जीएसटी सुधार 2.0: राहत भी, राजस्व का दबाव भी

सरकार ने जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में बड़ा फैसला लिया है।
रोजमर्रा की चीजों पर टैक्स घटाकर मध्यम और निम्न वर्ग को राहत दी गई है।
लेकिन इसका असर सरकार की कमाई (Revenue) पर साफ दिखेगा।
आइए समझते हैं, यह सुधार कितना जरूरी है और सरकार के खातों पर इसका क्या असर पड़ेगा

क्यों है यह जीएसटी सुधार अहम?

  • अब टैक्स स्लैब 4 से घटाकर 2 (5% और 18%) कर दिए गए हैं।
  • 40% टैक्स केवल हानिकारक उत्पादों पर लागू होगा।
  • आम उपभोग की चीज़ों पर कम टैक्स लगेगा, जिससे
    • घरों का खर्च घटेगा
    • घरेलू मांग बढ़ेगी

साथ ही,

  • पंजीकरण आसान होगा
  • वर्गीकरण विवाद कम होंगे
  • उल्टा शुल्क ढांचा हटेगा
  • जीएसटी मुआवजा उपकर भी खत्म हो जाएगा

नई दरें 22 सितंबर से लागू होंगी।

कितना होगा राजस्व नुकसान?

  • सरकार का अनुमान: सालाना करीब ₹48,000 करोड़ की कमी।
  • राजस्व सचिव अरविंद श्रीवास्तव का कहना है कि सिर्फ इस आंकड़े को देखकर पूरी तस्वीर नहीं समझी जा सकती।

क्या यह नुकसान संभाला जा सकता है?

अधिकारियों का तर्क:

  • यह नुकसान बहुत बड़ा नहीं है।
  • अनावश्यक खर्चों में कटौती से इसे मैनेज किया जा सकता है।
  • बेहतर उपभोग और टैक्स अनुपालन से मध्यम अवधि में इसकी भरपाई हो जाएगी।

कर संग्रह पर दबाव क्यों है?

  • चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीने में कर संग्रह अनुमान से कम रहा।
  • वजहें:
    • सुस्त कारोबारी माहौल
    • कम आयकर स्लैब
    • कमजोर नाममात्र जीडीपी ग्रोथ

नतीजा:

  • प्रत्यक्ष कर अनुमान से 4% कम
  • अप्रत्यक्ष कर भी उम्मीद से पीछे

सरकार की रणनीति क्या है?

  • जीएसटी दरों में कटौती → उपभोग बढ़ाने के लिए
  • आयकर दरों में कटौती → खर्च बढ़ाने के लिए
  • क्षमता उपयोग बढ़ाकर निजी निवेश को प्रोत्साहित करना
  • GDP ग्रोथ में तेजी → आगे चलकर राजस्व भी बढ़ेगा

खासतौर पर सरकार ने इस सुधार को त्योहारी सीजन से जोड़ दिया है ताकि खपत तेजी से बढ़े।

क्या राजकोषीय घाटे पर असर होगा?

  • सरकार ने वित्त वर्ष 26 के लिए घाटे का लक्ष्य GDP का 4.4% तय किया है।
  • अर्थशास्त्रियों का कहना है:
    • अगर राजस्व कम हुआ तो सरकार
      • पूंजीगत खर्च कम कर सकती है
      • गैर-जरूरी खर्चों में कटौती कर सकती है
    • RBI और PSU से मिलने वाला उच्च लाभांश और विनिवेश (LIC और IDBI में हिस्सेदारी बिक्री) भी मदद करेंगे।

मोदी सरकार का रिकॉर्ड बताता है कि वह राजकोषीय अनुशासन पर समझौता नहीं करेगी।

निष्कर्ष

जीएसटी सुधार 2.0 से जनता को राहत मिलेगी और बाजार में मांग बढ़ेगी।
राजस्व पर दबाव जरूर आएगा, लेकिन सरकार को भरोसा है कि बेहतर उपभोग और अनुपालन से यह घाटा भर जाएगा।

त्योहारी सीजन से ठीक पहले उठाया गया यह कदम, सरकार के लिए जोखिम और अवसर दोनों लेकर आया है।

Spread the News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *