भारतीय रिर्जव़ बैंक का बड़ा फैसला-2000 हजार के नोट हुए बैन
2000 notes banned:- भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को भ्रष्टाचार के कारणों का हवाला देते हुए ये बड़ा फैसला लिया. हालांकि 2000 रुपये के नोट 30 सितंबर तक वैध मुद्रा बने रहेंगे. RBI के मुताबिक 23 मई से 30 सितंबर के बीच जमा कराया जा सकता है या फिर बदला जा सकता है.
मोदी सरकार की पहली नोटबंदी कब हुई
मोदी सरकार में होने वाली पहली नोटबंदी 8 नवंबर 2016 का वो एतिहासिक दिन जब रात 8 बजे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीवी पर आकर 1000 और 500 के नोट करपश्न का हवाला देकर बंद कर दिए थे. तब यही 2000 (2000 notes banned) के नए नोट चलन में ये कहते हुए लाए गए थे कि अब देश में भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी.
नोटबंदी को लेकर सरकार पर खड़े सवाल
अब इन नोटों को बंद किए जाना सरकार पर कई सवाल खड़े करता है.. सबसे अहम सवाल ये कि क्या पिछले 7 सालों में 2000 रुपये के नोट से भ्रष्टाचार चरम पर पहुंचा..या फिर 2024 आम चुनावों को देखते हुए सरकार ने ये फैसला लिया है. आखिर पूरा माज़रा क्या है..क्या सरकार कनफ्यूज़ है… ये हम नहीं देश की जनता कह रही है.. देश की तमाम विपक्षी पार्टियां इस फैसले की बाबत आरोप लगा रही हैं. आखिर इतने बड़े फैसले के पीछे सरकार की मनशा क्या है.
2000 की नोटबंदी पर विपक्ष, सरकार पर हमलवार है.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2000 रुपये की नोटबंदी पर ट्वीट कर सरकार पर साधा निशाना.
उन्होंने कहा, “पहले बोले 2000 का नोट लाने से भ्रष्टाचार बंद होगा. अब बोल रहे हैं 2000 का नोट बंद करने से भ्रष्टाचार ख़त्म होगा.”
‘’इसीलिए हम कहते हैं, PM पढ़ा लिखा होना चाहिए। एक अनपढ़ पीएम को कोई कुछ भी बोल जाता है। उसे समझ आता नहीं है। भुगतना जनता को पड़ता है।‘’
जाने-माने वकील कपिल सिब्बल ने भी 2000 रुपये के नोट बंद करने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाए हैं.
उन्होंने ट्वीट कर लिखा है, “8 नवंबर 2016 को नोटबंदी का ऐलान करते हुए कहा था कि इतना ज्यादा कैश सर्कुलेशन का सीधा संबंध भ्रष्टाचार से है. लेकिन 2016 में देश में 17.7 लाख करोड़ का कैश सर्कुलेशन है. लेकिन 2022 में कैश सर्कुलेशन बढ़ कर 301.18 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया. तो इसका मतलब भ्रष्टाचार बढ़ा है.”
चंद्रबाबू नायडू ने किया समर्थन
वहीं आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगूदेशम पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने 2000 रुपये के नोट चलन से वापस लेने के रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया के फ़ैसले का स्वागत किया है.
“दो हज़ार रुपये के नोट पर बैन लगाने का फ़ैसला निश्चित रूप से एक सही कदम है. मैंने काफी पहले डिजिटल करेंसी पर एक रिपोर्ट पेश की थी और नोटों के चलन पर रोक लगाने से निश्चित रूप से भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी. राजनेता मतदाताओं को नोट बांटकर चुनाव जीतने की कोशिश करते हैं और 2000 के नोटों की इसमें बड़ी भूमिका होती है. अब इस पर काफी हद तक लगाम लगाई जा सकेगी
नोटबंदी का ऐलान करते हुए कहा था कि इतना ज्यादा कैश सर्कुलेशन का सीधा संबंध भ्रष्टाचार से है. लेकिन 2016 में देश में 17.7 लाख करोड़ का कैश सर्कुलेशन है. लेकिन 2022 में कैश सर्कुलेशन बढ़ कर 301.18 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया. तो इसका मतलब भ्रष्टाचार बढ़ा है.”
देश में कब-कब हुई नोटबंदी ?
देश में पहली बार नोटबंदी आज़ादी से पहले साल 1946 में हुई. देश में दूसरी नोटबंदी पूर्व पीएम मोरारजी देसाई के कार्यकाल में साल 1978 में हुई
1978 में देश से 10 हजार और 5 हजार के नोट चलन से हुए बाहर
8 नवंबर 2016 में मोदी सरकार ने पुराने 500 और 1000 के नोट किए थे बैन
500 के पुराने नोटों की जगह चलन में आए थे नए नोट जबकि 1000 के नोट पूरी तरह हुए थे बाहर
यें भी पढ़ें: विराट कोहली पर भारी पड़ा शुभमन गिल का शतक, गुजरात टाइटंस ने आरसीबी को आईपीएल से किया बाहर