ईरान बनाम इजराइल: अबकी बार आर-पार की जंग!

खामनेई के एक वार से कांप उठा इजराइल!

वो दिन अब नहीं रहे जब इजराइल खुद को अजेय समझता था। 56 देशों को एक साथ हरा देने वाले इजराइल को आज 85 साल के बुजुर्ग अयातुल्ला खामनेई ने नाको चने चबवा दिए हैं। ईरान ने अपनी नई रणनीति में Sejjil और Fattah-1 जैसी घातक मिसाइलें तैनात की हैं, जो न केवल हाइपरसोनिक गति से चलती हैं, बल्कि इजराइल के सबसे आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम को भी धोखा दे रही हैं। Sejjil मिसाइल केवल 7 मिनट में ईरान से इजराइल तक पहुँच जाती है और इसकी रेंज 2000 किमी से ज़्यादा है। इससे पहले Fattah-1 मिसाइलों ने हाईफ़ा, तेल अवीव, मदतगढ़ और होलोन जैसे शहरों को खंडहर में बदल डाला। दुनिया जिस इजराइली डिफेंस सिस्टम की तारीफ करते नहीं थकती थी, वो इन मिसाइलों के सामने बिल्कुल बेबस नज़र आया।

अब ईरान ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए “जैसे को तैसा” वाली नीति अपना ली है। जब इजराइल ईरान के रिहाइशी इलाकों पर बम बरसा रहा था, अब ईरान ने भी इजराइल के रिहायशी क्षेत्रों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। सरोका मेडिकल कॉलेज को मिसाइल से निशाना बनाया गया। हालाँकि ईरान ने इनकार किया कि उसका इरादा रिहायशी ठिकानों को निशाना बनाने का नहीं था, लेकिन सच यह है कि हॉस्पिटल पर हमला हुआ और कई लोगों की जान चली गई। इसके बाद इजराइल के रक्षा मंत्री इजराइल काट्ज ने सीधा एलान किया कि अब ईरान के सुप्रीम लीडर खामनेई को ज़िंदा नहीं छोड़ा जाएगा।

असल में दोस्तों, ईरान की सबसे बड़ी “गलती” बस इतनी है कि वो खुद को पावरफुल बनाना चाहता है। वो परमाणु हथियार बनाना चाहता है। लेकिन इससे इजराइल के पेट में दर्द क्यों हो रहा है? क्योंकि खुद इजराइल न तो परमाणु अप्रसार संधि (NPT) में शामिल है, न ही IAEA का सक्रिय सदस्य है। उल्टा, इजराइल खुद गुपचुप तरीके से परमाणु बम बना चुका है और अब ईरान को धमका रहा है कि वह ऐसा नहीं कर सकता।

अब बात यहाँ तक पहुँच गई है कि इजराइल अकेला पड़ गया है और उसे अमेरिका को युद्ध में उतारने की विनती करनी पड़ रही है। ईरान अब पहले जैसा ईरान नहीं रहा। खामनेई और उनकी काउंसिल अब साफ़ कह चुके हैं कि ईरान आत्मसमर्पण नहीं करेगा, चाहे कुछ भी हो जाए। ट्रम्प ने भी कहा कि हमें पता है खामनेई कहाँ हैं, लेकिन हम अभी उन्हें मारेंगे नहीं।

इसी बीच, एक और बड़ी भूल इजराइल से हो गई। उसने दावा कर दिया कि ईरान के बुशहर न्यूक्लियर प्लांट पर हमला कर दिया है और उसे तबाह कर दिया है। बस फिर क्या था—कुवैत, क़तर और यूएई जैसे तीन मुस्लिम देश भड़क उठे। क्योंकि बुशहर प्लांट न केवल ईरान की बिजली सप्लाई करता है, बल्कि उस पर हमला पूरे खाड़ी क्षेत्र के पानी को ज़हरीला बना सकता है। यह वही प्लांट है जिसे रूस ने बनवाया था और जिसे चलाने के लिए यूरेनियम भी रूस देता है। अगर इससे रेडियोधर्मी रिसाव होता है, तो पूरे अरेबियन गल्फ का पानी ज़हर बन जाएगा, जो करीब 1 करोड़ 80 लाख लोगों के जीवन के लिए खतरा होगा।

क़तर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अलथानी ने साफ़ चेतावनी दी है कि अगर ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला जारी रहा, तो न खाड़ी में पानी बचेगा, न मछली, न जीवन। यही नहीं, रूस ने भी कड़ी चेतावनी दी है कि बुशहर जैसे प्लांट पर हमला करना एक अंतरराष्ट्रीय अपराध होगा। क्योंकि 1986 में यूक्रेन के चेरनोबिल में जब ऐसा ही धमाका हुआ था, तो उसका रेडिएशन हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु हमलों से भी 400 गुना ज्यादा घातक साबित हुआ था।

बाद में इजराइली सेना को अपनी गलती माननी पड़ी और कहना पड़ा कि हमने बुशहर पर नहीं, सिर्फ नताज़, इस्फ़हान और अराक पर हमला किया था। लेकिन तब तक बात बिगड़ चुकी थी। इजराइल ने अनजाने में ही खाड़ी के तीन देशों को दुश्मन बना लिया है। अब ये साफ़ है कि इजराइल ईरान को अकेले नहीं झेल सकता, और अमेरिका को युद्ध में उतरना ही पड़ेगा।

तो दोस्तों, फिलहाल हालात गंभीर हैं और हर पल नई घटनाएं सामने आ रही हैं। बने रहिए, क्योंकि हम आपको ईरान-इजराइल युद्ध की हर बड़ी अपडेट देंगे—सच, तेज़ और बिना तोड़मरोड़ के।

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