HAM को मिली सिर्फ 6 सीटें, मांझी ने जताई नाराजगी

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए की सीट शेयरिंग तय हो गई है। इस बार हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के लिए परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा। पार्टी के नेता जीतनराम मांझी ने 15 सीटों की मांग की थी, लेकिन उन्हें सिर्फ 6 सीटें दी गईं।

इन छह सीटों में से तीन SC रिजर्व हैं और कई सीटों पर मुकाबला कांग्रेस से होगा।

मांझी को मिलीं 6 सीटें

HAM को इस बार मिलीं सीटें इस प्रकार हैं:

  • टिकारी
  • अतरी (नई सीट, पहले जेडीयू के पास थी)
  • बाराचट्टी
  • सिकंदरा
  • इमामगंज
  • कुटुंबा

नोट: पिछली बार मिली 7 सीटों में से 5 सीटें दोबारा HAM को मिलीं, जबकि मखदुमपुर जेडीयू के खाते में चली गई।

2020 की जीत का हिसाब

2020 के विधानसभा चुनाव में HAM ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा और 4 सीटें जीती थीं।

  • बाराचट्टी: ज्योति देवी जीती थीं, 72,491 वोट (40%)
  • इमामगंज: जीतनराम मांझी जीते, 78,762 वोट (46.6%)
  • सिकंदरा: प्रफुल्ल मांझी जीत के करीब, 31.3% वोट
  • टिकारी: अनिल कुमार जीतें, 70,359 वोट (HAM) vs 67,729 (कांग्रेस)

इस बार कांग्रेस से होगी कड़ी टक्कर

HAM की ज्यादातर सीटों पर इस बार मुकाबला कांग्रेस से माना जा रहा है:

  • टिकारी: HAM के अनिल कुमार vs कांग्रेस के सुमंत कुमार
  • सिकंदरा: HAM के प्रफुल्ल मांझी vs कांग्रेस उम्मीदवार
  • कुटुंबा: HAM के श्रवण भुइयां vs कांग्रेस के राजेश कुमार

इन सीटों पर HAM और कांग्रेस की सीधी जंग देखने को मिलेगी।

संभावित उम्मीदवार

सूत्रों के अनुसार HAM के उम्मीदवार इस प्रकार हो सकते हैं:

  • टिकारी: अनिल कुमार
  • सिकंदरा: प्रफुल्ल मांझी
  • अतरी: रोमित कुमार
  • कुटुंबा: श्रवण भुइयां
  • इमामगंज: दीपा मांझी
  • बाराचट्टी: ज्योति देवी

मांझी बोले – ‘हमें कमतर आंका गया’

सीट बंटवारे के बाद जीतनराम मांझी ने कहा:

“हमने फैसला स्वीकार किया है, लेकिन हमें सिर्फ छह सीटें देकर कमतर आंका गया है। इसका असर चुनाव में NDA पर जरूर पड़ेगा। फिर भी हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आखिरी सांस तक खड़े रहेंगे।”

मांझी की 15 सीटों की मांग

सीट बंटवारे से पहले मांझी ने सोशल मीडिया पर कविता के माध्यम से अपनी मांग रखी थी:

“हो न्याय अगर तो आधा दो,
यदि उसमें भी कोई बाधा हो,
तो दे दो केवल 15 ग्राम,
रखो अपनी धरती तमाम,
HAM वही खुशी से खाएंगे,
परिजन पे आसी ना उठाएंगे।”

चुनाव में मांझी की भूमिका

भले ही HAM का हिस्सा छोटा दिख रहा है, लेकिन दक्षिण बिहार की 6 सीटों पर मांझी का प्रभाव अहम माना जाता है।

  • कांग्रेस के साथ सीधी टक्कर
  • HAM की राजनीतिक साख का इम्तिहान
  • NDA के भीतर उनकी स्थिति और दबदबा

इस बार की लड़ाई सिर्फ सीटों की नहीं, बल्कि HAM की राजनीतिक ताकत और NDA में उनकी भूमिका की भी परीक्षा होगी।

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