2008 मालेगांव विस्फोट केस: सभी आरोपी बरी

कोर्ट का फैसला

मुंबई की विशेष NIA अदालत ने 2008 के मालेगांव बम धमाके में सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि कोई भरोसेमंद और प्रत्यक्ष साक्ष्य पेश नहीं किया गया।

“सिर्फ शक नहीं, पुख़्ता सबूत ज़रूरी हैं।” – जज ए.के. लाहोटी

प्रमुख आरोपी कौन थे?

  • साध्वी प्रज्ञा ठाकुर
  • लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित
  • समीर कुलकर्णी

कोर्ट ने माना कि:

  • विस्फोटक सामग्री या वाहन का आरोपियों से सीधा संबंध नहीं साबित हुआ।
  • किसी को राजनीतिक या सामाजिक धारणा के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

पीड़ित परिवारों का दर्द

  • धमाके में 6 लोगों की मौत और 95 से ज्यादा घायल हुए थे।
  • परिजनों ने फैसले को “अन्यायपूर्ण” बताया।
  • कई लोगों का आरोप: “जांच कमजोर की गई, अब सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे।”

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी:

“यह अल्पसंख्यकों के साथ न्याय नहीं, अन्याय है।”

बीजेपी:

  • कांग्रेस पर “भगवा आतंक” फैलाने का आरोप।
  • देवेंद्र फडणवीस बोले: “यह फैसला साबित करता है कि भगवा को बदनाम किया गया।”

आरोपियों की प्रतिक्रिया

  • साध्वी प्रज्ञा: “यह धर्म और भगवा की जीत है।”
  • कर्नल पुरोहित: अदालत और सेना का आभार।

दोनों ने इसे लंबे संघर्ष के बाद मिली राहत बताया।

क्या जांच एजेंसियों ने अपना काम सही किया?

इस केस ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए:

  • क्या जांच एजेंसियां ऐसे संवेदनशील मामलों को सही ढंग से हैंडल कर पा रही हैं?
  • क्या 14 साल तक चले मुकदमे के बाद भी न्याय मिला?

अब आगे क्या?

  • राजनीतिक और सामाजिक बहस फिर तेज़ हो गई है।
  • अब सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं।

निष्कर्ष

“साबित नहीं हुआ अपराध, लेकिन पीड़ितों को अब भी जवाब चाहिए।”

यह केस भारतीय न्याय प्रणाली की लंबी और जटिल प्रक्रिया, और जांच व्यवस्था की चुनौतियों को उजागर करता है।

Sources – https://www.hindustantimes.com/india-news/malegaon-blast-case-verdict-live-updates-pragya-thakur-colonel-purohit-mumbai-terror-attack-news-101753940727723.html

This article is written by Shlok Devgan, Intern at News World India

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