बजट के सदुपयोग के लिए धामी सरकार ने झोंकी ताकत

प्रदेश के वार्षिक बजट के सदुपयोग के लिए धामी सरकार जहां एक तरफ पूरी ताकत झोंक रही है तो वहीं दूसरी तरफ सरकार को कई विभाग झटका दे रहे हैं। विकास और निर्माण कार्यों के लिए पूंजीगत मध्य प्राप्त धनराशि को यह विभाग खर्च नहीं कर पाए हैं। सूचना प्रौद्योगिकी की सिंचाई लघु सिंचाई शहरी विकास आवास उद्यान ऊर्जा खेल समाज कल्याण जैसे 12 से अधिक विभाग बजट खर्च में अपने प्रदर्शन से सरकार के माथे पर बल डाल रहे हैं ऐसे में पहले छमाही में पूंजीगत बजट खर्च में अच्छा प्रदर्शन दूसरी छमाही में भी जारी रखने के लिए विभागों को बजट राशि के उपयोग में सुस्त रफ्तार छोड़ने होगी और इसके लिए लगातार शासन की तरफ से निर्देश जारी किए जा रहे हैं।

सरकार को कई विभाग दे रहे झटका

सूचना प्रौद्योगिकी जैसे बड़े विभाग में जहां पर ई गवर्नेंस को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने का दायित्व है उसका हाल सबसे बुरा है पूंजीगत मद में इस विभाग के लिए 45 करोड़ की राशि रखी गई थी जिसमें से बजट आवंटन और खर्च दोनों में ही विभाग जीरो रहा है खर्चे में विभाग फिसड्डी साबित हुआ है।  विभाग को ढुलमुल रवैया छोड़कर बजट उपयोग की योजनाएं उपलब्ध कराने की हिदायत दी गई है ।  वन विभाग को पूंजीगत बजट में 80 करोड रुपए का प्रावधान था 35 करोड रुपए आवंटित किए गए लेकिन खर्च मात्र 20 करोड़ ही किया जा सके हैं।  सिंचाई विभाग को पूंजीगत मद में 736 करोड़ का प्रावधान किया गया इस में से 210 करोड़ विभाग की झोली में भी आए लेकिन खर्च सिर्फ 106 करोड रुपए ही हो पाए । लघु सिंचाई में पूंजीगत मद में 190 करोड़ की राशि का प्रावधान किया था 85 करोड़ की राशि जारी भी की गई थी और इसमें से मात्र उन 50 करोड रुपए ही खर्च हुए। ऊर्जा विभाग के लिए एक 1194 करोड़ का पूंजीगत  मद में प्रावधान है इसमें 262 करोड रुपए आवंटित किए गए .. जिसमें लखवाड परियोजना में 82 करोड़ खर्च किए जाएंगे आगामी फरवरी का 120 करोड़ खर्च किए जाने की उम्मीद है। शहरी विकास को पूंजीगत मद में 1194 करोड़ मिले इसमें से 180 करोड़ आवंटित किए गए जबकि खर्च 176 करोड़ ही पाए ।  आवास विभाग  हालत भी कुछ इसी तरीके से है विभाग के लिए 370 करोड रुपए की राशि का प्रावधान किया गया खर्च के लिए 33 करोड़ दिए गए जिसमें से 28 करोड़ का ही उपयोग हो पाया ।  उद्यान विभाग के लिए 236 करोड़ का बजट रखा गया 14 करोड़ की राशि आवंटित की गई और खर्च मात्र 3 करोड़ हुए ।  न्याय विभाग का प्रदर्शन भी खराब भी कहा जा सकता है विभाग के लिए 172 करोड़ का बजट रखा गया था जिसमें से 3 करोड रुपए की राशि ही खर्च हो पाई।  आपदा प्रबंधन विभाग के लिए 1082 करोड रुपए हैं 81 करोड़ का बजट आवंटित हो चुका है और खर्च भी 81 करोड रुपए ही हो पाए हैं । अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के लिए पूंजीगत मध्य में 65 करोड रुपए का प्रावधान है और खर्च सिर्फ 4 करोड़ हुए हैं।  समाज कल्याण के लिए 132 करोड़ का बजट रखा गया इस में से 17 करोड़ आवंटित किए गए और खर्च सिर्फ 8 करोड़ ही हुए है।  युवा कल्याण विभाग में 28 करोड़ का बजट है इसमें से 2 करोड़ ही खर्च हो पाए ।  शासन की तरफ से बजट का कम उपयोग करने वाले विभागों को आगामी फरवरी तक हर हाल में पूंजीगत मद में दिए गए बजट को खर्च करने के निर्देश दिए गए . ऐसे में विभागों से कार्य योजना भी मांगी गई है ताकि जनता के लिए कार्य हो सके और विकास की योजनाएं धरातल पर उतर सके।

बजट खर्च करने के मामले में विभाग हमेशा ही सवालों के घेरे में रहे

बजट खर्च करने पर विभागों की धीमी रफ्तार को लेकर सियासी पार्टियों ने भी आरोप प्रत्यारोप करने शुरू कर दिए हैं। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रवक्ता शीशपाल  बिष्ट की माने तो पदो पर बैठे लोग अपने स्वार्थ को पूर्ण करने के लिए तेज चल से चलते है लेकिन जहां जनता के विकास के राज्य के विकास की बात आती है तो वहां पर इन लोगों के रफ्तार धीमी पड़ जाती है जो राज्य के लिए ठीक नहीं है। विपक्ष के आरोपों पर जवाब देते हुए भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने कहा की धामी सरकार जनहित के कामों के लिए और राज्य के विकास के लिए समर्पित होकर काम कर रही है .ऐसे में विपक्ष को पहले अपने गिरेबान में झांक लेना चाहिए। भाजपा नेता ने कहा कि विभागों की हर महा समीक्षा होती है समुचित संतुलित विकास के लिए समय लगता है और अभी बजट खर्च करने के लिए विभागों के पास पर्याप्त समय है. ऐसे में तय समय पर विभागों के बजट खर्च करने की रफ्तार अच्छी होगी और जनता के विकास के काम तेज होंगे। उत्तराखंड में बजट खर्च करने के मामले में विभाग हमेशा ही सवालों के घेरे में रहे हैं   कम ही विभाग ऐसे हैं जो अपना पूर्ण बजट खर्च कर पाते हैं  बल्कि जनता की आंशका हमेशा  इस बात पर रहती है कि बजट के अंतिम समय कहीं बजट की बंदर बांट न हो और विकास के कार्य फिर अधूरे न रह जाए।

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