योगी-केशव की जोड़ी मचाने वाली है धमाल!

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अब उत्तर प्रदेश की भाजपा टीम की एंट्री हो चुकी है।
भाजपा ने अपनी “यूपी ब्रिगेड” को बिहार के रण में उतार दिया है।
इस ब्रिगेड की कमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों में है,
जबकि उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी मोर्चा संभाल लिया है।
अब बिहार की राजनीति में यूपी की रणनीति की झलक दिखने लगी है —
और भाजपा ने अपने मजबूत चेहरों के दम पर विपक्ष की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
बिहार में योगी आदित्यनाथ का बढ़ता प्रभाव
योगी आदित्यनाथ भाजपा का सबसे मजबूत हिंदुत्व चेहरा माने जाते हैं।
उनकी पहचान एक सख्त प्रशासक और हिंदू आस्था से जुड़े नेता के रूप में है।
इसी छवि को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने उन्हें बिहार अभियान का प्रमुख चेहरा बनाया है।
योगी ने दानापुर और सहरसा से रैलियों की शुरुआत की है।
उनके भाषणों में मुख्य रूप से यह मुद्दे शामिल हैं —
कानून-व्यवस्था और सुशासन
विपक्ष पर हमला और विकास की बात
योगी ने कहा —
“बिहार को विकास चाहिए, वादों की राजनीति नहीं।”
योगी के आने से भाजपा को उम्मीद है कि उसका हिंदुत्व वोट बैंक और मजबूत होगा।
दिलचस्प बात यह है कि बिहार और यूपी की सामाजिक व जातीय संरचना लगभग समान है।
साथ ही, गोरक्षधाम (पूर्वी यूपी) के अनुयायी बिहार में बड़ी संख्या में हैं,
जो योगी की बातों से भावनात्मक रूप से जुड़े रहते हैं।
केशव मौर्य की संगठन क्षमता पर भरोसा
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भाजपा संगठन के बेहद अनुभवी और ग्रासरूट नेता हैं।
उन्हें बिहार चुनाव में सह प्रभारी बनाया गया है।
उनका मुख्य फोकस है —
पिछड़े वर्ग और मजदूर समाज के वोटरों को भाजपा से जोड़ना।
केशव खुद इसी वर्ग से आते हैं,
और उनकी सरल भाषा व जनता से जुड़ाव उन्हें लोगों के करीब लाता है।
वह पार्टी के भीतर असहमति और टिकट बंटवारे जैसी नाराज़गियों को संभालने में माहिर हैं।
पहले भी उन्हें कई राज्यों में क्राइसिस मैनेजमेंट की भूमिका में सफलता मिली है।
अब बिहार में भी उनसे यही उम्मीद है कि वे संगठन को एकजुट रखेंगे
और विपक्ष के हर वार का जवाब जनता की भाषा में देंगे।
सिद्धार्थनाथ और स्वतंत्र देव की टीम मैदान में
भाजपा की “यूपी ब्रिगेड” में सिर्फ योगी और केशव ही नहीं,
बल्कि अन्य वरिष्ठ नेता भी अब बिहार के रण में सक्रिय हो चुके हैं।
स्वतंत्र देव सिंह — यूपी के कैबिनेट मंत्री
सिद्धार्थनाथ सिंह — पूर्व मंत्री और भाजपा के रणनीतिकार
इन दोनों नेताओं को भाजपा ने प्रचार अभियान को दिशा देने की जिम्मेदारी सौंपी है।
खास बात यह है कि सिद्धार्थनाथ सिंह अब पार्टी के “थीम और नैरेटिव” तय कर रहे हैं —
यानी बिहार में भाजपा किस मुद्दे पर जनता से बात करेगी।
यह जिम्मेदारी इसलिए भी अहम है क्योंकि प्रशांत किशोर (PK) भी मैदान में हैं।
भाजपा चाहती है कि यूपी ब्रिगेड पीके की रणनीति को मात दे सके।
योगी-केशव की जोड़ी बनेगी गेमचेंजर?
भाजपा की रणनीति बहुत साफ है —
🟧 योगी लाएंगे हिंदुत्व और सुशासन का संदेश
🟦 केशव जोड़ेंगे पिछड़े वर्ग और संगठन की मजबूती
यह जोड़ी बिहार चुनाव में भाजपा के लिए राजनीतिक संतुलन बना सकती है।
योगी की सभाओं में जोश और ऊर्जा साफ नजर आ रही है,
वहीं केशव मौर्य का जमीनी नेटवर्क ग्रामीण इलाकों में असर डाल रहा है।
अगर यह रणनीति सफल होती है,
तो भाजपा को न सिर्फ बिहार में फायदा होगा,
बल्कि यूपी में भी योगी-केशव की जोड़ी का कद और मजबूत होगा।
बिहार में भाजपा की नई सियासी चाल
बिहार का चुनाव अब सिर्फ स्थानीय मुद्दों तक सीमित नहीं रहा।
अब इसमें यूपी की रणनीति, चेहरे और नेतृत्व की झलक साफ दिख रही है।
भाजपा ने जिस तरह अपने सबसे ताकतवर नेताओं को मैदान में उतारा है,
वह दिखाता है कि पार्टी “मिशन बिहार” को लेकर पूरी तरह गंभीर है।
अब देखना यह है कि —
क्या योगी-केशव की जोड़ी बिहार में सच में “खेल पलट” पाती है या नहीं?
अगर भाजपा की यह रणनीति काम कर गई,
तो यह दोनों नेताओं के लिए बड़ी राजनीतिक जीत होगी,
और यूपी की यह ब्रिगेड बिहार की सियासत का रुख बदल सकती है।

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