सर्वाइकल कैंसर

सर्वाइकल कैंसर क्या है?

सर्वाइकल कैंसर महिलाओं के गर्भाशय के निचले हिस्से, जिसे “गर्भाशय ग्रीवा” या “सर्विक्स” कहा जाता है, की कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि के कारण होता है। यह एक गंभीर लेकिन रोके जा सकने वाला कैंसर है। इसका सबसे बड़ा कारण है HPV (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) का संक्रमण, खासकर HPV-16 और HPV-18 नामक प्रकार।

शुरुआत में यह कैंसर बिना किसी लक्षण के विकसित हो सकता है, यही वजह है कि इसकी समय पर पहचान बेहद जरूरी होती है।

शुरुआती लक्षण क्या हो सकते हैं?

सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती चरण में आमतौर पर कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखता। लेकिन जब यह थोड़ा बढ़ जाता है, तो कुछ संकेत सामने आने लगते हैं:

  • योनि से असामान्य रक्तस्राव (जैसे पीरियड्स के बीच में, या रजोनिवृत्ति के बाद)
  • संभोग के दौरान दर्द
  • लगातार पेल्विक (निचले पेट) में दर्द
  • बदबूदार या असामान्य रंग का डिस्चार्ज

इन लक्षणों को हल्के में न लें। समय रहते जांच करवाना बहुत ज़रूरी है।

कैसे बचाव किया जा सकता है?

सर्वाइकल कैंसर से बचाव संभव है, अगर हम कुछ ज़रूरी कदम समय पर उठाएं:

  1. HPV वैक्सीन लगवाएं – यह वैक्सीन खासकर किशोरियों और युवतियों के लिए बहुत असरदार है।
  2. नियमित Pap smear और HPV टेस्ट कराएं – ये टेस्ट सर्विक्स की कोशिकाओं में होने वाले बदलावों को समय पर पकड़ सकते हैं।
  3. सुरक्षित यौन संबंध बनाएं – एक से अधिक यौन साथियों से संबंध बनाना HPV संक्रमण का खतरा बढ़ा सकता है।
  4. धूम्रपान से बचें – धूम्रपान से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, जिससे संक्रमण से लड़ना मुश्किल हो जाता है।

अगर यह कैंसर शुरुआती स्टेज में पकड़ में आ जाए, तो इसका इलाज पूरी तरह सफल हो सकता है। ऐसे मामलों में इलाज के बाद पांच साल तक जीवित रहने की संभावना लगभग 92% तक होती है।

सर्वाइकल कैंसर का इलाज कैसे होता है?

इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर किस चरण (स्टेज) में है और मरीज की शारीरिक स्थिति कैसी है। आमतौर पर इसके लिए 5 प्रमुख विकल्प होते हैं:

1. शल्य चिकित्सा (Surgery)

अगर कैंसर शुरुआती अवस्था में है, तो डॉक्टर शल्य चिकित्सा की सलाह देते हैं।
हिस्टेरेक्टॉमी सबसे आम प्रक्रिया है, जिसमें गर्भाशय और ग्रीवा को पूरी तरह हटा दिया जाता है।
आजकल लैप्रोस्कोपिक और रोबोटिक सर्जरी भी की जाती है, जिसमें कम चीरे लगते हैं और रिकवरी जल्दी होती है।

2. विकिरण चिकित्सा (Radiation Therapy)

यह इलाज शरीर में मौजूद कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए तेज़ ऊर्जा वाली किरणों का इस्तेमाल करता है।
दो तरह की तकनीकें होती हैं –

  • बाहरी विकिरण: शरीर के बाहर से किरणें दी जाती हैं
  • आंतरिक विकिरण (ब्रैकीथेरेपी): रेडियोधर्मी तत्वों को शरीर के भीतर कैंसर के पास डाला जाता है
    अक्सर इसे कीमोथेरेपी के साथ मिलाकर दिया जाता है ताकि असर और बढ़े।

3. कीमोथेरेपी (Chemotherapy)

इसमें दवाओं का इस्तेमाल कर कैंसर कोशिकाओं को नष्ट किया जाता है।
यह इलाज खासतौर पर तब दिया जाता है जब कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल चुका हो या स्टेज एडवांस हो।
सामान्यत: दी जाने वाली दवाएं हैं: Cisplatin, Carboplatin और Gemcitabine
विकिरण के साथ देने पर इसका प्रभाव और अधिक हो सकता है।

4. लक्षित चिकित्सा (Targeted Therapy)

यह एक नया और उन्नत इलाज है, जिसमें दवाएं सिर्फ उन्हीं कोशिकाओं को निशाना बनाती हैं जो कैंसरग्रस्त होती हैं।
इससे शरीर की सामान्य कोशिकाओं को कम नुकसान होता है।
उदाहरण के लिए, Tisotumab Vedotin नाम की दवा विशेष रूप से ट्यूमर कोशिकाओं में मौजूद टिशू फैक्टर को निशाना बनाती है।

5. इम्यूनोथेरेपी (Immunotherapy)

यह इलाज शरीर की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को इतना मज़बूत करता है कि वह खुद कैंसर कोशिकाओं से लड़ सके।
इम्यूनोथेरेपी उन मरीजों में असरदार होती है जिन पर पारंपरिक इलाज पूरी तरह काम नहीं करता।

इलाज के नतीजे और नया शो

एक हालिया अध्ययन में यह पाया गया कि अगर कीमोथेरेपी को विकिरण से पहले दिया जाए, तो:

  • मरीजों की मृत्यु दर 40% तक कम हो सकती है
  • और कैंसर के दोबारा लौटने की संभावना 35% तक घट जाती है

इस अध्ययन में 500 मरीज शामिल थे और इसके नतीजे 5 साल तक प्रभावी रहे।

सही इलाज कैसे चुनें?

हर मरीज की स्थिति अलग होती है, इसलिए इलाज का चुनाव कैंसर की स्टेज, उम्र, सेहत और मरीज की पसंद पर निर्भर करता है।
शुरुआती स्टेज में शल्य चिकित्सा ज्यादा कारगर होती है, जबकि बाद की स्टेज में विकिरण और कीमोथेरेपी को एक साथ दिया जाता है।
अगर स्थिति जटिल है या कैंसर वापस लौट आया है, तो लक्षित चिकित्सा और इम्यूनोथेरेपी जैसे विकल्पों पर विचार किया जाता है।

अंतिम बात

अगर किसी महिला को सर्वाइकल कैंसर की आशंका हो या उसका निदान हो चुका हो, तो घबराएं नहीं।
समय रहते सही जांच और इलाज करवाने से जिंदगी बचाई जा सकती है।
हमेशा किसी अनुभवी कैंसर विशेषज्ञ से सलाह लें और इलाज की प्रक्रिया को समझें।

( This article is written by Shreya Bharti, Intern at News World India.)

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