मोहन भागवत 75 वर्ष के हुए

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को अपने 75वें जन्मदिन का जश्न मनाया। वे पिछले 16 वर्षों से संघ के मार्गदर्शक (सरसंघचालक) के रूप में काम कर रहे हैं।

मोहन भागवत का परिचय

  • जन्म : 11 सितंबर 1950, महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में
  • संघ में प्रवेश : लगभग पांच दशक पहले प्रचारक के रूप में
  • सरसंघचालक बने : मार्च 2009 में
  • पिता मधुकरराव भागवत भी आरएसएस प्रचारक रहे
  • आरएसएस के तीसरे सबसे लंबे समय तक सरसंघचालक

हालिया बयान पर चर्चा

हाल ही में मोहन भागवत ने कहा:
“सार्वजनिक जीवन में 75 साल की उम्र के बाद सेवानिवृत्ति हो जानी चाहिए।”

इस बयान से कई अटकलें सामने आईं:

  • क्या यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए था?
  • क्या भागवत ने अपने पद से हटने का संकेत दिया?

लेकिन भागवत ने तुरंत स्पष्ट किया:
उनका यह बयान आरएसएस के दिवंगत नेता मोरोपंत पिंगले के मजाकिया किस्से का जिक्र था।
उन्होंने कहा:
“हम कभी भी सेवानिवृत्त होने के लिए तैयार हैं। जब तक संघ चाहेगा, हम पूरी निष्ठा से काम करते रहेंगे।”

मजेदार किस्सा – पिंगले जी का अंदाज

एक बार मोरोपंत पिंगले जी 70 वर्ष के हुए थे।
उन्हें सम्मान स्वरूप शॉल दिया गया।
पिंगले जी मुस्कुराते हुए बोले:
“आप सोच रहे होंगे कि आपने मुझे सम्मानित किया है, लेकिन मैं जानता हूं कि शॉल मिलने का मतलब होता है अब आराम से कुर्सी पर बैठ जाइए और देखिए आगे क्या होता है।”

इस किस्से से यह साफ होता है कि आरएसएस में हास्य और विनम्रता का महत्व भी है।

संघ में भागवत की भूमिका

  • सरसंघचालक बनने से पहले मोहन भागवत ने संघ में कई अहम पद संभाले:
    सरकार्यवाह
    अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख
  • उनसे ज्यादा समय तक केवल दो नेताओं ने संघ का नेतृत्व किया:
    1. माधव गोलवलकर – करीब 32 वर्षों तक
    2. बालासाहेब देवरस – करीब 20 वर्षों तक

मोहन भागवत ने संघ के विचारों और मिशन को मजबूती से आगे बढ़ाया है।
उनका नेतृत्व सरल, स्पष्ट और समर्पित है।

निष्कर्ष

मोहन भागवत का जीवन एक प्रेरणा है।
उनकी साफगोई और अनुभव ने भारतीय समाज को सोचने पर मजबूर किया है।
75 वर्ष की उम्र में भी वे संघ के लिए पूरी निष्ठा से काम कर रहे हैं और संगठन की सेवा में तत्पर हैं।

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