13 सालों से छप्पर में गुजर रही जिंदगी

आज भी लोग छापर वाले मकान में रहने को मजबूर है, जबकि प्रदेश की सरकार के नेता हर खुली मंच पर हाथ हिलाकर कहते तनिक भी झिझक नहीं खाते और कहते हैं, कि हमने गरीबों को मकान और शौचालय बॉटे हैं।

केंद्र सरकार भी बड़े-बड़े दावों के साथ खुली मंच पर ऐलान करती है, कि गरीबों को शौचालय और आवास देकर पक्की छत के नीचे रहने के लिए सुविधाजनक घर सैकड़ो नहीं हजारों नहीं लाखों लोगों को उपलब्ध कराए हैं।

बाढ़ ने छीने मकान

वहीं अगर जमीनी हकीकत की बात की जाए तो मदनपुर ब्लॉक क्षेत्र में रहने वाले दर्जनों ऐसे लोग हैं जो झोपड़ी रूपी मकान में रहने को मजबूर है, सरकार की आवास योजना और शौचालय योजना इनको आखिर क्यों नहीं मिल पाई विगत वर्षों पहले आई बाढ़ मे इन गरीव ग्रामीणों के मकान ढएै गए थे तब से यह छापर वाले मकान में रहकर जीवन यापन कर रहे हैं, और गुहार लगा रहे हैं, सरकार के उन नेताओं से जो चुनाव के टाइम पर वोट मांगने के लिए तो आते हैं, लेकिन बाद में वह इन गरीबों की तरफ मुड़कर नहीं देखते

अधिकारी-जनप्रतिनिधी नहीं देते ध्यान

आपको बताते चलें कि जनपद की मिर्जापुर  ब्लॉक का थाथर मई ग्राम के विगत लगभग 13 वर्ष पूर्व आई बाढ़ में दर्जनों घर बाढ़ के आगोश में आ गए थे बढ़ाने दर्जनों लोगों को बेघर कर दिया था तब से यह दर्जनों परिवार मदनपुर ब्लॉक के नगला सरजू गांव में छप्पर रूपी मकान में रहकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं, और गुहार लगा रहे हैं सरकार से कि हमें भी कोई सरकारी योजनाओं का लाभ मिले और हम भी जीवन के सपने को साकार करते हुए पक्के मकान में रहें।

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