बिहार चुनाव: पहले चरण से पहले जदयू में मचा घमासान

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के नामांकन की अंतिम तिथि (17 अक्टूबर) में अब सिर्फ 72 घंटे बचे हैं।
लेकिन सत्ता में लंबे समय से काबिज जदयू (JDU) अब तक अपनी 101 आवंटित सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान नहीं कर पाई है।
सीट बंटवारे और टिकट को लेकर पार्टी के अंदर गहरी उलझन और नाराजगी जारी है।
टिकट बंटवारे को लेकर जदयू में बढ़ा कन्फ्यूजन
एनडीए गठबंधन में सीटों का बंटवारा पहले ही तय हो चुका है —
भाजपा और जदयू बराबर सीटों पर चुनाव लड़ेंगी।
लेकिन कई मौजूदा और पूर्व विधायक टिकट कटने की आशंका से नाराज हैं।
स्थिति इतनी बिगड़ गई कि कुछ कार्यकर्ताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास के बाहर धरना-प्रदर्शन किया।
धरना और विरोध: गोपालपुर और नबीनगर में गुस्सा फूटा
- गोपालपुर के जदयू विधायक गोपाल मंडल ने टिकट कटने की आशंका जताई और सीएम आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।
- नबीनगर सीट पर “बाहरी उम्मीदवारों” को टिकट दिए जाने की संभावना से नाराज पूर्व विधायक वीरेंद्र कुमार सिंह के समर्थक भी सड़कों पर उतर आए।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि टिकट वितरण में
“पार्टी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं की राय का सम्मान होना चाहिए।”
सांसद अजय मंडल ने दिया इस्तीफे का संकेत
भागलपुर से जदयू सांसद अजय मंडल ने भी पार्टी के अंदर टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष जताया।
उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस्तीफा देने की पेशकश की।
सांसद ने लिखा —
“पिछले 25 वर्षों से मैं जनता की सेवा कर रहा हूं।
लेकिन हाल में संगठन में लिए गए निर्णय पार्टी के हित में नहीं दिख रहे हैं।”
सीएम की नाराजगी की खबरों का जदयू ने किया खंडन
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार टिकट वितरण को लेकर नाराज हैं।
हालांकि, जदयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय कुमार झा ने इन खबरों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया।
उन्होंने कहा —
“सीएम पूरी तरह प्रसन्न हैं। विपक्ष अफवाह फैला रहा है।
जदयू और एनडीए दोनों चुनाव प्रचार के लिए पूरी तरह तैयार हैं।”
स्थिति का सार — एक नजर में
- नामांकन की अंतिम तिथि: 17 अक्टूबर
- पहले चरण का मतदान: 6 नवंबर
- सीटें: 121 सीटें (18 जिलों में)
- जदयू को मिली सीटें: 101
- विवाद का कारण: टिकट कटने की आशंका, बाहरी उम्मीदवारों को टिकट
- धरना-प्रदर्शन: गोपालपुर और नबीनगर में
जदयू के सामने सबसे बड़ी चुनौती: एकता और संतुलन
जदयू के अंदर बढ़ती टिकट राजनीति यह दिखाती है कि
पार्टी के लिए आंतरिक संतुलन बनाए रखना अब चुनौती बन गया है।
मौजूदा और पूर्व विधायक दोनों ही
अपना राजनीतिक प्रभाव और अधिकार बनाए रखने की कोशिश में हैं,
जबकि पार्टी नेतृत्व स्थिति को शांतिपूर्ण तरीके से नियंत्रित करने की कोशिश कर रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है —
“ऐसी परिस्थितियां चुनाव से पहले आम होती हैं,
लेकिन जदयू के लिए मुश्किल इसलिए बढ़ी है क्योंकि वह लंबे समय से सत्ता में है
और हर क्षेत्र में दावेदारों की लंबी कतार है।”
सिर्फ 72 घंटे का वक्त — अब होगी असली परीक्षा
जदयू के पास अब सिर्फ 72 घंटे हैं उम्मीदवारों का ऐलान करने के लिए।
इसके बाद ही पार्टी का चुनाव प्रचार पूरी रफ्तार पकड़ सकेगा।
सीट बंटवारे की इस उलझन को सुलझाना
और संगठन में एकता बनाए रखना
जदयू के लिए सबसे बड़ी परीक्षा बन गई है।
निष्कर्ष
बिहार की राजनीति में यह स्थिति बताती है कि
सत्ताधारी दलों के भीतर असहमति और हलचल कोई नई बात नहीं है।
अब सभी की निगाहें इस पर टिकी हैं कि
नीतीश कुमार और जदयू नेतृत्व कितनी जल्दी स्थिति को संभाल पाते हैं
और क्या वे इस बार भी चुनावी मैदान में अपनी रणनीति को मजबूती से लागू कर पाएंगे।

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