Navratri 2022 2nd Day Puja: दूसरे दिन कैसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
नवरात्रि 2022: चैत्र नवरात्रि शुरु हो गई है और गुरुवार, 23 मार्च को माता के दूसरे स्वरूप की पूजा होगी। नवरात्रि के दूसरे दिन मां के ब्रह्मचारिणी स्वरुप की पूजा की जाती है। इनको ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। कठोर साधना और शुद्ध आचरण के कारण इनको ब्रह्मचारिणी कहा गया है। इनकी पूजा से खास तौर पर साधना करनेवालों, विद्यार्थियों या तपस्वियों को विशेष लाभा होता है। अगर आप अपनी किसी भी मनोकामना की पूर्ति से पूरे मनोयोग से परिश्रम कर रहे हैं, उचित आचरण और आहार-विहार का अनुसरण कर रहे हैं, तो माता ब्रह्मचारिणी की पूजा से आपकी मनोकामना जल्द पूरी हो सकती है।
नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा क्यों करनी चाहिए
नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा करने का विधान है। मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में अक्षमाला और बाएं हाथ में कमण्डल है। माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की उपासना एवं आराधना करने से भक्तों को अनेक प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती हैं। साथ ही आचरण में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार इत्यादि की वृद्धि होती है। इनकी कृपा से जीवन में आ रही तमाम परेशानियां भी समाप्त हो जाती हैं।
मां ब्रह्मचारिणी के नाम में ब्रह्म का क्या अर्थ है
मां ब्रह्मचारिणी के नाम में ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। इन्होंने जंगल में जाकर 3000 वर्ष तक वृक्षों से गिरे सूखे पत्तों को खाकर कठिन तपस्या की। इतने कठोर तप और नियमों का पालन करने की वजह से इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। मां का यह स्वरूप तप और शुद्ध आचरण को दर्शाता है।
माता का मंत्र और उसका अर्थ
दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।। (अर्थात जिनके एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में कमण्डल है, ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणीरूपा मां दुर्गा मुझ पर कृपा करें।)