नवरात्रि के पांचवें दिन करें मां स्कंदमाता की पूजा

22 मार्च से चैत्र नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत हो गई है. पूरे देश में नवरात्रि का पावन पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. कल यानी 26 मार्च को नवरात्रि का पांचवा दिन है. इस दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. मां के 5वें स्वरूप का यह नाम उन्हें भगवान कार्तिकेय से मिला है. मां दुर्गा इस रूप में कुमार कार्तिकेय को जन्म देने के कारण स्कंद माता कहलाई जाती हैं. माता के इस रूप की विधि-विधान से पूजा करने पर मां की कृपा बनी रहती है.

स्कंदमाता का स्वरूप

मां के इस स्वरूप की बात करें तो, इनकी चार भुजाएं हैं. मां ने अपनी दाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद अर्थात् कार्तिकेय को गोद में लिया हुआ है. इसी तरफ वाली निचली भुजा के हाथ में कमल का फूल है. बाईं ओर की ऊपर वाली भुजा में वरद मुद्रा है. नीचे दूसरा श्वेत कमल का फूल लिया हुआ है. स्कंदमाता सिंह की सवारी करती हैं. सर्वदा कमल के आसन पर विराजे रहने के कारण इन्हें पद्मासना कहकर भी पुकारा जाता है.

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नवरात्रि के पांचवें दिन लाल वस्त्र में सुहाग की सभी सामग्री, अक्षत समेत लाल फूल मां को अर्पित करने चाहिए. ऐसा करने से महिलाओं का सौभाग्य जागता है, उन्हें संतान की प्राप्ति होती है. स्कंदमाता की पूजा में धनुष बाण अर्पित करने का विशेष महत्व माना गया है.

मां से मिलता है संतान का आशीर्वाद

जिन लोगों को संतान नहीं हो रही है, उन्हें मां के इस स्वरूप की पूजा करनी चाहिए. माना जाता है कि आदिशक्ति का यह स्वरूप संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी करने वाला स्वरूप है.

मां स्कंदमाता की पूजा-विधि

नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है. इस दिन सुबह स्नान आदि के बाद मां की विधिवत पूजा का संकल्प लें. मां स्कंदमाता का गंगाजल से अभिषेक करें. रोली कुमकुम से मां का तिलक करें और फूल माला चढ़ाएं. इसके बाद अक्षत और पुष्प अर्पित करें. मां के सामने धूप-दीप जलाएं. इसके बाद मां का पसंदीदा भोग उनको अर्पित करें. स्कंदमाता को भोग स्वरूप पीली वस्तुएं प्रिय हैं. लेकिन मां के इस स्वरूप पर केला फल जरूर अर्पित करें. केसर डालकर पीली खीर बनाएं और उसका भी भोग लगा सकते हैं. इसके बाद या देवी सर्वभू‍तेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।। मंत्र का जाप करें.

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