मॉरीशस के प्रधानमंत्री का उत्तराखंड दौरा

मॉरीशस के प्रधानमंत्री डॉ. नवीन चंद्र रामगुलाम चार दिवसीय उत्तराखंड प्रवास के बाद स्वदेश लौट गए।
जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनका स्वागत किया और उन्हें चारधाम का पावन प्रसाद व ‘हाउस ऑफ हिमालयाज’ के उत्पाद भेंट किए।

पारंपरिक स्वागत और आतिथ्य सत्कार

  • डॉ. रामगुलाम का स्वागत उत्तराखंड की पारंपरिक शैली में किया गया।
  • महिलाओं ने गीत गाकर अभिनंदन किया।
  • माथे पर तिलक लगाया गया और तुलसी की माला भेंट की गई।
  • प्रधानमंत्री की पत्नी वीणा रामगोपाल भी इस अवसर पर मौजूद रहीं।

उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता की प्रशंसा

  • प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी ने ऋषिकेशहरिद्वार के मनमोहक दृश्य देखे।
  • उन्होंने हिमालय की घाटियां, गंगा तट और धार्मिक स्थल बेहद सराहे।
    💬 डॉ. रामगुलाम ने कहा:
    “उत्तराखंड की संस्कृति और प्राकृतिक वैभव ने हमें गहराई से प्रभावित किया। यह अनुभव मॉरीशस के लिए भी प्रेरणादायक रहेगा।”

मुख्यमंत्री धामी का वक्तव्य

  • प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई पहचान बनाई है।
  • डॉ. रामगुलाम के इस दौरे से भारत-मॉरीशस के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंध और मजबूत होंगे।
  • यह यात्रा पर्यटन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और आर्थिक सहयोग को नई ऊँचाई देगी।

पर्यटन और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा

  • यह दौरा उत्तराखंड के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
  • संभावित प्रभाव:
     अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
     चारधाम यात्रा का वैश्विक स्तर पर आकर्षण बढ़ेगा।

सुरक्षा के सख्त इंतजाम

  • ढालवाला से नरेंद्रनगर बाइपास तक क्षेत्र को जीरो जोन घोषित किया गया।
  • चंबा की ओर से आने वाले वाहनों को अस्थायी रूप से रोका गया।
  • प्रधानमंत्री के काफिले के गुजरने के बाद यातायात पुनः सामान्य हुआ।

भारत-मॉरीशस सांस्कृतिक रिश्तों में नई ऊर्जा

  • मॉरीशस की बड़ी आबादी भारतीय मूल की है।
  • यह दौरा पारंपरिक मित्रता और साझा सांस्कृतिक धरोहर को और मजबूत करने की दिशा में अहम कदम है।

भविष्य की संभावनाएं

  • पर्यटन, शिक्षा और सांस्कृतिक सहयोग के नए अवसर खुल सकते हैं।
  • उत्तराखंड सरकार का मानना है:
     प्रदेश की अंतरराष्ट्रीय पहचान बढ़ेगी।
     विदेशी निवेश व सांस्कृतिक कार्यक्रमों में वृद्धि होगी।

निष्कर्ष

मॉरीशस के प्रधानमंत्री का यह दौरा केवल औपचारिक नहीं था, बल्कि भारत-मॉरीशस के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों को नई मजबूती देने का महत्वपूर्ण कदम बना।
उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता व आध्यात्मिक माहौल ने इस यात्रा को यादगार बना दिया।

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