दुर्गापुर गैंगरेप केस पर सीएम रेखा का ममता पर हमला

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दुर्गापुर गैंगरेप मामले को लेकर
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोला है।

रेखा गुप्ता ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा —

“दुर्गापुर में हुई जघन्य घटना के बाद ममता बनर्जी का बयान न केवल निंदनीय है,
बल्कि यह राजनीतिक पतन की पराकाष्ठा को दर्शाता है।”

उन्होंने कहा कि यह बयान तृणमूल कांग्रेस सरकार के असफल प्रशासन और
नैतिक रूप से खोखले नेतृत्व का प्रतीक है, जो
बलात्कार पीड़िताओं को न्याय दिलाने के बजाय
बेटियों की आज़ादी और अधिकारों पर सवाल उठा रहा है।

“बेटियों की आज़ादी पर नहीं, अपराधियों पर लगाओ लगाम”

रेखा गुप्ता ने लिखा कि एक राज्य के नेता से
महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी की उम्मीद की जाती है,
न कि उनकी स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाने की।

उन्होंने कहा —

“ममता बनर्जी के बंगाल में सरकार-प्रोटेक्टेड अपराधी बेखौफ घूमते हैं,
जबकि न्याय मांगने वाली बेटियों की आवाज़ दबा दी जाती है।”

बंगाल में बढ़ रहे हैं महिलाओं के खिलाफ अपराध

रेखा गुप्ता ने पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था पर भी सवाल उठाए।
उन्होंने कहा कि बंगाल लगातार महिलाओं के खिलाफ अपराधों में शीर्ष राज्यों में शामिल है।
जहां देवी दुर्गा और मां काली की पूजा होती है,
वहीं आज बेटियां भय, अन्याय और जंगलराज के साये में जी रही हैं।

दुर्गापुर में मेडिकल छात्रा से गैंगरेप

शुक्रवार रात दुर्गापुर के एक निजी मेडिकल कॉलेज में
ओडिशा की एक 23 वर्षीय द्वितीय वर्ष की छात्रा के साथ
कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया।

यह घटना तब हुई जब छात्रा अपनी एक दोस्त के साथ
डिनर के लिए कॉलेज कैंपस से बाहर गई थी।
वह फिलहाल दुर्गापुर के अस्पताल में इलाजरत है।

ममता बनर्जी का विवादित बयान

घटना के बाद ममता बनर्जी ने कोलकाता एयरपोर्ट पर कहा —

“वह एक निजी मेडिकल कॉलेज में पढ़ती है।
इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है?
वह रात के 12:30 बजे बाहर क्यों निकली?”

उन्होंने आगे कहा कि छात्राओं को,
खासकर बाहर से आने वालों को,
छात्रावास के नियमों का पालन करना चाहिए
और देर रात बाहर जाने से बचना चाहिए।

हालांकि बाद में ममता बनर्जी ने सफाई दी कि
उनके बयान को जानबूझकर तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया
और उनके शब्दों को संदर्भ से अलग दिखाया गया।

निष्कर्ष

दुर्गापुर गैंगरेप केस ने एक बार फिर
महिलाओं की सुरक्षा और राजनीतिक संवेदनशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जहां एक ओर पीड़िता इंसाफ की उम्मीद कर रही है,
वहीं दूसरी ओर नेताओं के बयान इस दर्दनाक घटना पर
राजनीतिक बहस का रूप ले चुके हैं।

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