ADGP आत्महत्या मामला: चंडीगढ़ पुलिस ने बनाई SIT

हरियाणा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और एडीजीपी की आत्महत्या मामले में चंडीगढ़ पुलिस ने बड़ा कदम उठाया है
शुक्रवार को पुलिस ने इस केस की गहन जांच के लिए 6 सदस्यीय विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया है।

SIT का नेतृत्व आईजी पुष्पेंद्र कुमार करेंगे, जबकि टीम में शामिल हैं —

  • SSP कंवरदीप कौर
  • SP सिटी केएम प्रियंका
  • DSP ट्रैफिक चरणजीत सिंह विर्क (जांच अधिकारी)
  • SDPO साउथ गुरजीत कौर
  • SHO सेक्टर-11 इंस्पेक्टर जयवीर सिंह राणा

यह टीम आत्महत्या मामले की हर पहलू से जांच करेगी — जिसमें
सुसाइड नोट, कॉल रिकॉर्ड, व्यक्तिगत विवाद, और
संबंधित अधिकारियों की भूमिका की बारीकी से पड़ताल शामिल है।

एफआईआर दर्ज — 15 वरिष्ठ अधिकारियों पर आरोप

गुरुवार देर रात सेक्टर-11 थाना क्षेत्र में एफआईआर नंबर 156 दर्ज की गई।

यह मामला भारत दंड संहिता (BNS) की धारा 108, 3(5) और SC/ST एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत दर्ज हुआ है।

एफआईआर में शामिल प्रमुख नाम —

  • अनुराग रस्तोगी (हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी)
  • शत्रुजीत कपूर (डीजीपी, हरियाणा)
  • नरेंद्र बिजारणिया (एसपी, रोहतक)
    इसके अलावा कुल 15 प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी नामजद किए गए हैं।

परिवार की आपत्तियाँ और तीन मुख्य मांगे

IPS पूरन कुमार की आत्महत्या के बाद परिवार ने एफआईआर के प्रारूप पर गंभीर आपत्ति जताई है।
उनकी पत्नी, IAS अधिकारी अमनीत पी. कुमार, ने कहा कि रिपोर्ट को
नियमित फिक्स फॉर्मेट में बनाया जाए और
सभी आरोपियों के नाम स्पष्ट रूप से दर्ज किए जाएं

परिवार ने तीन प्रमुख मांगें रखी हैं —

  1. हाईकोर्ट के सिटिंग जज से मामले की जांच कराई जाए ताकि निष्पक्षता बनी रहे।
  2. एफआईआर में संशोधन कर सभी नाम शामिल किए जाएं।
  3. परिवार को सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए।

परिजनों का कहना है कि जब तक ये मांगे पूरी नहीं होतीं,
उनका संघर्ष जारी रहेगा

SIT की जांच से उम्मीदें बढ़ीं

यह केस हरियाणा की प्रशासनिक और पुलिस व्यवस्था की पारदर्शिता पर
बड़े सवाल खड़े कर रहा है।

SIT की जांच अब इस बात पर केंद्रित होगी कि —

  • क्या आत्महत्या के पीछे मानसिक दबाव या उत्पीड़न था?
  • किन अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध रही?
  • सुसाइड नोट में दर्ज बातें कितनी सही हैं?

चंडीगढ़ पुलिस ने बताया कि जांच प्रक्रिया शुरू हो चुकी है
और टीम को जल्द से जल्द रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।

न्याय और निष्पक्षता की उम्मीद

इस पूरे प्रकरण ने हरियाणा के उच्च प्रशासनिक तंत्र को हिला कर रख दिया है
परिवार, मीडिया और आम जनता की निगाहें अब SIT की रिपोर्ट पर टिकी हैं।

यदि जांच निष्पक्ष रही, तो यह केस
प्रशासनिक जवाबदेही और पुलिस तंत्र में सुधार का एक
महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है।

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