वर्जीनिया की पहली मुस्लिम लेफ्टिनेंट गवर्नर बनीं

अमेरिकी राजनीति में भारतीय-अमेरिकियों का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। न्यूयॉर्क में जोहरान ममदानी की जीत के बाद अब वर्जीनिया से भी बड़ी खबर आई है।
डेमोक्रेटिक उम्मीदवार गजाला हाशमी ने लेफ्टिनेंट गवर्नर का चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने रिपब्लिकन उम्मीदवार जॉन रीड को कड़े मुकाबले में हराया। हाशमी को 52.4% वोट मिले।

सीएनएन के मुताबिक, गजाला हाशमी अब किसी भी अमेरिकी राज्य में निर्वाचित होने वाली पहली मुस्लिम महिला बन गई हैं। यह जीत डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए भी बड़ी राहत मानी जा रही है।

पहली मुस्लिम महिला लेफ्टिनेंट गवर्नर

गजाला हाशमी ने जिस जॉन रीड को हराया, वे वर्जीनिया में पहले खुले तौर पर समलैंगिक उम्मीदवार भी थे।
जीत के बाद हाशमी अब वर्जीनिया सीनेट की अध्यक्षता संभालेंगी और बराबरी की स्थिति आने पर निर्णायक वोट डाल सकेंगी।

उनकी जीत का असर यह भी है कि उनके पुराने पद के खाली होने से डेमोक्रेट्स के पास सीनेट में अब सिर्फ 20-19 का मामूली बहुमत बचेगा।

प्राइमरी से लेकर फाइनल जीत तक का सफर

जून में हुए डेमोक्रेटिक प्राइमरी चुनाव में हाशमी ने पांच उम्मीदवारों को हराया था।
उन्हें सिर्फ 28% वोट मिले थे, लेकिन वही काफी थे नामांकन पाने के लिए।
इसके बाद उन्होंने गवर्नर उम्मीदवार अबीगैल स्पैनबर्गर और अटॉर्नी जनरल उम्मीदवार जे जोन्स के साथ मिलकर जोरदार चुनाव प्रचार किया।

2019 में भी रचा था इतिहास

यह पहली बार नहीं है जब हाशमी सुर्खियों में आई हों।
2019 में, उन्होंने वर्जीनिया सीनेट चुनाव जीतकर:

  • पहली मुस्लिम सीनेटर
  • पहली भारतीय-अमेरिकी सीनेटर

बनने का इतिहास रचा था।

तब उन्होंने ट्रंप प्रशासन के मुस्लिम बैन का खुलकर विरोध किया था—और इस चुनाव में भी यह मुद्दा उनके अभियान का बड़ा हिस्सा रहा।

भारत से गहरा संबंध

गजाला हाशमी का जन्म 5 जुलाई 1964 को भारत के हैदराबाद में हुआ था।
चार साल की उम्र में वह अपनी मां और भाई के साथ अमेरिका चली गईं, जहाँ उनके पिता पहले से जॉर्जिया में पढ़ा रहे थे।

अमेरिका पहुंचकर उन्होंने अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया:

  • BA (Honors) — जॉर्जिया सदर्न यूनिवर्सिटी
  • PhD (अमेरिकी साहित्य) — एमोरी यूनिवर्सिटी, अटलांटा

ट्रंप प्रशासन के खिलाफ अभियान

चुनाव प्रचार के दौरान हाशमी ने लगातार ट्रंप प्रशासन और रिपब्लिकन नीतियों का विरोध किया।
उनका फोकस रहा:

  • शिक्षा
  • महिला अधिकार
  • धार्मिक स्वतंत्रता

दूसरी ओर जॉन रीड ने:

  • माता-पिता के अधिकार
  • ट्रांसजेंडर छात्रों से जुड़े मुद्दों

को चुनावी हथियार बनाया।
उन्होंने खुद को ट्रंप समर्थक बताया, लेकिन उन्हें ट्रंप का औपचारिक समर्थन नहीं मिला।

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