ओवैसी ने ईपीएफओ के नए नियमों की आलोचना की

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के हालिया नए नियमों पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने कहा कि ईपीएफओ लोगों को अपना ही पैसा निकालने में परेशान कर रहा है

ओवैसी ने कहा कि ये लोग मेहनती नागरिक हैं, कोई “फ्री की सुविधाओं के लाभार्थी” नहीं।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मध्यम वर्ग के पैसों से खुद को सब्सिडी दे रही है।

ईपीएफओ के नए नियम क्या हैं?

हाल ही में ईपीएफओ ने अपने निकासी नियमों में बदलाव किया है।
इन नियमों ने खासतौर पर बेरोजगार लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

पहले, अगर कोई व्यक्ति दो महीने बेरोजगार रहता था, तो वह अपना पूरा ईपीएफ बैलेंस निकाल सकता था
लेकिन अब,

व्यक्ति अपनी राशि का केवल 75% ही निकाल सकता है
बाकी 25% राशि अगले 12 महीनों के लिए लॉक हो जाएगी।

यह शेष रकम तभी निकाली जा सकेगी जब व्यक्ति पूरे एक साल तक बेरोजगार रहेगा।

सोशल मीडिया पर ओवैसी का हमला

असदुद्दीन ओवैसी ने इस नियम पर सोशल मीडिया पर खुलकर नाराजगी जताई।
उन्होंने एक पोस्ट में लिखा:

“क्या ये पैसा ईपीएफओ का है या सदस्यों का? ये कोई ‘रेवड़ी’ पाने वाले लाभार्थी नहीं, बल्कि मेहनती नागरिक हैं जिन्हें अपनी ही बचत से वंचित किया जा रहा है। सरकार मध्यम वर्ग के पैसों से खुद को सब्सिडी दे रही है।”

ओवैसी ने ईपीएफओ के आधिकारिक ट्वीट को रीट्वीट करते हुए कहा कि लोग रोज ईपीएफओ को टैग करते हैं, क्योंकि उन्हें अपना ही पैसा निकालने में कितनी दिक्कतें आती हैं।

“25% रकम छोटी नहीं, ज़रूरतमंद के लिए सहारा है”

ओवैसी ने आगे कहा,

“25% रकम आपको छोटी लग सकती है,
लेकिन एक बेरोजगार व्यक्ति इससे अपने बच्चों की फीस या घर का किराया चुका सकता है।”

उन्होंने सवाल उठाया कि जो व्यक्ति पहले ही सेवानिवृत्त हो चुका है,
वह तीन साल इंतजार करने के बाद क्या करेगा?

ओवैसी का कहना था कि जो व्यक्ति मुश्किल दौर से गुजर रहा है,
वह दशकों बाद पेंशन पाने की उम्मीद में अपनी आज की जरूरतें कैसे टालेगा?

ईपीएफओ ने बताए नए नियमों के फायदे

विवाद बढ़ने के बाद ईपीएफओ ने सोशल मीडिया पर अपनी सफाई दी।
संस्था ने कहा कि निकासी अवधि दो महीने से बढ़ाकर 12 महीने करने के पीछे स्पष्ट कारण हैं।

ईपीएफओ के मुताबिक,
अगर कोई व्यक्ति दो महीने बाद पूरी राशि निकाल लेता है और फिर तीन महीने बाद दूसरी नौकरी करता है,
तो यह “सेवा निरंतरता” (Service Continuity) नहीं मानी जाती।

ऐसे में वह व्यक्ति पेंशन पात्रता (Pension Eligibility) से वंचित रह जाता है।
पेंशन पाने के लिए कम से कम 10 साल की निरंतर नौकरी आवश्यक है।

ईपीएफओ का कहना है कि नए नियमों से लोगों को

लंबी अवधि तक पेंशन के लिए पात्र बनने में मदद मिलेगी
और उनकी बचत सुरक्षित रहेगी।

निष्कर्ष

असदुद्दीन ओवैसी ने जहां इस नियम को “जनविरोधी” बताया,
वहीं ईपीएफओ का दावा है कि यह बदलाव कर्मचारियों के भविष्य और पेंशन सुरक्षा के लिए जरूरी है।

अब देखना यह होगा कि सरकार इस मुद्दे पर जनता की प्रतिक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए
क्या कोई संशोधन करती है या नहीं।

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