देहरादून में वन्यजीव संरक्षण का नया अध्याय

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून सोमवार को वन संरक्षण और जैव विविधता के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक दिन का गवाह बनी।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी (IGNFA) में आयोजित वन्यजीव सप्ताह 2025 के मुख्य समारोह में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए।
इस दौरान मंत्री ने वन्यजीव संरक्षण और मानव-वन्यजीव सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने के लिए 5 नई राष्ट्रीय परियोजनाओं की शुरुआत की।
कार्यक्रम का आयोजन पर्यावरण मंत्रालय द्वारा WII, ICFRE, IGNFA और FRI के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
देशभर से आए वन अधिकारी, वैज्ञानिक, पर्यावरणविद और शोधकर्ता इसमें शामिल हुए।
प्रोजेक्ट डॉल्फिन का दूसरा चरण हुआ लॉन्च
कार्यक्रम की सबसे खास घोषणा रही ‘प्रोजेक्ट डॉल्फिन (द्वितीय चरण)’ का शुभारंभ।
इस परियोजना का उद्देश्य देशभर में नदीय और समुद्री डॉल्फिन की सुरक्षा और संवर्धन है।
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा —
“प्रोजेक्ट डॉल्फिन भारत की नदियों की स्वच्छता, पारिस्थितिक संतुलन और जल जीवन मिशन के लिए बेहद जरूरी कदम है।”
यह परियोजना न केवल डॉल्फिन की संख्या बढ़ाने पर केंद्रित होगी, बल्कि नदियों के पारिस्थितिक तंत्र की निगरानी और संरक्षण पर भी विशेष ध्यान देगी।
‘प्रोजेक्ट स्लॉथ बेयर’ और ‘प्रोजेक्ट घड़ियाल’ भी हुए शुरू
केंद्रीय मंत्री ने इस अवसर पर ‘प्रोजेक्ट स्लॉथ बेयर’ और ‘प्रोजेक्ट घड़ियाल’ की भी शुरुआत की।
- प्रोजेक्ट स्लॉथ बेयर: इसका मकसद भारत में घटती स्लॉथ भालू आबादी की रक्षा करना और उनके प्राकृतिक आवासों को पुनर्स्थापित करना है।
- प्रोजेक्ट घड़ियाल: इस परियोजना के तहत गंगा और चंबल जैसी नदियों में पाए जाने वाले संकटग्रस्त घड़ियालों के संरक्षण के लिए कार्ययोजना लागू की जाएगी।
इन दोनों परियोजनाओं के लिए विस्तृत राष्ट्रीय कार्य ढांचा और गाइडलाइन बुकलेट्स भी जारी की गईं।
मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन के लिए बनेगा उत्कृष्टता केंद्र
कार्यक्रम के दौरान मंत्री यादव ने मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence) की स्थापना की घोषणा की।
यह केंद्र नीति निर्माण, फील्ड-आधारित शोध और समाधान विकसित करने पर कार्य करेगा।
इससे गांवों और वन क्षेत्रों में इंसान और जानवरों के बीच संघर्ष को कम करने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस पहल से स्थानीय समुदायों को वन्यजीव प्रबंधन में भागीदारी का अवसर मिलेगा, जिससे संरक्षण प्रयास और अधिक प्रभावी बनेंगे।
चार राष्ट्रीय कार्य योजनाओं और रिपोर्टों का विमोचन
इस अवसर पर चार बड़ी राष्ट्रीय रिपोर्टें और योजनाएँ जारी की गईं, जिनमें शामिल हैं —
- नदीय डॉल्फिन जनगणना (दूसरा चरण)
- ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन साइकिल-6
- स्नो लेपर्ड जनसंख्या आकलन योजना
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड और लेसर फ्लोरिकन प्रगति रिपोर्ट
इन योजनाओं से भारत में वन्यजीव संरक्षण को वैज्ञानिक, पारदर्शी और डेटा-आधारित दिशा मिलेगी।
राष्ट्रीय हैकाथॉन में युवाओं ने दिखाई नवाचार की चमक
कार्यक्रम के समापन पर राष्ट्रीय हैकाथॉन का फाइनल आयोजित हुआ।
इसमें देश के 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 75 संस्थानों से 420 युवाओं की 120 टीमें शामिल हुईं।
शीर्ष छह टीमों ने देहरादून में अपने नवाचार और तकनीकी समाधान प्रस्तुत किए।
केंद्रीय मंत्री ने शीर्ष तीन विजेताओं को नकद पुरस्कार और प्रमाण-पत्र दिए, जबकि अन्य टीमों को प्रशंसा सम्मान मिला।
मंत्री का संदेश: “वन्यजीवों की रक्षा हर नागरिक का कर्तव्य”
कार्यक्रम के अंत में मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा —
“वन्यजीवों की सुरक्षा केवल सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है। भारत ने हमेशा प्रकृति को पूजनीय माना है, और हमें इसी भावना से संरक्षण की दिशा में आगे बढ़ना होगा।”
उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य है —
“नीति, विज्ञान और समाज — तीनों को साथ लेकर एक साझेदारी-आधारित संरक्षण मॉडल तैयार करना।”
निष्कर्ष
देहरादून में आयोजित यह समारोह भारत में वन्यजीव संरक्षण के नए युग की शुरुआत साबित हुआ है।
डॉल्फिन, स्लॉथ बेयर, घड़ियाल और बाघ जैसे वन्यजीवों के संरक्षण के लिए शुरू हुई ये परियोजनाएँ आने वाले वर्षों में भारत की पर्यावरणीय विरासत को और मजबूत बनाएंगी।

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