भारत में कन्या भ्रूण हत्या पर प्रतिबंध, आखिर क्या है समाज की विचारधारा?

Female Feticide Ban In India

Female Feticide Ban In India

Female Feticide Ban In India: हमारे देश में बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ कन्या भ्रूण हत्या का परिणाम देखने को मिल रहा है. कन्या भ्रूण हत्या पर रोक लगाना सही है. जिससे लिंग अनुपात में काफी गिरावट का सामना करना पड़ रहा है.

भारतीय परम्परा में शक्ति की उपासना की जाती है. शक्ति का अर्थ है- नारी जहां एक तरफ नारी को लक्ष्मी के रुप में पूजा जाता है. वही दूसरी तरफ कन्या को पैदा होने से पहले ही मार दिया जाता है.

गर्भ से लिंग परीक्षण जाँच के बाद बालिका शिशु को हटाना कन्या भ्रूण हत्या कहलाता है.

आज हमारे देश में लड़को की अपेक्षा में लड़कियो का अनुपात कम दिखता नज़र आ रहा है.

भारत में कन्या भ्रूण हत्या को लेकर समाज की विचारधारा क्या है?

कन्या भ्रूण हत्या आमतौर पर मानवता और विशेष रुप से समूची स्त्री जाति के विरुद्ध जघन्य अपराध है.

बेटे की इच्छा  परिवार नियोजन के छोटे परिवार की संकल्पना के साथ जुडती है और दहेज़ की प्रथा ने ऐसी स्थिति को जन्म दिया है जहाँ बेटी का जन्म किसी भी कीमत पर रोका जाता है.

इसलिए समाज के आगुआ लोग मां के गर्भ में ही कन्या की हत्या करने का अपराध करते है. लड़कियों को पराया धन माना जाता है.

बेटियों की दहेज की प्रथा को लेकर समाज की सोच ने एक नया ही मोड़ ले लिया है.

समाज की सोच के आनुसार, लड़के ही वंश को जारी रखते है.

लेकिन लोगो को जागरुक होना चाहिए कि दुनिया में लड़के नहीं लड़कियां ही शिशु को जन्म देती है.

कन्या भ्रूण हत्या के कारण!

कुछ सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक नीतियों के कारण पुराने समय से किया जा रहा कन्या भ्रूण हत्या एक अनैतिक कार्य है। भारतीय समाज में कन्या भ्रूण हत्या के निम्न कारण हैं

पुरुषवादी भारतीय समाज में महिलाओं की स्थिति निम्न है।

अभिवावक मानते हैं कि पुत्र समाज में उनके नाम को आगे बढ़ायेंगे जबकि लड़कियां केवल घर संभालने के लिये होती हैं।

गैर-कानूनी लिंग परीक्षण और बालिका शिशु की समाप्ति के लिये भारत में दूसरा बड़ा कारण गर्भपात की कानूनी मान्यता है।

तकनीकी उन्नति ने भी कन्या भ्रूण हत्या को बढ़ावा दिया है।

अपराध से जुड़े कानूनी प्रावधान! (Female Feticide Ban In India)

भारतीय दंड़ संहिता, 1860 के तहत प्रावधान भारतीय दंड संहिता की धारा 312 कहती है: ‘जो कोई भी जानबूझकर किसी महिला का गर्भपात करता है.

इसके अतिरिक्त महिला की सहमति के बिना गर्भपात (धारा 313) और गर्भपात की कोशिश के कारण महिला की मृत्यु (धारा 314) इसे एक दंडनीय अपराध बनाता है।

धारा 315 के अनुसार मां के जीवन की रक्षा के प्रयास को छोड़कर अगर कोई बच्चे के जन्म से पहले ऐसा काम करता है जिससे जीवित बच्चे के जन्म को रोका जा सके या पैदा होने का बाद उसकी मृत्यु हो जाए, उसे दस साल की कैद होगी.

धारा 312 से 318  गर्भपात के अपराध पर सरलता से विचार करती है जिसमें गर्भपात करना, बच्चे के जन्म को रोकना, अजन्मे बच्चे की हत्या करना (धारा 316), नवजात शिशु को त्याग देना (धारा 317), बच्चे के मृत शरीर को छुपाना या इसे चुपचाप नष्ट करना (धारा 318).

हालाँकि भ्रूण हत्या या शिशु हत्या शब्दों का विशेष तौर पर इस्तेमाल नहीं किया गया है , फिर भी ये धाराएं दोनों अपराधों को समाहित करती हैं।

कन्या भ्रूण हत्या की घटनांए रोकने के उपाय! (Female Feticide Ban In India)

गर्भ धारण करने से पहले और बाद में लिंग चयन रोकने और प्रसवपूर्व निदान तकनीक को नियमित करने के लिए सरकार ने एक व्यापक कानून, गर्भधारण से पूर्व और प्रसवपूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन पर रोक) कानून 1994 में लागू किया। इसमें 2003 में संशोधन किया गया.

सरकार इस कानून को प्रभावकारी तरीके से लागू करने में तेजी लाई और उसने विभिन्न नियमों में संशोधन किए जिसमें गैर पंजीकृत मशीनों को सील करने और उन्हें जब्त करने तथा गैर-पंजीकृत क्लीनिकों को दंडित करने के प्रावधान शामिल है। पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड उपकरण के इस्तेमाल का नियमन केवल पंजीकृत परिसर के भीतर अधिसूचित किया गया। कोई भी मेडिकल प्रैक्टिशनर एक जिले के भीतर अधिकतम दो अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर ही अल्ट्रा सोनोग्राफी कर सकता है। पंजीकरण शुल्क बढ़ाया गया.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने सभी राज्य सरकारों से आग्रह किया कि वे अधिनियम को मजबूती से कार्यान्वित करें और गैर-कानूनी तरीके से लिंग का पता लगाने के तरीके रोकने के लिए कदम उठाएं.

माननीय प्रधानमंत्री ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया कि वे लिंग अनुपात की प्रवृति को उलट दें और शिक्षा और अधिकारिता पर जोर देकर बालिकाओं की अनदेखी की प्रवृत्ति पर रोक लगाएं.

स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों से कहा है कि वे इस कानून को गंभीरता से लागू करने पर अधिकतम ध्यान दें.

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