कश्मीर में 1990 में कश्मीरी पंडितों के साथ हुई हिंसा पर आधारित फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ को 68वें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स (Filmfare Awards) की सात श्रेणियों में नामांकन मिला है.

लेकिन इस फिल़्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री Vivek Agnihotri) ने इस अवॉर्ड का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया है.

ट्विटर पर उन्होंने लिखा, “मुझे मीडिया से पता चला है कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ को 68वें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स की 7 श्रेणियों में नामांकित किया गया है. लेकिन इन अनैतिक और सिनेमा विरोधी अवॉर्ड्स का हिस्सा बनने से मैं विनम्रता से इनकार करता हूं.”

जाने माने शायर दुष्यंत कुमार के लोकप्रिय शेयर का उल्लेख करते हुए उन्होंने लिखा, “सिर्फ़ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए.”

“मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए.”

इस अवॉर्ड्स का बॉयकॉट करने का कारण बताते हुए उन्होंने लिखा, “फिल्मफेयर के अनुसार, सितारों के अलावा, किसी का कोई चेहरा नहीं होता. कोई भी महत्वपूर्ण नहीं है. यही वजह है कि फिल्मफेयर की चापलूस और अनैतिक दुनिया में संजय भंसाली या सूरज बड़जात्या जैसे मास्टर डायरेक्टरों का कोई चेहरा नहीं है.”

इन अवाॅर्ड्स को बाॅयकाॅट करने के बारे में बताते हुए उन्होंने फिल्मफेयर के उस ट्वीट को रिट्वीट किया है, जिसमें बेस्ट डायरेक्टर के लिए नामांकित फिल्मों का ऐलान किया गया है.

चेहरा हमेशा एक्टर का

फिल्मफेयर के इस ट्वीट में डायरेक्टर और उनकी फिल्मों के नाम तो हैं, लेकिन चेहरा एक्टर के हैं.

इसका विरोध करते हुए उन्होंने लिखा, ‘‘फिल्मफेयर के अनुसार, सितारों के अलावा, किसी का कोई चेहरा नहीं होता. कोई भी महत्वपूर्ण नहीं है. यही वजह है कि फिल्मफेयर की चापलूस और अनैतिक दुनिया में संजय भंसाली या सूरज बड़जात्या जैसे मास्टर डायरेक्टरों का कोई चेहरा नहीं है.’’

वो लिखते हैं, ‘‘संजय भंसाली, आलिया भट्ट जैसे दिखते हैं, सूरज मिस्टर बच्चन जैसे और अनीस बज़्मी कार्तिक आर्यन जैसे दिखते हैं. ऐसा नहीं है कि किसी फिल्म निर्माता की गरिमा फिल्मफेयर अवॉर्ड्स से मिलती है, बल्कि अपमानित करने वाला यह सिस्टम अब ख़त्म होना चाहिए.’’

स्टार की तुलना में सब को समझा जाता है कमतर

अग्निहोत्री ने लिखा, ‘‘इसलिए बाॅलीवुड की भ्रष्ट, अनैतिक और चापलूस ढांचे के खिलाफ अपना विरोध और असहमति जताते हुए मैंने ऐसे अवाॅर्ड्स न लेने का फ़ैसला किया है.’’ उनके अनुसार, ‘‘मैं उस दमनकारी और भ्रष्ट सिस्टम या अवाॅर्ड्स का हिस्सा बनने से इनकार करता हूं, जो स्टार की तुलना में लेखकों, निर्देशकों और फिल्म के अन्य विभाग प्रमुखों या क्रू मेंबर को कमतर और गुलाम जैसा समझता है.’’

उन्होंने लिखा, ‘‘ये अवाॅर्ड्स जीतने वालों और न जीतने वालों को मैं बधाई देता हूं. अच्छी बात ये है कि मैं अकेला नहीं हूं. धीरे ही सही लेकिन लगातार एक समांतर हिंदी फिल्म उद्योग उभर रहा है. तब तक के लिए…’’

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