कई बड़े उम्मीदवारों के नामांकन रद्द, जानिए पूरी वजह

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में कई प्रमुख उम्मीदवारों के नामांकन पत्र रद्द कर दिए गए हैं।
चुनाव आयोग की जांच में इनके दस्तावेजों में गंभीर खामियां पाई गईं।
इनमें मोहनिया सीट से महागठबंधन की श्वेता सुमन,
सुगौली से राजद विधायक शशि भूषण सिंह,
और छपरा-मढौरा से लोजपा (रामविलास) की सीमा सिंह जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
नामांकन रद्द होने के बाद क्या होगा?
नामांकन रद्द होने के बाद उम्मीदवार दो कानूनी रास्तों से अपनी उम्मीदवारी बचाने की कोशिश कर सकते हैं —
पुनर्विचार याचिका
न्यायिक अपील (High Court में रिट याचिका)
हालांकि, यह प्रक्रिया लंबी होती है और चुनाव की समय-सारणी पर कोई असर नहीं पड़ता।
नामांकन रद्द होने की 10 बड़ी वजहें
- उम्मीदवार कानूनी रूप से अयोग्य हो।
- दस्तावेज समय पर जमा न किए गए हों।
- नामांकन पत्र किसी और ने जमा किया हो, न कि उम्मीदवार या प्रस्तावक ने।
- हस्ताक्षर का मिलान न हो पाया हो।
- प्रस्तावकों की संख्या पूरी न हो।
- आरक्षित सीट के वर्ग से उम्मीदवार का संबंध न हो।
- प्रस्तावक उस क्षेत्र का मतदाता न हो।
- हलफनामा गलत प्रारूप में या अधूरा जमा किया गया हो।
- नोटिस के बाद भी नया हलफनामा न दिया गया हो।
- उम्मीदवार उस क्षेत्र का मतदाता न हो या मतदाता सूची की प्रमाणित प्रति जमा न की हो।
इनमें से किसी भी गलती के कारण उम्मीदवार का नामांकन रद्द किया जा सकता है।
सीमा सिंह का मामला
लोजपा (रामविलास) की उम्मीदवार सीमा सिंह को त्रुटि सुधारने का मौका दिया गया था,
लेकिन उन्होंने समय पर संशोधित फॉर्म जमा नहीं किया।
इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर ने नियमों के अनुसार उनका नामांकन रद्द कर दिया।
निर्वाचन अधिकारियों का कहना है कि —
“अगर गलती मामूली है, जैसे नाम या पते में वर्तनी की त्रुटि, तो सुधार का मौका दिया जाता है।
लेकिन जरूरी दस्तावेज या हस्ताक्षर की गलती माफ नहीं की जा सकती।”
नामांकन रद्द होने के बाद के कानूनी विकल्प
पुनर्विचार याचिका
उम्मीदवार चुनाव आयोग से अपील कर सकता है कि रद्द किया गया नामांकन अनुचित था या प्रक्रिया में तकनीकी गलती हुई।
अगर त्रुटि मामूली है, तो आयोग पुनर्विचार कर सकता है।
न्यायिक अपील (High Court)
उम्मीदवार हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर कर सकता है।
यह प्रक्रिया लंबी होती है, लेकिन चुनाव की तिथि या वोटिंग पर असर नहीं डालती।
उम्मीदवारों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए
- सभी दस्तावेज सही और समय पर जमा करें।
- उम्मीदवार और प्रस्तावक — दोनों के हस्ताक्षर मिलाने योग्य हों।
- यदि सीट आरक्षित है, तो उम्मीदवार उसी वर्ग से होना चाहिए।
- प्रस्तावक उसी विधानसभा क्षेत्र का मतदाता होना चाहिए।
- हलफनामा और मतदाता प्रमाण पूरी तरह सही और अद्यतन होना चाहिए।
छोटी-सी गलती भी उम्मीदवारी रद्द करा सकती है।
निष्कर्ष
बिहार चुनाव 2025 में नामांकन रद्द होने की घटनाओं ने साफ कर दिया है कि
चुनाव आयोग नियमों को लेकर सख्त रुख अपना रहा है।
उम्मीदवारों को चाहिए कि वे दस्तावेज़ भरते समय पूर्ण सावधानी और पारदर्शिता रखें,
क्योंकि एक छोटी गलती भी राजनीतिक भविष्य पर भारी पड़ सकती है।

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