भारत बना दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

साल 2025 में भारत ने एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया है।
अब भारत जीडीपी के मामले में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है, और इसने जापान को पीछे छोड़ दिया है।

भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार बीते कुछ वर्षों में बेहद तेज़ रही है।
इस ग्रोथ के पीछे कई अहम कारण हैं—जैसे बढ़ता हुआ निर्यात, डिजिटल इंडिया अभियान, युवा आबादी का योगदान और देश में तेजी से बढ़ता स्टार्टअप कल्चर

सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी योजनाओं ने विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है।
इसके साथ ही आईटी सेक्टर, फार्मा इंडस्ट्री और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में भी शानदार विकास देखने को मिला है।

लेकिन क्या ये विकास सबके लिए है?

इस आर्थिक कामयाबी के पीछे एक कड़वा सच भी छिपा है—भारत आज भी शिक्षा, स्वास्थ्य और मानव विकास जैसे ज़रूरी मोर्चों पर काफी पीछे है।

संयुक्त राष्ट्र की Human Development Index (HDI) रिपोर्ट में भारत का स्थान आज भी चिंताजनक है।
2024 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत 134वें स्थान पर था।

शिक्षा की हालत देखिए—

  • लाखों बच्चे आज भी स्कूल से ड्रॉपआउट कर रहे हैं
  • टीचर-स्टूडेंट रेशियो खराब है
  • और शिक्षा की गुणवत्ता में गंभीर गिरावट है

ग्रामीण इलाकों में हालत और भी बुरी है।
कई सरकारी स्कूलों में अब भी शौचालय, पीने का पानी, और डिजिटल सुविधाएं तक नहीं हैं।

बुनियादी सुविधाओं की सच्चाई

इन्फ्रास्ट्रक्चर की बात करें तो कई गांवों में आज भी सड़क, बिजली, और इंटरनेट जैसी बुनियादी सुविधाएं नदारद हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं का हाल तो और भी डरावना है—खासतौर पर दूरदराज़ और गरीब इलाकों में।

सरकारी अस्पतालों में इलाज मिल जाए, ये किसी चमत्कार से कम नहीं।

सिर्फ जीडीपी नहीं, ज़िंदगी भी सुधरनी चाहिए

अगर भारत को वास्तव में विकसित देश बनना है, तो सिर्फ आर्थिक विकास से काम नहीं चलेगा।
हमें शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और समान अवसर जैसे सामाजिक विकास के मुद्दों पर भी उतना ही ज़ोर देना होगा।

सरकार को चाहिए कि जीडीपी के साथ-साथ जनता की जिंदगी भी सुधारे।

हमारे मन की बात — टैक्सपेयर्स का प्यारा-सा ताना

हर महीने सैलरी से कटता है टैक्स — लेकिन स्कूल में पंखा तक नहीं चलता।
सरकारी अस्पताल में जाना मतलब भगवान भरोसे इलाज करवाना।
सड़कें ऐसी जैसे युद्ध के बाद का मैदान — पर टोल टैक्स समय पर भरना ज़रूरी है।
“डिजिटल इंडिया” बोलने से नेट नहीं आता — नेटवर्क ढूंढते-ढूंढते फोन भी थक जाए।
कभी-कभी सोचते हैं — क्या हमारा टैक्स स्विट्ज़रलैंड की छुट्टियों में जा रहा है?

गर्व तो है, लेकिन अधूरा

दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने पर हम सबको गर्व है।
लेकिन असली गर्व तब होगा जब हर बच्चा स्कूल जाए, हर महिला सुरक्षित हो, और हर नागरिक को बराबरी का हक मिले

भारत के पास काबिलियत और अवसर दोनों हैं—बस ज़रूरत है सही दिशा और नीयत की।

(This article is written by Rhea Kaushik , Intern at News World India.)

Spread the News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *