पितृपक्ष 2025: कब है और क्या करें-क्या नहीं?

पितृपक्ष हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है।
इस साल यह 7 सितंबर से 21 सितंबर तक चलेगा।

इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं,
तर्पण करते हैं,
पिंडदान करते हैं, और
श्राद्ध कर्म करते हैं।

यह समय पूर्वजों के प्रति आभार और सम्मान व्यक्त करने का खास अवसर माना जाता है।

पितृपक्ष में खरीदारी करने की मान्यता

लोग मानते हैं कि पितृपक्ष में नई चीजें खरीदना गलत होता है,
जैसे:
कपड़े,
वाहन,
घर का सामान इत्यादि।

कहते हैं कि ऐसा करने से पितर नाराज़ हो जाते हैं और घर पर नकारात्मक असर पड़ता है।
पर क्या यह सच है?

शास्त्र क्या कहते हैं?

धार्मिक ग्रंथों में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा गया कि पितृपक्ष में खरीदारी मना है।
विद्वान कहते हैं, यह समय शोक का नहीं, बल्कि अपने पूर्वजों को सम्मान देने का है।
इसलिए खरीदारी पर कोई रोक-टोक नहीं है।
यह सिर्फ एक सामाजिक विश्वास है, जो समय के साथ प्रचलित हो गया है।

मांगलिक कार्य क्यों नहीं होते?

  • विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्य पितृपक्ष में नहीं किए जाते।
  • क्योंकि यह समय शांत और गंभीर माना जाता है।
  • ध्यान केवल पूर्वजों की याद और श्राद्ध पर होता है।
  • लेकिन ज़रूरी चीजें खरीदना बिलकुल भी अशुभ नहीं माना गया।

नई चीजें खरीदने का सही अर्थ

ज्योतिषाचार्य मानते हैं:
जब परिवार नई वस्तु खरीदता है, तो यह समृद्धि और खुशहाली का संकेत होता है।
इससे पूर्वज भी प्रसन्न होते हैं कि परिवार आगे बढ़ रहा है।
इसलिए ज़रूरी सामान खरीदना अशुभ नहीं, बल्कि शुभ माना जा सकता है।

पितृपक्ष में खरीदारी करते समय ध्यान रखें

  1. पूर्वजों को याद करें – खरीदारी के समय अपनी श्रद्धा जताएं।
  2. सादगी अपनाएं – फिजूल खर्ची और दिखावे से बचें
  3. दान करें – जरूरतमंदों को दान देने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

निष्कर्ष

पितृपक्ष में नई चीजें खरीदना शास्त्र में वर्जित नहीं
यह केवल एक सामाजिक विश्वास है।
आप कपड़े, बर्तन, या जरूरी सामान बिना झिझक खरीद सकते हैं।
सिर्फ अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और सम्मान बनाए रखें।

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