NDA में सीट बंटवारा, चिराग पासवान की बड़ी जीत

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच NDA में सीटों का बंटवारा तय हो गया है।

  • बीजेपी: 101 सीटें
  • जेडीयू: 101 सीटें
  • लोक जनशक्ति पार्टी (चिराग पासवान): 29 सीटें
  • जितन राम मांझी: 6 सीटें
  • उपेंद्र कुशवाहा: 6 सीटें

इस बंटवारे में सबसे बड़ी जीत चिराग पासवान की मानी जा रही है, जिन्होंने अपनी रणनीति और दबाव से NDA में अपनी अहमियत साबित की।

चिराग पासवान का राजनीतिक कौशल

2020 में सिर्फ एक सीट जीतने वाले चिराग इस बार रणनीतिक खिलाड़ी के रूप में उभरे हैं।
उन्होंने जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के साथ मिलकर NDA के भीतर साझा दबाव समूह बनाया।
इसके चलते बीजेपी और जेडीयू दोनों को सीट बंटवारे में झुकना पड़ा।
नतीजा—चिराग ने 29 सीटों पर अपनी दावेदारी मजबूत कर ली।

बीजेपी और जेडीयू पर दबाव

चिराग ने शुरुआत से ही साफ किया था कि वे कम सीटों पर समझौता नहीं करेंगे
इस रणनीति के चलते पहली बार बीजेपी और जेडीयू को बराबर सीटों पर चुनाव लड़ना पड़ा।

2020 की हार से लिया सबक

2020 में चिराग ने अकेले चुनाव लड़ा और केवल एक सीट जीती थी।
इस बार उन्होंने पहले से गठजोड़ मजबूत किया और मांझी व कुशवाहा के साथ तालमेल बैठाकर बीजेपी पर दबाव बनाया।

बीजेपी नेताओं की कोशिशें

NDA में सीटों को लेकर मतभेद बढ़ने पर कई बीजेपी नेताओं ने चिराग को मनाने की कोशिश की।

  • धर्मेंद्र प्रधान, विनोद तावड़े और मंगल पांडे उनके घर पहुंचे।
  • नित्यानंद राय ने एक दिन में तीन बार चिराग के निवास पर मुलाकात की।

अंततः चिराग को अपेक्षा से ज्यादा सीटें—29 मिलीं।

चिराग की रणनीति से बीजेपी को फायदा

2024 के लोकसभा चुनाव में चिराग ने यह साबित किया कि रामविलास पासवान की असली राजनीतिक विरासत उनके पास है।
इस बार उनकी रणनीति से बीजेपी को भी फायदा हुआ, क्योंकि पहली बार वह जेडीयू के बराबर सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

‘राजनीतिक मौसम वैज्ञानिक’ का अंदाज़

चिराग पासवान को अब उनके पिता की तरह ‘राजनीतिक मौसम वैज्ञानिक’ कहा जा रहा है।
उन्होंने बिहार की सियासत की हवा भांपते हुए NDA में अपनी जगह पक्की कर ली।
इससे यह साफ होता है कि वे निर्णायक भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

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