हिंदू विरोधी भाषा का प्रयोग, इससे साबित होंगे स्वामी प्रसाद योग्य?

अपने बयानों से विवादों में रहने वाले सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य एक बार फिर से अपने बयान को लेकर सुर्खियों में है. दरअसल इस बार स्वामी प्रसाद मौर्य ने देश के विभाजन को लेकर बड़ा बयान दिया है. अब तक इतिहास में यहीं पढ़ा गया था की जिन्ना की वज़ह से ही पाकिस्तान अलग देश बना यानी जिन्ना भारत-पाकिस्तान के विभाजन की वज़ह बने. लेकिन शायद आप स्वामी प्रसाद मौर्य का बयान सुनेंगे तो एक अलग ही किस्सा आपको पता चलेगा. हमेशा हिंदू धर्म के खिलाफ बोलने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य अब हिंदू धर्म से हिंदू महासभा के ऊपर आ चुके है.

कहा-जिन्ना नहीं हिंदूमहासभा की वजह से भारत-पाकिस्तान का हुआ विभाजन

स्वामी प्रसाद मौर्य के हिसाब से जिन्ना नहीं बल्कि हिंदू महासभा विभाजन की वजह था. दरअसल बांदा में एक बौद्ध सम्मेलन के दौरान स्वामी प्रसाद मौर्य ने ये बयान दिया है. इसके साथ ही स्वामी प्रसाद ने कहा कि हिन्दू राष्ट्र की मांग करने वाले लोग देश के दुश्मन है. स्वामी प्रसाद ने कहा की यहां कोई किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं कर सकता. अगर हम हिंदू,मुस्लिम,सिक्ख- इसाई हम सब है भाई-भाई का नारा लगाते है तो फिर जब हिंदू राष्ट्र की बात करेगा तो बाकी लोग क्यों नहीं कर सकते. इसलिए जो लोग हिंदू राष्ट्र की मांग कर रहे है वो देश के दुश्मन है. इसके साथ ही उनहोंने कहा की सबसे पहले हिंदू राष्ट्र की मांग हिंदू सभा ने ही किया था. उस समय उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष वीर सावरकर थे. जिससे भारत और पाकिस्तान का विभाजन हो गया. तो भारत- पाकिस्तान का बंटवारा जिन्ना ने नहीं बल्कि हिन्दू –महासभा ने करवाया था.

क्यों स्वामी प्रसाद बो रहे हिंदू के लिए जह़र, क्या 2024 के उनकी ठहर?

आपको बता दें की सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य अक्सर ही अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते है. वो कई बार हिंदू-धर्म को लेकर टिप्पणी कर चुके है. कुछ दिन पहले ही सपा नेता ने हिंदू धर्म पर अभद्र टिप्पणी करते हुए कहा था की हिंदू फारसी शब्द है.जिसका अर्थ नीच और चोर होता है. जिसको हम हिंदू धर्म मानते है वो कोई धर्म है ही नहीं. अगर सच में हिंदू कोई धर्म होता तो सबको बराबरी का हक मिलता. हिंदू राष्ट्र की मांग करने वाले संविधान विरोधी है और देशद्रोही भी.

कभी रामचरित मानस,कभी बद्री-केदारनाथ, अब हिंदू-महासभा टारगेट

इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने बद्रीनाथ-केदारनाथ के साथ भगवान राम के खिलाफ भी विवादित बयान दिया था. स्वामी प्रसाद के हिसाब से बद्रीनाथ-केदारनाथ पहले बौद्ध मठ था जिसको तोड़कर शंकराचार्य़ ने मंदिर का निर्माण करवाया था. वहीं रामचरित मानस को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा थी की ये सिर्फ तुलसीदास ने अपने मन को खुश करने के लिए लिखा था. इसके साथ ही भगवान राम स्वामी प्रसाद मौर्य ने जाति में भेदभाव करने का आरोप लगाया था. ऐसे में सवाल ये उठता है की क्या स्वामी प्रसाद का ये बयान सिर्फ राजनीति स्टंट है? क्या इन बयानों से स्वामी प्रसाद मौर्य सिर्फ और सिर्फ धर्म और समाज को बांटने की बात कर रहे है? क्या स्वामी प्रसाद मौर्य को हिंदू धर्म का अपमान करके मजा आने लगा है? और क्या स्वामी प्रसाद मौर्य़ के इन बयानों से सपा को चुनाव में इसका लाभ या हानि होने वाला है?

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