देश सेवा में जुटे पहले अग्निवीर गावते अक्षय लक्ष्मण हुए शहीद

शहीद गावते के परिजनों को मिलेगा 1 करोड़ से ज्यादा रुपये का मुआवजा

अग्निवीर योजना को लेकर जहां एक तरफ कुछ दिन पहले देश में सियासी घमासान मचा था वहीं सियाचिन में तैनात गावते अक्षय लक्ष्मण लाइन ऑफ ड्यूटी पर तैनाती के दौरान शहीद हो गये. आपको बता दें की गावते अक्षय लक्ष्मण शहीद होने वाले पहले अग्निवीर है. वहीं सेना ने गावते अक्षय लक्ष्मण के शहीद होने की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दी. सेना के लेह स्थित फायर एंड फ्यूरी कोर ने जानकारी देते हुए बताया कि ड्यूटी के दौरान सियाचिन में एक अग्निवीर गावते अक्षय लक्ष्मण शहीद हो गए हैं. साथ ही सेना ने  शहीद गावते के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा हम शहीद के परिवारवालों के लिए संवेदना वयक्त करते है. इसके साथ ही शहीद के परिवार को मिलने वाले मुआवजे की जानकरी दी. आपको बता दें की सेना की तरफ से कहा गया है की शहीद के परिवार को 1 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि मिलेगी. 

सियाचीन में तैनात थे गावते

शहीद हुए गावते की तैनाती सियाचिन ग्लेशियर पर थी. आपको बता दें सियाचिन ग्लेशियर दूनिया के सबसे ऊंचे ग्लेशियरों में एक है. ये दूनिया में दूसरे पायदान पर तो है ही वहीं देश में पहले पायदान पर आता है. इस दुर्गम क्षेत्र में जहां रुह जमा देने वाली ठंड में हमारे देश के सैनिक तेज बर्फीली हवाओं के बीच देश की रक्षा करते है. शहीद गावते की मौत शनिवार ही सुबह हुई.

परिजनों को मिलेंगे इतने पैसे

शहीद के परिवारवालों को मिलने वाले मुआवजे को लेकर सेना की तरफ से पोस्ट में लिखा गया है की शहीद के परिजनों को वित्तीय सहायता को लेकर जो भ्रम सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा है, उसका स्पष्टिकरण देना जरुरी है. शहीदों को मिलने वाले मुआवजे नियमों और शर्तों को रखकर दिया जाता है. सेना की तरफ से जारी बयान में कहा गया है की शहीद के परिवारवालों को 48 लाख रुपये गैर-अंशदायी बीमा, 44 लाख रुपये की अनुग्रह राशि, सेवा निधि में अग्निवीर शहीद का दिया गया 30 फीसदी योगदान, साथ ही मौत की तारीख से लेकर चार साल पूरा होने तक बचे हुए कार्यकाल की सैलरी मिलेगी. जो 13 लाख से ज्यादा होगी. इसके साथ ही सशस्त्र बल युद्ध हताहत फंड से शहीद के परिवार को 8 लाख रुपये का योगदान दिया जाएगा। 

राहुल गांधी ने अग्निवीर योजना को लेकर उठाए थे सवाल

आपको बता दें की कुछ दिन पहले पंजाब के अग्निवीर अमृतपाल की मौत जम्मू- कश्मीर में ड्यूटी के दौरान हो गई थी. अमृतपाल का अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ ना होने को लेकर राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधा था. राहुल ने कहा था की एक तो पहले सरकार ने अग्निवीर योजना ला कर सैनिकों की नौकरी 4 साल कर दी उसके बाद अमृतपाल को शहीद दर्जा ना देना बहुत ही निंदनीय है. जिसके बाद सेना की तरफ से सुचना जारी कर कहा गया था की अमृतपाल की मौत उनके खुद की गोली से हुई थी जिसके चलते हुए उनका अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ नहीं हुआ.  

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